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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदिवासियों को लेकर दिए गए बयान पर विश्व हिंदू परिषद ने उन पर जमकर हमला बोला है। वीएचपी का कहना है कि सोरेन का यह बयान वनवासी समाज की आस्था व विश्वास पर चोट पहुंचाने वाला है। वीएचपी इस गैर-जिम्मेदाराना बयान की निंदा करती है।
विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने अमर उजाला से कहा कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन वनवासी समाज को दिग्भ्रमित कर उनकी श्रद्धा को तोड़ने का पाप कर रहे हैं। उनका बयान देशभक्त और धर्मनिष्ठ वनवासी समाज की आस्था व विश्वास पर चोट पहुंचाने वाला है।
उन्होंने आगे कहा, ऐसा लगता है कि देश, धर्म व संस्कृति के लिए वनवासी समाज और उससे जुड़े महापुरुषों के योगदान को नकारते हुए सोरेन ईसाई मिशनरियों, कम्यूनिस्ट और नक्सली गतिविधियों के षड्यंत्रों को सहयोग प्रदान कर रहे हैं। इसे हम स्वीकार नहीं करेंगे। समाज के राजनैतिक नेतृत्व को बहुत जिम्मेदारी से वक्तव्य देने चाहिए। वे सुनियोजित तरीके से वनवासी समाज को दिग्भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं, उसमें वे सफल नहीं होंगे।
परांडे ने आगे बताया कि सीएम सोरेन को याद रखना चाहिए कि वनवासी समाज, अनंत काल से देश, धर्म व भारतीय संस्कृति की रक्षा हेतु अग्रणी भूमिका में रहा है। रामायण काल में माता शबरी का उदाहरण हो या राजस्थान में राणा पूंजा भील का, जिन्होंने महाराणा प्रताप का समर्थन मुगलों से लड़ने के लिए किया।
झारखंड में भगवान बिरसा मुंडा ने तो ना सिर्फ रामायण-महाभारत का अभ्यास किया अपितु, अंग्रेजों व ईसाई मिशनरियों के धर्मान्तरण के षडयंत्रों का भी डटकर विरोध किया। आज राम मंदिर निधि समर्पण अभियान के प्रति झारखंड सहित समस्त वनवासी क्षेत्र में उत्साह नजर आ रहा है।
हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बयान दिया था कि आदिवासी कभी न हिंदू थे, न हैं। आदिवासी समाज प्रकृति पूजक है और इनका अलग रीति-रिवाज है। सदियों से आदिवासी समाज को दबाया जाता रहा है, कभी इंडिजिनस, कभी ट्राइबल तो कभी अन्य के तहत पहचान होती रही।
विस्तार
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदिवासियों को लेकर दिए गए बयान पर विश्व हिंदू परिषद ने उन पर जमकर हमला बोला है। वीएचपी का कहना है कि सोरेन का यह बयान वनवासी समाज की आस्था व विश्वास पर चोट पहुंचाने वाला है। वीएचपी इस गैर-जिम्मेदाराना बयान की निंदा करती है।
विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने अमर उजाला से कहा कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन वनवासी समाज को दिग्भ्रमित कर उनकी श्रद्धा को तोड़ने का पाप कर रहे हैं। उनका बयान देशभक्त और धर्मनिष्ठ वनवासी समाज की आस्था व विश्वास पर चोट पहुंचाने वाला है।
उन्होंने आगे कहा, ऐसा लगता है कि देश, धर्म व संस्कृति के लिए वनवासी समाज और उससे जुड़े महापुरुषों के योगदान को नकारते हुए सोरेन ईसाई मिशनरियों, कम्यूनिस्ट और नक्सली गतिविधियों के षड्यंत्रों को सहयोग प्रदान कर रहे हैं। इसे हम स्वीकार नहीं करेंगे। समाज के राजनैतिक नेतृत्व को बहुत जिम्मेदारी से वक्तव्य देने चाहिए। वे सुनियोजित तरीके से वनवासी समाज को दिग्भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं, उसमें वे सफल नहीं होंगे।
परांडे ने आगे बताया कि सीएम सोरेन को याद रखना चाहिए कि वनवासी समाज, अनंत काल से देश, धर्म व भारतीय संस्कृति की रक्षा हेतु अग्रणी भूमिका में रहा है। रामायण काल में माता शबरी का उदाहरण हो या राजस्थान में राणा पूंजा भील का, जिन्होंने महाराणा प्रताप का समर्थन मुगलों से लड़ने के लिए किया।
झारखंड में भगवान बिरसा मुंडा ने तो ना सिर्फ रामायण-महाभारत का अभ्यास किया अपितु, अंग्रेजों व ईसाई मिशनरियों के धर्मान्तरण के षडयंत्रों का भी डटकर विरोध किया। आज राम मंदिर निधि समर्पण अभियान के प्रति झारखंड सहित समस्त वनवासी क्षेत्र में उत्साह नजर आ रहा है।
हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बयान दिया था कि आदिवासी कभी न हिंदू थे, न हैं। आदिवासी समाज प्रकृति पूजक है और इनका अलग रीति-रिवाज है। सदियों से आदिवासी समाज को दबाया जाता रहा है, कभी इंडिजिनस, कभी ट्राइबल तो कभी अन्य के तहत पहचान होती रही।