कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि संसद से पारित कानूनों को लागू करना राज्य सरकारों का संवैधानिक कर्तव्य है। प्रसाद ने बुधवार को कहा कि जो राज्य यह बात करते हैं कि वे संशोधित नागरिकता कानून को लागू नहीं करेंगे उन्हें उचित विधिक राय लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि जो संविधान की शपथ लेकर सत्ता में आये हैं वे असंवैधानिक बयान दे रहे हैं। प्रसाद का यह बयान केरल विधानसभा द्वारा संशोधित नागरिकता कानून को वापस लिए जाने का आग्रह करने वाले प्रस्ताव को पारित किये जाने के एक दिन बाद आया है।
प्रसाद ने कहा कि जो सरकारें दावा कर रही हैं कि वे सीएए लागू नहीं होने देंगी या इसके लागू होने के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर रही हैं, वे संवैधानिक प्रावधानों को लेकर उचित विधिक राय ले सकती हैं।
प्रसाद ने कहा, ‘संसद द्वारा पारित कानूनों को लागू करना राज्यों का एक संवैधानिक कर्तव्य है।’ उन्होंने कहा कि संसद नागरिकता सहित केंद्रीय सूची के तहत आने वाले विषयों पर कानून बना सकती है।
उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 245 की धारा दो का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य संसद द्वारा पारित कानूनों का विरोध नहीं कर सकते। पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान सहित अन्य राज्यों ने कहा है कि वह संशोधित नागरिकता कानून को लागू नहीं करेंगे।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि संसद से पारित कानूनों को लागू करना राज्य सरकारों का संवैधानिक कर्तव्य है। प्रसाद ने बुधवार को कहा कि जो राज्य यह बात करते हैं कि वे संशोधित नागरिकता कानून को लागू नहीं करेंगे उन्हें उचित विधिक राय लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि जो संविधान की शपथ लेकर सत्ता में आये हैं वे असंवैधानिक बयान दे रहे हैं। प्रसाद का यह बयान केरल विधानसभा द्वारा संशोधित नागरिकता कानून को वापस लिए जाने का आग्रह करने वाले प्रस्ताव को पारित किये जाने के एक दिन बाद आया है।
प्रसाद ने कहा कि जो सरकारें दावा कर रही हैं कि वे सीएए लागू नहीं होने देंगी या इसके लागू होने के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर रही हैं, वे संवैधानिक प्रावधानों को लेकर उचित विधिक राय ले सकती हैं।
प्रसाद ने कहा, ‘संसद द्वारा पारित कानूनों को लागू करना राज्यों का एक संवैधानिक कर्तव्य है।’ उन्होंने कहा कि संसद नागरिकता सहित केंद्रीय सूची के तहत आने वाले विषयों पर कानून बना सकती है।
उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 245 की धारा दो का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य संसद द्वारा पारित कानूनों का विरोध नहीं कर सकते। पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान सहित अन्य राज्यों ने कहा है कि वह संशोधित नागरिकता कानून को लागू नहीं करेंगे।