एचआईवी पीड़ित एक 13 साल की बच्ची को सरकारी स्कूल के हॉस्टल से निकाले जाने का शर्मनाक मामला सामने आया है। एक बाल अधिकार कार्यकर्ता के मुताबिक ओडिशा में केंद्र सरकार के तहत आने वाले जवाहर नवोदय विद्यालय के स्कूल के हॉस्टल से अन्य बच्चों और उनके माता पिता के दबाव में एक बच्ची को निकाल दिया गया। जवाहर नवोदय विद्यालय के हॉस्टल में बच्ची को एक साल से रहने से वंचित किया जा रहा है। जबकि स्कूल प्रशासन ने उसे अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए कहा है।
बाल अधिकार कार्यकर्ता बिरजा प्रसाद पति ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत आने वाले नवोदय विद्यालय का प्रशासन बच्ची के साथ अनुचित तरीके से पेश हो रहा है। उसके एचआईवी पीड़ित होने की बात को गुप्त नहीं रखा गया। यह उसके निजता के अधिकार का भी उल्लंघन है। वहीं स्कूल के प्रधानाचार्य पावर्ती प्रधान का कहना है कि बच्ची के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया है।
बच्ची के स्वास्थ्य को देखते हुए हमने उसके अभिभावकों की सलाह पर उसे घर से पढ़ने की इजाजत दी है। प्रधानाचार्य ने कहा कि बच्ची पढ़ने में अच्छी है और अच्छे अंकों के साथ नौंवी कक्षा में गई है। मगर उसके अपमान के चलते अभिभावकों ने उसे गांव के स्कूल में ही पढ़ाना ठीक समझा।
Published By: Amit Tiwari
एचआईवी पीड़ित एक 13 साल की बच्ची को सरकारी स्कूल के हॉस्टल से निकाले जाने का शर्मनाक मामला सामने आया है। एक बाल अधिकार कार्यकर्ता के मुताबिक ओडिशा में केंद्र सरकार के तहत आने वाले जवाहर नवोदय विद्यालय के स्कूल के हॉस्टल से अन्य बच्चों और उनके माता पिता के दबाव में एक बच्ची को निकाल दिया गया। जवाहर नवोदय विद्यालय के हॉस्टल में बच्ची को एक साल से रहने से वंचित किया जा रहा है। जबकि स्कूल प्रशासन ने उसे अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए कहा है।
बाल अधिकार कार्यकर्ता बिरजा प्रसाद पति ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत आने वाले नवोदय विद्यालय का प्रशासन बच्ची के साथ अनुचित तरीके से पेश हो रहा है। उसके एचआईवी पीड़ित होने की बात को गुप्त नहीं रखा गया। यह उसके निजता के अधिकार का भी उल्लंघन है। वहीं स्कूल के प्रधानाचार्य पावर्ती प्रधान का कहना है कि बच्ची के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया है।
बच्ची के स्वास्थ्य को देखते हुए हमने उसके अभिभावकों की सलाह पर उसे घर से पढ़ने की इजाजत दी है। प्रधानाचार्य ने कहा कि बच्ची पढ़ने में अच्छी है और अच्छे अंकों के साथ नौंवी कक्षा में गई है। मगर उसके अपमान के चलते अभिभावकों ने उसे गांव के स्कूल में ही पढ़ाना ठीक समझा।
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