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कर्नाटक में 104 सीटें जीतकर बीजेपी कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी लेकिन बहुमत साबित करने से महज 8 सीटें दूर रह गई। इस सबके बीच सत्ता हथियाने की जोर आजमाइश में बीजेपी ने बाजी मारी और सूबे के राज्यपाल ने येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ तक दिला दी। राजनीति की जोर आजमाइश का ये रोचक मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा और अब आज बीजेपी और येदियुरप्पा दोनों के लिए बहुत अहम होगा। अब पल पल बदलते घटनाक्रमों के बीच शनिवार को मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को शनिवार शाम अपना बहुमत पेश करना होगा। उन्हें महज आठ विधायकों की जरूरत है।
आज-कैसे बचेगी कुर्सी
मुख्यमंत्री राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी हैं और उन्हें विश्वास है कि वह कांग्रेस और जनता दल (एस) के कुछ विधायकों को रातभर में तोड़ने में कामयाब हो जाएंगे। लेकिन राजनीतिक जानकारों और पार्टी सूत्रों की मानें तो बीजेपी के पाले में 12 विधायक आ सकते हैं इनमें से आठ वो कांग्रेस के नेता हैं जो पिछले दिनों से कांग्रेस पार्टी की किसी भी बैठक में शामिल नहीं हुए वहीं दो जेडीएस और दो अन्य विधायकों का नाम सामने आ रहा है।
इसी बीच अपने विधायकों को टूटने से बचाने के लिए कांग्रेस और जेडीएस अपने विधायकों को लेकर हैदराबाद में हैं। दो निर्दलीय विधायक जिसपर बीजेपी का दावा कर रही है वह कांग्रेस के धरना प्रदर्शन में दिखे थे।
कर्नाटक की यह राजनीति दिलचस्प होती जा रही है। इसी उठापटक के बीच अगर बीजेपी का दावा सही साबित होता है और 12 विधायक पार्टी के पाले में आ जाते हैं तो येदियुरप्पा अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने में सफल हो जाएंगे।
वहीं दूसरी ओर जेडीएस नेता और विपक्ष के मुख्यमंत्री पद के चेहरे कुमारस्वामी ने दो सीटों पर जीत दर्ज की है नियम के मुताबिक उन्हें एक सीट छोड़नी होगी। कुमारस्वामी के एक सीट छोड़ते ही सदन में विधायकों की संख्या 222 से 221 हो जाएगी। ऐसे में कर्नाटक की तस्वीर और अलग होगी और बहुमत के लिए 111 सीटों की जरूरत होगी।
येदियुरप्पा को अपनी कुर्सी बचाने के लिए कई दांव पेंच खेलने पड़ेंगे जिसमें सबसे अहम है 104 से विधायकों को 112 करना। वहीं दूसरी ओर विधानसभा के सचिव उस विधायक का नाम प्रोटेम स्पीकर के लिए राज्यपाल को भेजेंगे। उसके बाद राज्यपाल उस विधायक को प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ दिलाएंगे। इसके बाद प्रोटेम स्पीकर सभी नव निर्वाचित विधायकों को सदन में उपस्थित रहने के लिए आमंत्रण भेजेंगे।
एक बार जब सभी विधायकों के शपथ ग्रहण का काम पूरा हो जाएगा, उसके बाद प्रो-टेम स्पीकर के पास दो विकल्प होंगे। एक ये कि वो फ्लोर टेस्ट शुरू कराए और बहुमत के लिए वोटिंग हो या फिर वो पहले सदन के स्पीकर को निर्वाचित करें।
जब विधायकों की वोटिंग होगी तो पहले ध्वनि मत (वॉयस वोट) लिया जाएगा। इसके बाद कोरम बेल बजेगी और सभी विधायकों को दो खेमों में बंटने के लिए कहा जाएगा। और फिर दोनों खेमों में बंटे विधायकों की गिनती की जाएगी। इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद प्रोटेम स्पीकर परिणाम की घोषणा करेंगे। जिससे यह पता चलेगा कि बहुमत मिला या नहीं।
कर्नाटक में 104 सीटें जीतकर बीजेपी कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी लेकिन बहुमत साबित करने से महज 8 सीटें दूर रह गई। इस सबके बीच सत्ता हथियाने की जोर आजमाइश में बीजेपी ने बाजी मारी और सूबे के राज्यपाल ने येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ तक दिला दी। राजनीति की जोर आजमाइश का ये रोचक मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा और अब आज बीजेपी और येदियुरप्पा दोनों के लिए बहुत अहम होगा। अब पल पल बदलते घटनाक्रमों के बीच शनिवार को मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को शनिवार शाम अपना बहुमत पेश करना होगा। उन्हें महज आठ विधायकों की जरूरत है।
आज-कैसे बचेगी कुर्सी
मुख्यमंत्री राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी हैं और उन्हें विश्वास है कि वह कांग्रेस और जनता दल (एस) के कुछ विधायकों को रातभर में तोड़ने में कामयाब हो जाएंगे। लेकिन राजनीतिक जानकारों और पार्टी सूत्रों की मानें तो बीजेपी के पाले में 12 विधायक आ सकते हैं इनमें से आठ वो कांग्रेस के नेता हैं जो पिछले दिनों से कांग्रेस पार्टी की किसी भी बैठक में शामिल नहीं हुए वहीं दो जेडीएस और दो अन्य विधायकों का नाम सामने आ रहा है।
इसी बीच अपने विधायकों को टूटने से बचाने के लिए कांग्रेस और जेडीएस अपने विधायकों को लेकर हैदराबाद में हैं। दो निर्दलीय विधायक जिसपर बीजेपी का दावा कर रही है वह कांग्रेस के धरना प्रदर्शन में दिखे थे।
कर्नाटक की यह राजनीति दिलचस्प होती जा रही है। इसी उठापटक के बीच अगर बीजेपी का दावा सही साबित होता है और 12 विधायक पार्टी के पाले में आ जाते हैं तो येदियुरप्पा अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने में सफल हो जाएंगे।
वहीं दूसरी ओर जेडीएस नेता और विपक्ष के मुख्यमंत्री पद के चेहरे कुमारस्वामी ने दो सीटों पर जीत दर्ज की है नियम के मुताबिक उन्हें एक सीट छोड़नी होगी। कुमारस्वामी के एक सीट छोड़ते ही सदन में विधायकों की संख्या 222 से 221 हो जाएगी। ऐसे में कर्नाटक की तस्वीर और अलग होगी और बहुमत के लिए 111 सीटों की जरूरत होगी।
क्या क्या हो सकता है
येदियुरप्पा को अपनी कुर्सी बचाने के लिए कई दांव पेंच खेलने पड़ेंगे जिसमें सबसे अहम है 104 से विधायकों को 112 करना। वहीं दूसरी ओर विधानसभा के सचिव उस विधायक का नाम प्रोटेम स्पीकर के लिए राज्यपाल को भेजेंगे। उसके बाद राज्यपाल उस विधायक को प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ दिलाएंगे। इसके बाद प्रोटेम स्पीकर सभी नव निर्वाचित विधायकों को सदन में उपस्थित रहने के लिए आमंत्रण भेजेंगे।
एक बार जब सभी विधायकों के शपथ ग्रहण का काम पूरा हो जाएगा, उसके बाद प्रो-टेम स्पीकर के पास दो विकल्प होंगे। एक ये कि वो फ्लोर टेस्ट शुरू कराए और बहुमत के लिए वोटिंग हो या फिर वो पहले सदन के स्पीकर को निर्वाचित करें।
जब विधायकों की वोटिंग होगी तो पहले ध्वनि मत (वॉयस वोट) लिया जाएगा। इसके बाद कोरम बेल बजेगी और सभी विधायकों को दो खेमों में बंटने के लिए कहा जाएगा। और फिर दोनों खेमों में बंटे विधायकों की गिनती की जाएगी। इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद प्रोटेम स्पीकर परिणाम की घोषणा करेंगे। जिससे यह पता चलेगा कि बहुमत मिला या नहीं।