भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को देश के पहले मानव मिशन अपने गगनयान के विकास इंजन का लंबी अवधि का तीसरा हॉट टेस्ट सफलता पूर्वक संपन्न किया। मानव आधारित जीएसएलवी एमके3 मिसाइल पर के कोर एल110 लिक्विड स्टेज पर इस परीक्षण को पूरा किया गया। इसके लिए इसरो को एलन मस्क से भी बधाई संदेश मिला।
इसरो ने बुधवार को जब इसकी जानकारी देने के लिए ट्वीट किया तो उसे रीट्वीट करते हुए एलन मस्क ने लिखा, 'बधाई भारत।'
तमिलनाडु के महेंद्रगिरी स्थित इसरो प्रोपल्शन कॉम्पलेक्स में इंजन को 240 सेकंड तक चलाया गया। इस दौरान इंजन ने वांछित लक्ष्य को प्राप्त किया। इंजन का प्रदर्शन पिछले परीक्षण के दौरान लगाए गए अनुमानों से मेल खाया। इसरो गगनयान के जरिये मानव को अंतरिक्ष में ले जाने और फिर वापस लाने की संभावनाओं पर काम कर रहा है।
बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का पहला मानव रहित गगनयान मिशन का प्रक्षेपण इस साल दिसंबर के अंत तक होने की संभावना है। कोरोना की वजह से यह मिशन एक साल की देरी से चल रही है। इसका प्रक्षेपण दिसंबर 2020 में होना था। लेकिन तय समय में हार्डवेयर की आपूर्ति में हुई देरी की वजह से इसे मानव रेटिंग बनाना संभव नहीं हो सका।
मानव रेटिंग प्रक्षेपण यान उसे माना जाता है, जिसके हार्डवेयर की विश्वसनीयता 0.99 होती है। गगनयान मिशन के हिस्से के रूप में एक के बाद एक दो मानव रहित यान के प्रक्षेपण की योजना है। बंगलूरू स्थित अंतरिक्ष एजेंसी मुख्यालय से आधिकारिक बयान में कहा गया कि कोरोना महामारी की पहले और दूसरी लहर ने गगनयान कार्यक्रम को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
इसरो के एक अधिकारी ने कहा, ‘मिशन के लिए हार्डवेयर औद्योगिक कंपनियों द्वारा तैयार किए जा रहे हैं। लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग अवधि में लॉकडाउन की वजह से समय पर इसकी आपूर्ति नहीं हो सकी। हार्डवेयर का डिजाइन, विश्लेषण और प्रलेखन इसरो द्वारा किया जाता है। जबकि गगनयान के लिए हार्डवेयर के निर्माण और आपूर्ति का काम देश के सैकड़ों औद्योगिक कंपनियों द्वारा किया जाता है।’
सूत्रों का कहना है कि इसरो कुछ महत्वपूर्ण गतिविधियों और घटकों की आपूर्ति में फ्रांसीसी, रूसी और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसियों की मदद भी ले रहा है। गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य एक भारतीय प्रक्षेपण यान पर मनुष्यों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता प्रदर्शित करना है।
विस्तार
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को देश के पहले मानव मिशन अपने गगनयान के विकास इंजन का लंबी अवधि का तीसरा हॉट टेस्ट सफलता पूर्वक संपन्न किया। मानव आधारित जीएसएलवी एमके3 मिसाइल पर के कोर एल110 लिक्विड स्टेज पर इस परीक्षण को पूरा किया गया। इसके लिए इसरो को एलन मस्क से भी बधाई संदेश मिला।
इसरो ने बुधवार को जब इसकी जानकारी देने के लिए ट्वीट किया तो उसे रीट्वीट करते हुए एलन मस्क ने लिखा, 'बधाई भारत।'
तमिलनाडु के महेंद्रगिरी स्थित इसरो प्रोपल्शन कॉम्पलेक्स में इंजन को 240 सेकंड तक चलाया गया। इस दौरान इंजन ने वांछित लक्ष्य को प्राप्त किया। इंजन का प्रदर्शन पिछले परीक्षण के दौरान लगाए गए अनुमानों से मेल खाया। इसरो गगनयान के जरिये मानव को अंतरिक्ष में ले जाने और फिर वापस लाने की संभावनाओं पर काम कर रहा है।
बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का पहला मानव रहित गगनयान मिशन का प्रक्षेपण इस साल दिसंबर के अंत तक होने की संभावना है। कोरोना की वजह से यह मिशन एक साल की देरी से चल रही है। इसका प्रक्षेपण दिसंबर 2020 में होना था। लेकिन तय समय में हार्डवेयर की आपूर्ति में हुई देरी की वजह से इसे मानव रेटिंग बनाना संभव नहीं हो सका।
मानव रेटिंग प्रक्षेपण यान उसे माना जाता है, जिसके हार्डवेयर की विश्वसनीयता 0.99 होती है। गगनयान मिशन के हिस्से के रूप में एक के बाद एक दो मानव रहित यान के प्रक्षेपण की योजना है। बंगलूरू स्थित अंतरिक्ष एजेंसी मुख्यालय से आधिकारिक बयान में कहा गया कि कोरोना महामारी की पहले और दूसरी लहर ने गगनयान कार्यक्रम को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
इसरो के एक अधिकारी ने कहा, ‘मिशन के लिए हार्डवेयर औद्योगिक कंपनियों द्वारा तैयार किए जा रहे हैं। लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग अवधि में लॉकडाउन की वजह से समय पर इसकी आपूर्ति नहीं हो सकी। हार्डवेयर का डिजाइन, विश्लेषण और प्रलेखन इसरो द्वारा किया जाता है। जबकि गगनयान के लिए हार्डवेयर के निर्माण और आपूर्ति का काम देश के सैकड़ों औद्योगिक कंपनियों द्वारा किया जाता है।’
सूत्रों का कहना है कि इसरो कुछ महत्वपूर्ण गतिविधियों और घटकों की आपूर्ति में फ्रांसीसी, रूसी और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसियों की मदद भी ले रहा है। गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य एक भारतीय प्रक्षेपण यान पर मनुष्यों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता प्रदर्शित करना है।