अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दुनिया के जिस किसी हिस्से में जाते हैं, वहां उनके साथ यूएस सीक्रेट सर्विस का दस्ता रहता है। यही वो दस्ता है जो अमेरिकन राष्ट्रपति को अभेद सुरक्षा प्रदान करता है। राष्ट्रपति के आगमन से कई सप्ताह पहले यह दस्ता वहां का पहला राउंड लेता है। सीक्रेट सर्विस के अधिकारी चप्पे-चप्पे की जानकारी जुटाकर वापस अमेरिका लौट जाते हैं। उसके बाद वे राष्ट्रपति की यात्रा से एक सप्ताह पहले दोबारा वहां पहुंचते हैं।
राष्ट्रपति जिस जगह पर ठहरते हैं, वहां की सड़कों से लेकर उनके कमरे तक की सुरक्षा के लिए खास इंतजाम किए जाते हैं। सीक्रेट सर्विस के अफसर आसपास के अस्पतालों का भी दौरा करते हैं। जिस कमरे में राष्ट्रपति ठहरते हैं, वहां के तमाम बिजली उपकरण बंद कर दिए जाते हैं। सीक्रेट सर्विस के अधिकारी उन उपकरणों को अपने हिसाब से संचालित करते हैं। वहां पर कई अस्थायी सुरक्षा उपकरण लगाए जाते हैं।
दिल्ली पुलिस के अधिकारी, जिन्होंने 2015 में तत्कालीन अमेरिकन राष्ट्रपति बराक ओबामा का सुरक्षा घेरा तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी, उनका कहना है कि अमेरिकन एजेंसियों की सुरक्षा अचूक होती है। हमारे देश की सभी सुरक्षा एजेंसियां राष्ट्रपति के दौरे को सुरक्षित बनाने के लिए जुटती हैं।
राष्ट्रपति के दौरे से करीब एक माह पहले अमेरिकी एजेंसियों के अफसरों की एक टीम उन जगहों का दौरा करती है, जहां पर राष्ट्रपति जा सकते हैं। इसके बाद दो सप्ताह पहले भी एक टीम वहां पहुंचती है।
इन दोनों टीमों की रिपोर्ट के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति की गाड़ी, सुरक्षा एवं संचार उपकरण, यूएस सीक्रेट सर्विस की डिविजन के-9 स्क्वॉयड के प्रशिक्षित कुत्ते, जिनमें अधिकांश बेल्जियन मेलिनोइस शामिल होते हैं, यात्रा स्थल पर उतारे जाते हैं। राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान करीब दो दर्जन कुत्ते साथ रहते हैं।
खास बात है कि राष्ट्रपति जहां भी ठहरते हैं, वहां का सुरक्षा घेरा सीक्रेट सर्विस विंग ही तैयार करती है। स्थानीय लॉ इंफोर्समेंट एजेंसियों के साथ मिलकर यात्रा की तमाम औपचारिकताओं को पूरा करने की जिम्मेदारी यूएस सीक्रेट सर्विस के कंधों पर रहती है।
हवाई अड्डे से ही शुरू हो जाता है अभेद सुरक्षा चक्र...
राष्ट्रपति के आगमन से पहले हवाई अड्डे का निरीक्षण किया जाता है। सीक्रेट सर्विस के अफसर अपने सुरक्षा नियमों के अनुसार, हवाई क्षेत्र तय करते हैं। कहां पर राष्ट्रपति का विमान उतरेगा, उससे कितनी दूरी तक कोई दूसरा विमान नहीं आ सकता, जिस वक्त अमेरिकन एयर फोर्स वन का विमान उतरेगा, उस दौरान अन्य उड़ानों की आवाजाही रोक दी जाती है।
जिस मार्ग से राष्ट्रपति का काफिला गुजरता है, उसे पूरी तरह से सीक्रेट सर्विस अपने कब्जे में ले लेती है। हालांकि इस दौरान भारतीय सुरक्षा एजेंसियां उनके साथ रहती हैं। उस मार्ग पर जितने भी अस्पताल होते हैं, वहां का दौरा कर सीक्रेट सर्विस के अफसर अस्पताल प्रशासन को कुछ जरूरी दिशा निर्देश देते हैं। रूट पर संभावित खतरों की पहचान करने के लिए सीक्रेट सर्विस स्थानीय पुलिस की मदद लेती है।
यूएस सीक्रेट सर्विस की डिविजन के-9 स्क्वॉयड के प्रशिक्षित कुत्तों को यात्रा मार्ग पर ले जाया जाता है। राष्ट्रपति के आने से पहले ये कुत्ते कई बार उस जगह पर पहुंचते हैं। यही कुत्ते उस होटल का चप्पा-चप्पा छानते हैं, जहां पर अमेरिकी राष्ट्रपति और उनके साथ आए दूसरे अधिकारी ठहरते हैं।
सुरक्षा उपकरणों की बात करें तो उनके जरिए होटल से एक किलोमीटर के दायरे में किसी भी विस्फोट को निष्क्रिय किया जा सकता है। राष्ट्रपति के यात्रा मार्ग का इस तरह चयन किया जाता है कि किसी भी आपात स्थिति में वहां तक पहुंचने के लिए दस मिनट से अधिक समय न लगे।
राष्ट्रपति के साथ चल रहे सुरक्षा दस्ते के पास रक्त की थैली होती है। यह वही रक्त होता है, जो राष्ट्रपति का ब्लड ग्रुप होता है। राष्ट्रपति की गाड़ी पर भारी हथियारों का भी कोई असर नहीं होता। उसके टायर भी बुलेटप्रूफ होते हैं। इसे चलाने वाला रक्षात्मक ड्राइविंग में एक्सपर्ट होता है।
राष्ट्रपति के साथ सात विमान उड़ान भरते हैं
24-25 फरवरी को भारत आ रहे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आने से पहले ही उनकी आधिकारिक कार कैडिलेक वन 'द बीस्ट' और मरीन वन हेलीकॉप्टर सी-17 ग्लोबमास्टर से भारत पहुंच चुके हैं। वहीं एयर फोर्स वन के साथ सात दूसरे विमान भी आएंगे जिनमें छह कार्गो और दो बोइंग 747 शामिल होंगे। गौरतलब है कि एयर फोर्स वन बोइंग 747-200बी सीरीज एयरलाइनर का मिलिट्री वर्जन बोइंग VC-25A है।
इन विमानों में राष्ट्रपति की गाड़ी, सुरक्षा उपकरण, संचार उपकरण और सैकड़ों सीक्रेट एजेंट एवं दूसरा स्टाफ मौजूद रहता है। दूसरे देश में राष्ट्रपति को परोसा जाने वाला भोजन सीक्रेट एजेंट की निगरानी में तैयार होता है। रसोइयों और सर्वरों का एक दल उनके साथ रहता है। यही दल भोजन पर नजर रखता है।
राष्ट्रपति जहां पर ठहरते हैं, उस होटल के बारे में हर छोटी बड़ी जानकारी जुटाई जाती है। पहले कभी कोई विवाद हुआ हो, किसी मेहमान के साथ कोई घटना या लोकल पुलिस की किसी जांच में उस होटल का नाम आना, आदि बातें देखी जाती हैं।
अगर ऐसा कुछ नजर आता है तो सीक्रेट सर्विस के अफसर, होटल प्रबंधक या दूसरे कर्मियों को राष्ट्रपति के आवागमन के दौरान वहां आने की इजाजत नहीं देते। होटल के सभी कमरों पर सीक्रेट सर्विस का कब्जा रहता है। यहां तक कि लिफ्ट भी राष्ट्रपति का स्टाफ ही संचालित करता है।
राष्ट्रपति के कमरे से सभी तस्वीर उतार दी जाती हैं। कमरे की खिड़कियों पर बुलेटप्रूफ प्लास्टिक लगाया जाता है। वहां से फोन, टीवी और दूसरे उपकरण हटा दिए जाते हैं। राष्ट्रपति के साथ चलने वाले गार्ड किसी भी बड़े हमले को नाकाम बना सकते हैं।
विस्तार
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दुनिया के जिस किसी हिस्से में जाते हैं, वहां उनके साथ यूएस सीक्रेट सर्विस का दस्ता रहता है। यही वो दस्ता है जो अमेरिकन राष्ट्रपति को अभेद सुरक्षा प्रदान करता है। राष्ट्रपति के आगमन से कई सप्ताह पहले यह दस्ता वहां का पहला राउंड लेता है। सीक्रेट सर्विस के अधिकारी चप्पे-चप्पे की जानकारी जुटाकर वापस अमेरिका लौट जाते हैं। उसके बाद वे राष्ट्रपति की यात्रा से एक सप्ताह पहले दोबारा वहां पहुंचते हैं।
राष्ट्रपति जिस जगह पर ठहरते हैं, वहां की सड़कों से लेकर उनके कमरे तक की सुरक्षा के लिए खास इंतजाम किए जाते हैं। सीक्रेट सर्विस के अफसर आसपास के अस्पतालों का भी दौरा करते हैं। जिस कमरे में राष्ट्रपति ठहरते हैं, वहां के तमाम बिजली उपकरण बंद कर दिए जाते हैं। सीक्रेट सर्विस के अधिकारी उन उपकरणों को अपने हिसाब से संचालित करते हैं। वहां पर कई अस्थायी सुरक्षा उपकरण लगाए जाते हैं।
दिल्ली पुलिस के अधिकारी, जिन्होंने 2015 में तत्कालीन अमेरिकन राष्ट्रपति बराक ओबामा का सुरक्षा घेरा तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी, उनका कहना है कि अमेरिकन एजेंसियों की सुरक्षा अचूक होती है। हमारे देश की सभी सुरक्षा एजेंसियां राष्ट्रपति के दौरे को सुरक्षित बनाने के लिए जुटती हैं।
राष्ट्रपति के दौरे से करीब एक माह पहले अमेरिकी एजेंसियों के अफसरों की एक टीम उन जगहों का दौरा करती है, जहां पर राष्ट्रपति जा सकते हैं। इसके बाद दो सप्ताह पहले भी एक टीम वहां पहुंचती है।
इन दोनों टीमों की रिपोर्ट के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति की गाड़ी, सुरक्षा एवं संचार उपकरण, यूएस सीक्रेट सर्विस की डिविजन के-9 स्क्वॉयड के प्रशिक्षित कुत्ते, जिनमें अधिकांश बेल्जियन मेलिनोइस शामिल होते हैं, यात्रा स्थल पर उतारे जाते हैं। राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान करीब दो दर्जन कुत्ते साथ रहते हैं।
खास बात है कि राष्ट्रपति जहां भी ठहरते हैं, वहां का सुरक्षा घेरा सीक्रेट सर्विस विंग ही तैयार करती है। स्थानीय लॉ इंफोर्समेंट एजेंसियों के साथ मिलकर यात्रा की तमाम औपचारिकताओं को पूरा करने की जिम्मेदारी यूएस सीक्रेट सर्विस के कंधों पर रहती है।
हवाई अड्डे से ही शुरू हो जाता है अभेद सुरक्षा चक्र...
राष्ट्रपति के आगमन से पहले हवाई अड्डे का निरीक्षण किया जाता है। सीक्रेट सर्विस के अफसर अपने सुरक्षा नियमों के अनुसार, हवाई क्षेत्र तय करते हैं। कहां पर राष्ट्रपति का विमान उतरेगा, उससे कितनी दूरी तक कोई दूसरा विमान नहीं आ सकता, जिस वक्त अमेरिकन एयर फोर्स वन का विमान उतरेगा, उस दौरान अन्य उड़ानों की आवाजाही रोक दी जाती है।
जिस मार्ग से राष्ट्रपति का काफिला गुजरता है, उसे पूरी तरह से सीक्रेट सर्विस अपने कब्जे में ले लेती है। हालांकि इस दौरान भारतीय सुरक्षा एजेंसियां उनके साथ रहती हैं। उस मार्ग पर जितने भी अस्पताल होते हैं, वहां का दौरा कर सीक्रेट सर्विस के अफसर अस्पताल प्रशासन को कुछ जरूरी दिशा निर्देश देते हैं। रूट पर संभावित खतरों की पहचान करने के लिए सीक्रेट सर्विस स्थानीय पुलिस की मदद लेती है।
यूएस सीक्रेट सर्विस की डिविजन के-9 स्क्वॉयड के प्रशिक्षित कुत्तों को यात्रा मार्ग पर ले जाया जाता है। राष्ट्रपति के आने से पहले ये कुत्ते कई बार उस जगह पर पहुंचते हैं। यही कुत्ते उस होटल का चप्पा-चप्पा छानते हैं, जहां पर अमेरिकी राष्ट्रपति और उनके साथ आए दूसरे अधिकारी ठहरते हैं।
सुरक्षा उपकरणों की बात करें तो उनके जरिए होटल से एक किलोमीटर के दायरे में किसी भी विस्फोट को निष्क्रिय किया जा सकता है। राष्ट्रपति के यात्रा मार्ग का इस तरह चयन किया जाता है कि किसी भी आपात स्थिति में वहां तक पहुंचने के लिए दस मिनट से अधिक समय न लगे।
राष्ट्रपति के साथ चल रहे सुरक्षा दस्ते के पास रक्त की थैली होती है। यह वही रक्त होता है, जो राष्ट्रपति का ब्लड ग्रुप होता है। राष्ट्रपति की गाड़ी पर भारी हथियारों का भी कोई असर नहीं होता। उसके टायर भी बुलेटप्रूफ होते हैं। इसे चलाने वाला रक्षात्मक ड्राइविंग में एक्सपर्ट होता है।
राष्ट्रपति के साथ सात विमान उड़ान भरते हैं
24-25 फरवरी को भारत आ रहे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आने से पहले ही उनकी आधिकारिक कार कैडिलेक वन 'द बीस्ट' और मरीन वन हेलीकॉप्टर सी-17 ग्लोबमास्टर से भारत पहुंच चुके हैं। वहीं एयर फोर्स वन के साथ सात दूसरे विमान भी आएंगे जिनमें छह कार्गो और दो बोइंग 747 शामिल होंगे। गौरतलब है कि एयर फोर्स वन बोइंग 747-200बी सीरीज एयरलाइनर का मिलिट्री वर्जन बोइंग VC-25A है।
इन विमानों में राष्ट्रपति की गाड़ी, सुरक्षा उपकरण, संचार उपकरण और सैकड़ों सीक्रेट एजेंट एवं दूसरा स्टाफ मौजूद रहता है। दूसरे देश में राष्ट्रपति को परोसा जाने वाला भोजन सीक्रेट एजेंट की निगरानी में तैयार होता है। रसोइयों और सर्वरों का एक दल उनके साथ रहता है। यही दल भोजन पर नजर रखता है।
राष्ट्रपति जहां पर ठहरते हैं, उस होटल के बारे में हर छोटी बड़ी जानकारी जुटाई जाती है। पहले कभी कोई विवाद हुआ हो, किसी मेहमान के साथ कोई घटना या लोकल पुलिस की किसी जांच में उस होटल का नाम आना, आदि बातें देखी जाती हैं।
अगर ऐसा कुछ नजर आता है तो सीक्रेट सर्विस के अफसर, होटल प्रबंधक या दूसरे कर्मियों को राष्ट्रपति के आवागमन के दौरान वहां आने की इजाजत नहीं देते। होटल के सभी कमरों पर सीक्रेट सर्विस का कब्जा रहता है। यहां तक कि लिफ्ट भी राष्ट्रपति का स्टाफ ही संचालित करता है।
राष्ट्रपति के कमरे से सभी तस्वीर उतार दी जाती हैं। कमरे की खिड़कियों पर बुलेटप्रूफ प्लास्टिक लगाया जाता है। वहां से फोन, टीवी और दूसरे उपकरण हटा दिए जाते हैं। राष्ट्रपति के साथ चलने वाले गार्ड किसी भी बड़े हमले को नाकाम बना सकते हैं।