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भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के पूर्व निदेशक रहे अजित डोभाल इस समय देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। वे पांचवे एनएसए हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी उन्हें यह जिम्मेदारी मिली हुई थी। शांतिकाल के सर्वोच्च सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित डोभाल पहले पुलिस अधिकारी हैं। पूर्वोत्तर, पंजाब, पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर में कई आतंकरोधी ऑपरेशन में शामिल रहे डोभाल को भारत का जेम्स बॉन्ड भी कहा जाता है।
क्यों कहते हैं जेम्स बॉन्ड
अजित डोभाल की जिंदगी फिल्मों में दिखाए जाने वाले जासूसी किरदारों जैसे ऑपरेशन और कामों से भरी पड़ी है। अपने काम के दौरान उन्होंने कई ऐसे मौके भी देखे जब उनका सामना सीधे मौत से हुआ था। उन्होंने सात साल तक पाकिस्तान में अंडर कवर एजेंट के रूप में काम किया था। उन्होंने कई स्थानीय लोगों से दोस्ती भी कर ली थी। हालांकि एक बार एक मस्जिद में उन्हें एक शख्स ने पहचान लिया था।
खुद डोभाल ने कई मौकों पर यह बताया कि कैसे पाकिस्तान में उन्हें एक व्यक्ति ने पहचान लिया था। दरअसल हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार सभी बच्चों का कर्ण छेदन किया जाता है। इसी वजह से डोभाल के कान में छेद था और मस्जिद में एक फकीर जैसे दिखने वाले शख्स ने यह जान लिया था कि वो हिंदू हैं।
पंजाब में आतंकवाद के दौरान ऑपरेशन ब्लैक थंडर के ठीक पहले डोभाल एक रिक्शेवाले का हुलिया बनाकर स्वर्ण मंदिर में अंदर दाखिल हो गए थे। वहां जाकर उन्होंने काफी जानकारियां एकत्रित की थीं। यह भी पता लगाया था कि स्वर्ण मंदिर में छिपे आतंकियों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां आईएसआई का सहयोग मिल रहा था।
जानिए उनके बारे में खास बातें
- अजित डोभाल भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं।
- उनका जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 20 जनवरी, 1945 को हुआ था। उनके पिता भारतीय सेना में थे।
- उनकी प्रारंभिक पढ़ाई अजमेर के सेना स्कूल से हुई थी और बाद मे उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की थी।
- वे 1968 बैच के केरल काडर के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं।
- अजित डोभाल 1972 में इंटेलीजेंस ब्यूरो के साथ जुड़ गए थे। करीब सात साल वे पाकिस्तान मे खुफिया जासूस के तौर पर रहे।
- पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक मे भी उन्होने अहम भूमिका निभाई थी।
- जम्मू-कश्मीर में घुसपैठियों और शांति के पक्षधर लोगों के बीच उन्होने काम किया और बहुत सारे आतंकियों को सरेंडर कराया था।
- साल 30 मई, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजीत डोभाल को देश के 5वें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया और ज़िम्मेदारी सौंपी।
- अजीत डोभाल को सैन्य सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है और यह सम्मान पाने वाले वह पहले पुलिस अधिकारी बने।
जानिए : किन चर्चाओं में रहे है अजित डोभाल
आपरेशन ब्लैक थंडर
अस्सी के दशक में पंजाब की हालत बहुत ज्यादा खराब थी और नाजुक दौर से गुजर रही थी उस वक़्त अजित डोभाल पंजाब गए और ब्लैकथंडर ऑपरेशन में योगदान दिया| अजित डोभाल ने ब्लैकथंडर ऑपरेशन मे खुद को साबित किया
अजित डोभाल अकेले पुलिस अधिकारी हैं जिन्हें कीर्ति चक्र भी मिल चुका है
सेना में कीर्ति चक्र बहुत बड़ा पुरस्कार माना जाता है, जो सेना के बाहर के लोगों को नहीं मिलता है मगर अजित डोभाल अकेले पुलिस अधिकारी हैं जिन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है।
महज सात साल की नौकरी के बाद ही "पुलिस मैडल" मिल गया
सामान्यता भारतीय पुलिस में 14-15 साल की नौकरी के बाद ही पुलिस मेडल मिलता है। मगर डोभाल को मिजोरम में सात साल की नौकरी के बाद ही पुलिस मेडल दे दिया गया था ।
डोभाल 2005 में रिटायर हो जाने के बावजूद भी खुफिया हल्कों में काफी सक्रिय रहे थे
1989 में डोभाल ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से चरमपंथियों को निकालने के लिए 'आपरेशन ब्लैक थंडर' के तहत पंजाब पुलिस और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के साथ मिलकर खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों के दल का नेतृत्व किया था|
कंधार विमान अपहरण में मुख्य वार्ताकार की भूमिका में रहे
1999 में कंधार ले जाए गए इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी 814 के अपहरणकर्ताओं के साथ मुख्य वार्ताकार भी रहे थे। डोभाल के बारे में ये भी चर्चा बहुत होती है कि 90 के दशक में उन्होंने कश्मीर के सबसे खतरनाकअलगाववादी कूका पारे को अपनी सूझबूझ से काउंटर इंसर्जेंट बनने के लिए मनाया था। 1999 के कंधार विमान अपहरण को दौरान तालिबान से बातचीत करने वाले भारतीय दल में अजीत डोभाल भी शामिल थे।
अनुच्छेद 370, जम्मू कश्मीर और डोभाल
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शोपियां में लोगों से मुलाकात करते और साथ खाना खाते हुए, सुरक्षा व्यवस्था का जायजा नजर आये।
व्हाइट हाउस
यह किस्सा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात का है। दोनों आमने-सामने बैठे थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डोनाल्ड ट्रंप का भाषण सुन रहे थे। ट्रंप के बाद पीएम मोदी को बोलना था। जैसे ही प्रधानमंत्री बोलने के लिए उठे तो उनके भाषण की कॉपी बिखर गई। सभागार की अग्रिम पंक्ति में अन्य अधिकारियों के साथ बैठे अजित डोभाल ने तुरंत उन कागजों को उठाया और समेटकर प्रधानमंत्री के सामने रख दिया।
पाकिस्तान मे जब अजित डोभाल को एक शख्स ने पकड़ लिया
विदर्भ मैनेजमेंट एसोसिएशन के कार्यक्रम के दौरान अजित डोभाल ने अपने भाषण में पाकिस्तान में बिताये हुए सात साल के बारे में बताते हुए कहा , ''पाकिस्तान के लाहौर में औलिया की एक मजार है, जहा अक्सर बहुत से लोग आते जाते हैं, एक बार वो वहां से गुजर रहे थे तो उस मजार के अंदर चले गए. वहाँ कोने में एक आदमी बैठा हुआ था उसने मुझे देखा और तुरंत सवाल किया "क्या तुम हिन्दू हो?'
डोभाल ने उन्हें बताया कि नहीं, फिर उसने कहा मेरे साथ
डोभाल ने उसकी ये बात सुनकर आओ और फिर वो मुझे पीछे की तरफ़ एक छोटे से कमरे में ले गया, उसने कमरे का दरवाजा बंद किया और बोला, तुम हिंदू हो, आपके कान छिदे हुए हैं, इस पर डोभाल ने बोला की बचपन में मेरे कान छेद दिए गए थे उसके बाद मैंने अपना धर्म बदल लिया था उसने फिर भी विश्वास नहीं किया और बोला, तुम इसकी प्लास्टिक सर्जरी करवा लो नही तो यह के लोगो को तुम पर शक हो जायेगा और तुम्हारी जान खतरें में पद जाएगी । पलटकर पूछा की , " तुमने मुझे कैसे पहचाना, उसने बोला, क्योंकि मैं भी हिंदू हूं फिर उसने अपने पास में रखी एक अल्मारी खोली जिसमें शिव और देवी दुर्गा की एक प्रतिमा रखी हुयी थी उसने कहा देखो मैं इनकी पूजा करता हूँ लेकिन बाहर लोग मुझे एक मुस्लिम मानते है "।
सार
- भारत के जेम्स बॉन्ड कहे जाते हैं अजित डोभाल
- इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक पद पर रह चुके हैं
- पाकिस्तान में सात साल तक अंडर कवर एजेंट रह चुके हैं।
- लगातार दूसरी बार भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
विस्तार
भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के पूर्व निदेशक रहे अजित डोभाल इस समय देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। वे पांचवे एनएसए हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी उन्हें यह जिम्मेदारी मिली हुई थी। शांतिकाल के सर्वोच्च सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित डोभाल पहले पुलिस अधिकारी हैं। पूर्वोत्तर, पंजाब, पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर में कई आतंकरोधी ऑपरेशन में शामिल रहे डोभाल को भारत का जेम्स बॉन्ड भी कहा जाता है।
क्यों कहते हैं जेम्स बॉन्ड
अजित डोभाल की जिंदगी फिल्मों में दिखाए जाने वाले जासूसी किरदारों जैसे ऑपरेशन और कामों से भरी पड़ी है। अपने काम के दौरान उन्होंने कई ऐसे मौके भी देखे जब उनका सामना सीधे मौत से हुआ था। उन्होंने सात साल तक पाकिस्तान में अंडर कवर एजेंट के रूप में काम किया था। उन्होंने कई स्थानीय लोगों से दोस्ती भी कर ली थी। हालांकि एक बार एक मस्जिद में उन्हें एक शख्स ने पहचान लिया था।
खुद डोभाल ने कई मौकों पर यह बताया कि कैसे पाकिस्तान में उन्हें एक व्यक्ति ने पहचान लिया था। दरअसल हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार सभी बच्चों का कर्ण छेदन किया जाता है। इसी वजह से डोभाल के कान में छेद था और मस्जिद में एक फकीर जैसे दिखने वाले शख्स ने यह जान लिया था कि वो हिंदू हैं।
पंजाब में आतंकवाद के दौरान ऑपरेशन ब्लैक थंडर के ठीक पहले डोभाल एक रिक्शेवाले का हुलिया बनाकर स्वर्ण मंदिर में अंदर दाखिल हो गए थे। वहां जाकर उन्होंने काफी जानकारियां एकत्रित की थीं। यह भी पता लगाया था कि स्वर्ण मंदिर में छिपे आतंकियों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां आईएसआई का सहयोग मिल रहा था।
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राष्ट्रीय रक्षा सलाहकार अजीत डोभाल
- फोटो : PTI
जानिए उनके बारे में खास बातें
- अजित डोभाल भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं।
- उनका जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 20 जनवरी, 1945 को हुआ था। उनके पिता भारतीय सेना में थे।
- उनकी प्रारंभिक पढ़ाई अजमेर के सेना स्कूल से हुई थी और बाद मे उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की थी।
- वे 1968 बैच के केरल काडर के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं।
- अजित डोभाल 1972 में इंटेलीजेंस ब्यूरो के साथ जुड़ गए थे। करीब सात साल वे पाकिस्तान मे खुफिया जासूस के तौर पर रहे।
- पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक मे भी उन्होने अहम भूमिका निभाई थी।
- जम्मू-कश्मीर में घुसपैठियों और शांति के पक्षधर लोगों के बीच उन्होने काम किया और बहुत सारे आतंकियों को सरेंडर कराया था।
- साल 30 मई, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजीत डोभाल को देश के 5वें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया और ज़िम्मेदारी सौंपी।
- अजीत डोभाल को सैन्य सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है और यह सम्मान पाने वाले वह पहले पुलिस अधिकारी बने।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल
- फोटो : facebook
जानिए : किन चर्चाओं में रहे है अजित डोभाल
आपरेशन ब्लैक थंडर
अस्सी के दशक में पंजाब की हालत बहुत ज्यादा खराब थी और नाजुक दौर से गुजर रही थी उस वक़्त अजित डोभाल पंजाब गए और ब्लैकथंडर ऑपरेशन में योगदान दिया| अजित डोभाल ने ब्लैकथंडर ऑपरेशन मे खुद को साबित किया
अजित डोभाल अकेले पुलिस अधिकारी हैं जिन्हें कीर्ति चक्र भी मिल चुका है
सेना में कीर्ति चक्र बहुत बड़ा पुरस्कार माना जाता है, जो सेना के बाहर के लोगों को नहीं मिलता है मगर अजित डोभाल अकेले पुलिस अधिकारी हैं जिन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है।
महज सात साल की नौकरी के बाद ही "पुलिस मैडल" मिल गया
सामान्यता भारतीय पुलिस में 14-15 साल की नौकरी के बाद ही पुलिस मेडल मिलता है। मगर डोभाल को मिजोरम में सात साल की नौकरी के बाद ही पुलिस मेडल दे दिया गया था ।
डोभाल 2005 में रिटायर हो जाने के बावजूद भी खुफिया हल्कों में काफी सक्रिय रहे थे
1989 में डोभाल ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से चरमपंथियों को निकालने के लिए 'आपरेशन ब्लैक थंडर' के तहत पंजाब पुलिस और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के साथ मिलकर खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों के दल का नेतृत्व किया था|
कंधार विमान अपहरण में मुख्य वार्ताकार की भूमिका में रहे
1999 में कंधार ले जाए गए इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी 814 के अपहरणकर्ताओं के साथ मुख्य वार्ताकार भी रहे थे। डोभाल के बारे में ये भी चर्चा बहुत होती है कि 90 के दशक में उन्होंने कश्मीर के सबसे खतरनाकअलगाववादी कूका पारे को अपनी सूझबूझ से काउंटर इंसर्जेंट बनने के लिए मनाया था। 1999 के कंधार विमान अपहरण को दौरान तालिबान से बातचीत करने वाले भारतीय दल में अजीत डोभाल भी शामिल थे।
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- फोटो : ANI
अनुच्छेद 370, जम्मू कश्मीर और डोभाल
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शोपियां में लोगों से मुलाकात करते और साथ खाना खाते हुए, सुरक्षा व्यवस्था का जायजा नजर आये।
व्हाइट हाउस
यह किस्सा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात का है। दोनों आमने-सामने बैठे थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डोनाल्ड ट्रंप का भाषण सुन रहे थे। ट्रंप के बाद पीएम मोदी को बोलना था। जैसे ही प्रधानमंत्री बोलने के लिए उठे तो उनके भाषण की कॉपी बिखर गई। सभागार की अग्रिम पंक्ति में अन्य अधिकारियों के साथ बैठे अजित डोभाल ने तुरंत उन कागजों को उठाया और समेटकर प्रधानमंत्री के सामने रख दिया।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल
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पाकिस्तान मे जब अजित डोभाल को एक शख्स ने पकड़ लिया
विदर्भ मैनेजमेंट एसोसिएशन के कार्यक्रम के दौरान अजित डोभाल ने अपने भाषण में पाकिस्तान में बिताये हुए सात साल के बारे में बताते हुए कहा , ''पाकिस्तान के लाहौर में औलिया की एक मजार है, जहा अक्सर बहुत से लोग आते जाते हैं, एक बार वो वहां से गुजर रहे थे तो उस मजार के अंदर चले गए. वहाँ कोने में एक आदमी बैठा हुआ था उसने मुझे देखा और तुरंत सवाल किया "क्या तुम हिन्दू हो?'
डोभाल ने उन्हें बताया कि नहीं, फिर उसने कहा मेरे साथ
डोभाल ने उसकी ये बात सुनकर आओ और फिर वो मुझे पीछे की तरफ़ एक छोटे से कमरे में ले गया, उसने कमरे का दरवाजा बंद किया और बोला, तुम हिंदू हो, आपके कान छिदे हुए हैं, इस पर डोभाल ने बोला की बचपन में मेरे कान छेद दिए गए थे उसके बाद मैंने अपना धर्म बदल लिया था उसने फिर भी विश्वास नहीं किया और बोला, तुम इसकी प्लास्टिक सर्जरी करवा लो नही तो यह के लोगो को तुम पर शक हो जायेगा और तुम्हारी जान खतरें में पद जाएगी । पलटकर पूछा की , " तुमने मुझे कैसे पहचाना, उसने बोला, क्योंकि मैं भी हिंदू हूं फिर उसने अपने पास में रखी एक अल्मारी खोली जिसमें शिव और देवी दुर्गा की एक प्रतिमा रखी हुयी थी उसने कहा देखो मैं इनकी पूजा करता हूँ लेकिन बाहर लोग मुझे एक मुस्लिम मानते है "।