कथित तौर पर भ्रष्टाचार मामलों में दलित व ओबीसी के खिलाफ बयान देने वाले समाजशास्त्री आशीष नंदी रविवार सुबह गिरफ्तारी के डर से जयपुर साहित्य महोत्सव के सत्र से पहले ही दिल्ली रवाना हो गए। नंदी को रविवार सुबह ‘हिंदी-इंग्लिश भाई-भाई’ सत्र में उपस्थित रहना था, लेकिन उन्होंने इसमें हिस्सा नहीं लिया।
पुलिस ने नंदी के विवादित बयान की वीडियो फुटेज मांगी है। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त गिरीराज मीणा ने कहा कि हमने वीडियो फुटेज के अलावा आशीष नंदी से स्पष्टीकरण भी मांगा है। हमें बताया गया है कि वह जयपुर से जा चुके हैं, लेकिन शुरुआती जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि विवाद बढ़ता देखकर नंदी ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी का गलत मतलब निकाला गया। एक लिखित बयान को पढ़ते हुए उन्होंने कहा कि उनका कहने का यह मतलब था कि जब गरीब, एससी-एसटी समुदाय के लोग भ्रष्टाचार करते हैं तो इसको बढ़ा-चढ़ाकर बताया जाता है। अगर लोगों ने इसे गलत समझा तो मैं माफी मांगता हूं। मेरे कहने का मतलब था कि अमीर लोगों के भ्रष्टाचार को हमेशा नजरअंदाज कर दिया जाता है।
इस बीच नासिक में अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत एक व्यक्ति ने नंदी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। सरकारवाड़ा पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने बताया कि शिकायतकर्ता समाधान ने जगताप एससी/एसटी एक्ट के तहत नंदी की गिरफ्तारी मांग की है। इससे पहले बहुजन समाज संघर्ष समिति के नेतृत्व में मनसे, शिवसेना, भाजपा, आरपीआई और दलित संगठनों के सदस्यों वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने लेखक की गिरफ्तारी के लिए पुलिस को ज्ञापन सौंपा है।
जयपुर में शनिवार देर रात अशोक नगर थाने में गैर जमानती धाराओं के तहत दर्ज मामले में अगर नंदी दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें 10 साल तक की सजा हो सकती है। पुलिस ने महोत्सव के आयोजक संजय रॉय के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है।
धरने पर बैठे लोग
नंदी के बयान के विरोध में एससी-एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग से जुड़े लोग महोत्सव के आयोजन स्थल डिग्गी पैलेस के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। जयपुर में अन्य स्थानों पर भी विरोध प्रदर्शन हुए। मीणा महासभा के अध्यक्ष रामपाल मीणा ने कहा है कि जब तक पुलिस नंदी को गिरफ्तार नहीं कर लेती तब तक विरोध जारी रहेगा। जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील ने कहा कि साहित्यकारों को दलितों के खिलाफ अनुचित भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
'दौसा सांसद किरोड़ी लाल मीणा और जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील से नंदी और तरुण तेजपाल की बातचीत हो गई है। वे उनकी सफाई से संतुष्ट हैं।'
- संजय रॉय, महोत्सव के आयोजक
नंदी की टिप्पणी पर मिश्रित प्रतिक्रिया
समाजशास्त्री और लेखक आशीष नंदी के बयान पर महोत्सव में आए लेखकों की ओर से मिश्रित प्रतिक्रिया आई है। कुछ नंदी के समर्थन में दिखाई दे रहे हैं, तो कोई इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण मान रहे हैं। लेखक अशोक वाजपेयी ने कहा कि नंदी के खिलाफ प्रदर्शन खेदजनक है। यदि किसी को कुछ बोलने का मौका नहीं दिया जाएगा, तो चर्चा कैसे चलेगी। नंदी एक बहुत ही बड़े चिंतक हैं।
तरुण तेजपाल ने भी उनका समर्थन करते हुए कहा कि नंदी कभी दलितों-पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं रहे हैं। उन्होंने हमेशा इस वर्ग के लिए काम किया है। जबकि साहित्यकार नीलेश मिश्रा ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि मैने खुद नहीं सुना कि नंदी ने क्या कहा। नंदी काफी वरिष्ठ व प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। यदि उन्होंने आपत्तिजनक कुछ कहा है, तो उन्हें इससे बचना चाहिए था। कवि और आलोचक प्रेमचंद गांधी ने कहा कि नंदी को टिप्पणी करने से पहले सोचना चाहिए था क्योंकि मुंह से निकले शब्दों को वापस लेना आसान नहीं होता।