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शिवसेना ने शुक्रवार को कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को भारी जनादेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और भाजपा प्रमुख अमित शाह के राजनीतिक प्रबंधन के कारण मिला। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में दो मंत्री पद के लिए लालायित रही शिवसेना को इस बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में ज्यादा तरजीह मिलने की उम्मीद है। लोकसभा चुनाव से पहले शिवसेना से गठबंधन के बाद दोनों ही दल में बेहतर सामंजस्य बना है। इसके चलते शिवसेना में अंदर खाने चर्चा है कि इस बार दो कैबिनेट और एक राज्यमंत्री का पद मिल सकता है।
एनडीए में शिवसेना दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है जिसके फिर से 18 सांसद चुने गए हैं। पिछली सरकार में शिवसेना को एक कैबिनेट के अलावा एक राज्यमंत्री का ऑफर दिया गया था। शिवसेना सचिव राज्यसभा सदस्य अनिल देसाई को मंत्री पद की शपथ लेने के लिए दिल्ली भी भेजा गया था लेकिन, जब यह पता चला कि कैबिनेट नहीं राज्यमंत्री पद मिलेगा तब अनिल देसाई को एयरपोर्ट से ही वापस मुंबई बुला लिया गया था। इसके बाद शिवसेना और भाजपा के बीच कड़ुवाहट बढ़ गई थी जो पूरे साढ़े चार साल तक बरकरार रही। साल 2014 में मोदी मंत्रिमंडल में शिवसेना के एकमात्र मंत्री रहे अनंत गीते इस बार रायगढ़ से चुनाव हार गए हैं। इसी तरह औरंगाबाद से चंद्रकांत खैरे, शिरूर से शिवाजी आढ़लराव पाटिल को भी पराजय मिली हैं। यह सभी शिवसेना के अनुभवी सांसद रहे हैं। इसके बावजूद नए लोगों के चुनकर आने से शिवसेना ने पूर्व की अपनी संख्या को बरकरार रखा है।
वहीं, एक साथ आने से भाजपा-शिवसेना के बीच कटुता लगभग खत्म हो चुकी है। इसलिए केंद्र में मंत्री बनने के लिए शिवसेना के कई सांसद कतार में हैं। इसके मद्देनजर शिवसेना के सांसदों ने अभी से ही लॉबिंग शुरू कर दी है। वैसे दक्षिण मुंबई से शिवसेना सांसद अरविंद सांवत, वाशिम-बुलढ़ाणा से सांसद भावना गवली, और रत्नागिरी सिंधुदुर्ग से सांसद चुने गए विनायक राउत का नाम मंत्रीपद की दौड़ में शामिल है। लेकिन, शिवसेना सूत्रों की माने तो शिवसेना संसदीय दल के नेता व प्रवक्ता संजय राउत और पिछली बार मंत्रीपद की शपथ लेने से वंचित रहे अनिल देसाई को ‘मातोश्री’ से हरी झंडी मिल सकती है।
शिवसेना ने शुक्रवार को कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को भारी जनादेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और भाजपा प्रमुख अमित शाह के राजनीतिक प्रबंधन के कारण मिला। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में दो मंत्री पद के लिए लालायित रही शिवसेना को इस बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में ज्यादा तरजीह मिलने की उम्मीद है। लोकसभा चुनाव से पहले शिवसेना से गठबंधन के बाद दोनों ही दल में बेहतर सामंजस्य बना है। इसके चलते शिवसेना में अंदर खाने चर्चा है कि इस बार दो कैबिनेट और एक राज्यमंत्री का पद मिल सकता है।
एनडीए में शिवसेना दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है जिसके फिर से 18 सांसद चुने गए हैं। पिछली सरकार में शिवसेना को एक कैबिनेट के अलावा एक राज्यमंत्री का ऑफर दिया गया था। शिवसेना सचिव राज्यसभा सदस्य अनिल देसाई को मंत्री पद की शपथ लेने के लिए दिल्ली भी भेजा गया था लेकिन, जब यह पता चला कि कैबिनेट नहीं राज्यमंत्री पद मिलेगा तब अनिल देसाई को एयरपोर्ट से ही वापस मुंबई बुला लिया गया था। इसके बाद शिवसेना और भाजपा के बीच कड़ुवाहट बढ़ गई थी जो पूरे साढ़े चार साल तक बरकरार रही। साल 2014 में मोदी मंत्रिमंडल में शिवसेना के एकमात्र मंत्री रहे अनंत गीते इस बार रायगढ़ से चुनाव हार गए हैं। इसी तरह औरंगाबाद से चंद्रकांत खैरे, शिरूर से शिवाजी आढ़लराव पाटिल को भी पराजय मिली हैं। यह सभी शिवसेना के अनुभवी सांसद रहे हैं। इसके बावजूद नए लोगों के चुनकर आने से शिवसेना ने पूर्व की अपनी संख्या को बरकरार रखा है।
वहीं, एक साथ आने से भाजपा-शिवसेना के बीच कटुता लगभग खत्म हो चुकी है। इसलिए केंद्र में मंत्री बनने के लिए शिवसेना के कई सांसद कतार में हैं। इसके मद्देनजर शिवसेना के सांसदों ने अभी से ही लॉबिंग शुरू कर दी है। वैसे दक्षिण मुंबई से शिवसेना सांसद अरविंद सांवत, वाशिम-बुलढ़ाणा से सांसद भावना गवली, और रत्नागिरी सिंधुदुर्ग से सांसद चुने गए विनायक राउत का नाम मंत्रीपद की दौड़ में शामिल है। लेकिन, शिवसेना सूत्रों की माने तो शिवसेना संसदीय दल के नेता व प्रवक्ता संजय राउत और पिछली बार मंत्रीपद की शपथ लेने से वंचित रहे अनिल देसाई को ‘मातोश्री’ से हरी झंडी मिल सकती है।