कड़ी सुरक्षा के बीच आज ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की 136 वीं ऐतिहासिक रथ यात्रा शुरू हो गई। आतंकी हमले की आशंका के मद्देनजर ओडिशा सरकार ने रथयात्रा की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए हैं।
पायलट रहित दो विमानों की निगरानी में भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ रथ में सवार होकर गुंडीचा मंदिर जाएंगे। परंपरा के अनुसार, हाथियों ने सबसे पहले भगवान जगन्नाथ की झलक देखी और जुलूस की अगुवाई करते हुए आगे बढ़े।
11 दिनों तक चलने वाले उत्सव में शामिल होने के लिए न केवल देश से बल्कि विदेशों से भी भारी तादाद में श्रद्धालु पहुंचे हैं। माना जा रहा है कि इस यात्रा में 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं।
देखें यात्रा की फोटो गैलरीरथ यात्रा शुरू होने से पहले भगवान जगन्नाथ और बहन सुभद्रा को एक के बाद एक मंदिर से लाकर रथों में बैठाया गया। इसके बाद पुरी के गजपति महाराज दिव्यसिंह देव एक पालकी में बैठकर आए और बारी बारी से तीनों रथों को सोने की झाड़ू से बुहारा।
इसके बाद सीढियों को रथों से हटाकर तीनों रथो में मोटी मोटी रस्सियां बांधी गई। दोपहर बाद करीब एक बजे सबसे पहले बड़े भाई बलदेव के तालध्वज रथ, इसके बाद बहन सुभद्रा के दर्पदलन रथ और फिर भगवन जगन्नाथ जी के नंदीघोष रथ को लाखों भक्त खींच कर मौसी मां के मंदिर तक पहुंचाएंगे।
अगर सूर्यास्त तक कोई रथ नहीं पहुँच पाता है तो परंपरा के अनुसार उसे रास्ते में ही रोक दिया जाएगा। दूसरे दिन फिर से रथ यात्रा शुरू होगी और भगवान जगन्नाथ जी मौसी मां के मंदिर पहुंचेंगे।
वहीं दूसरी, तरफ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ का रथ खींचकर यात्रा की शुरुआत की। मोदी भगवान जगन्नाथ का रथ 12 बार खींच चुके हैं। रथयात्रा की पूर्व संध्या पर अहमदाबाद में मंगलवार को मोदी ने भगवान जगन्नाथ की पूजा-अर्चना की थी।
कड़ी सुरक्षा के बीच आज ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की 136 वीं ऐतिहासिक रथ यात्रा शुरू हो गई। आतंकी हमले की आशंका के मद्देनजर ओडिशा सरकार ने रथयात्रा की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए हैं।
पायलट रहित दो विमानों की निगरानी में भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ रथ में सवार होकर गुंडीचा मंदिर जाएंगे। परंपरा के अनुसार, हाथियों ने सबसे पहले भगवान जगन्नाथ की झलक देखी और जुलूस की अगुवाई करते हुए आगे बढ़े।
11 दिनों तक चलने वाले उत्सव में शामिल होने के लिए न केवल देश से बल्कि विदेशों से भी भारी तादाद में श्रद्धालु पहुंचे हैं। माना जा रहा है कि इस यात्रा में 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं।
देखें यात्रा की फोटो गैलरी
रथ यात्रा शुरू होने से पहले भगवान जगन्नाथ और बहन सुभद्रा को एक के बाद एक मंदिर से लाकर रथों में बैठाया गया। इसके बाद पुरी के गजपति महाराज दिव्यसिंह देव एक पालकी में बैठकर आए और बारी बारी से तीनों रथों को सोने की झाड़ू से बुहारा।
इसके बाद सीढियों को रथों से हटाकर तीनों रथो में मोटी मोटी रस्सियां बांधी गई। दोपहर बाद करीब एक बजे सबसे पहले बड़े भाई बलदेव के तालध्वज रथ, इसके बाद बहन सुभद्रा के दर्पदलन रथ और फिर भगवन जगन्नाथ जी के नंदीघोष रथ को लाखों भक्त खींच कर मौसी मां के मंदिर तक पहुंचाएंगे।
अगर सूर्यास्त तक कोई रथ नहीं पहुँच पाता है तो परंपरा के अनुसार उसे रास्ते में ही रोक दिया जाएगा। दूसरे दिन फिर से रथ यात्रा शुरू होगी और भगवान जगन्नाथ जी मौसी मां के मंदिर पहुंचेंगे।
वहीं दूसरी, तरफ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ का रथ खींचकर यात्रा की शुरुआत की। मोदी भगवान जगन्नाथ का रथ 12 बार खींच चुके हैं। रथयात्रा की पूर्व संध्या पर अहमदाबाद में मंगलवार को मोदी ने भगवान जगन्नाथ की पूजा-अर्चना की थी।