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मोबाइल कंपनियों की मनमानी, देश की सुरक्षा ताक पर

नई दिल्ली/धीरज कनोजिया Updated Mon, 04 Jun 2012 12:00 PM IST
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पैसा कमाने में जुटी मोबाइल कंपनियां इतनी बेपरवाह हो गई हैं कि उन्होंने देश की सुरक्षा को ताक पर रख दिया है। ग्राहकों को मोबाइल कनेक्शन देते वक्त घर के पते के सत्यापन के मामले में कोताही बरतने के बाद अब कंपनियां सुरक्षा एजेंसियों को लोकेशन बेस्ड सेवा देने में ना-नुकुर कर रही हैं।


दूरसंचार विभाग ने कंपनियों को यह सेवा देने के लिए 31 मई तक का समय दिया था, मगर कंपनियों ने राजस्व नुकसान का हवाला देकर फिलहाल यह सेवा देने से हाथ खड़े कर दिए हैं। कंपनियों का कहना है कि यह सेवा देने में उन्हें एक अरब डॉलर से ज्यादा की लागत बैठेगी, जिससे उन्हें काफी नुकसान होगा।


दूरसंचार विभाग ने देश की सुरक्षा एजेंसियों के कहने पर कंपनियों को यह सेवा देने के लिए कहा था। इस सेवा के तहत कंपनियां सुरक्षा एजेंसियों के लिए ऐसी व्यवस्था करेगी, जिसमें उन्हें देश में किसी भी मोबाइल ग्राहक के जगह (लोकेशन) का पता लग जाएगा। मोबाइल कंपनियों ने दूरसंचार विभाग को कहा है कि इस सेवा को देना उनके लिए महंगा सौदा है।

कंपनियों का कहना है कि अगर इस सेवा को लागू करने पर भी मोबाइल ग्राहक के लोकेशन की सटीक जानकारी मिलना मुश्किल है। मोबाइल कंपनियों के संगठन सेल्यूलर एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानी सीओएआई के महानिदेशक राजन मैथ्यूज ने कहा कि हमने इस सिलसिले में दूरसंचार विभाग को बता दिया है कि इस सेवा की लागत काफी ज्यादा है।

वहीं अभी तक ऐसी सेवा देने वाली किसी कंपनी ने भी उन्हें इस तरह की सेवा देने की पेशकश नहीं की है, जो कि सटीक तौर पर यह सेवा दे सके। मैथ्यूज ने कहा कि इस सिलसिले में विभाग से बातचीत चल रही है और विभाग को इसका कोई हल निकालना चाहिए। इससे पहले भी कंपनियों पर मोबाइल कनेक्शन देते वक्त ग्राहकों के पते का सत्यापन ठीक ढंग से नहीं करने का आरोप लगता रहा है।

कंपनियां अपने ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के चक्कर में नियमों को ताक पर रखकर सिम कार्ड जारी कर रही हैं। कई आतंकी घटनाओं में फर्जी सिम कार्ड के इस्तेमाल होने की बात सामने आ चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने तो इस मामले पर एक उच्च स्तरीय पैनल गठित कर दिया है, जो इस मामले की जांच कर इसे रोकने के लिए सुझाव देगा।
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