हम लोगों को कोरोना से जैसी वैश्विक महामारी से बचाने वाले 'भगवान' यानी डॉक्टरों को भी इस वायरस का डर सताने लगा है। मास्क, बॉडी सूट जैसे सुरक्षा के इंतजाम सही नहीं होने की वजह से ड्यूटी निभाना उनके लिए चुनौती बनता जा रहा है।
दिल्ली के एक नामी अस्पताल के चार डॉक्टर ड्यूटी पर आना छोड़ चुके हैं। यहीं के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने भी चेतावनी दी है कि मौजूदा स्थिति में अगले हफ्ते से उनके लिए आना भी मुश्किल होगा। इसी तरह का डर केजीएमयू के चिकित्सक के भीतर भी दिखाई दिया। पल्मोनरी विभाग के चिकित्सक ने कहा कि वायरस जितने खतरनाक तरीके से लोगों को शिकार बना रहा है, उस तरह के सुरक्षा इंतजाम नहीं हैं।
हिन्दूराव अस्पताल का मामला भी विवाद में
उत्तरी दिल्ली की एमसीडी कमिश्नर वर्षा जोशी और हिन्दूराव अस्पताल के डॉक्टर का विवाद भी चर्चा का विषय बना हुआ है। वर्षा जोशी ने पीपीई किट में डॉक्टर की फोटो ट्विटर पर पोस्ट की है। इसे माई गॉव ने भी अपनी साइट पर पोस्ट कर दिया। जबकि हिन्दूराव के डॉक्टरों ने कहा कि जो फोटो वर्षा जोशी द्वारा ट्वीट करके दिखाई गई है, वह सामान्य सा स्टाफ है। उसने जो सफेद रंग का सूट पहन रखा है, वह पीपीई सूट है ही नहीं। बताते हैं अस्पताल के डाक्टरों के पास पर्याप्त संख्या में एन-95 मास्क भी नहीं हैं। गॉगल भी नहीं हैं। अस्पताल के डॉक्टर सामान्य मास्क में ही अस्पताल में घूम रहे हैं।
अस्पताल के डॉक्टर के संजीवन चौधरी ने भी कमिश्नर को बेनकाब कर दिया है। संजीवन चौधरी ने अपने ट्विटर पर एक फोटो शेयर की है। इसमें मेयर अवतार सिंह हैं। अवतार सिंह एन-95 मास्क लगाए हैं, जबकि उनके (अवतार के) आसपास चल रहे डॉक्टर, नर्स के पास स्तरीय मास्क ही नहीं है।
केजीएमयू की चिकित्सक ने कहा, मामला गंभीर है
लखनऊ के केजीएमयू की प्रो. डॉक्टर ने कहा कि डॉक्टरों की सुरक्षा सबसे पहले होनी चाहिए। उन्हें मरीज के सामने बैठने से पहले सुरक्षा के सभी उपकरण मिलने चाहिए। कोरोना वायरस का संक्रमण हो या न हो, यह बाद की बात है। सूत्र का कहना है कि इस वायरस का संक्रमण बहुत रहस्यमय है। कई लोगों में लक्षण नहीं दिखता और वह कोरोना से संक्रमित मिल रहे हैं। वरिष्ठ चिकित्सक का कहना है कि सुरक्षा किट को लेकर उनके साथियों में भी चिंता रहती है। सरकार को इस बारे में तेजी से सोचना चाहिए।
हम भी संसाधनों की कमी में नहीं करते ओपीडी
सिल्वर लाइन निजी नर्सिंग होम चलाने वाले डॉक्टर विनोद बिहारी का भी कहना है कि कोरोना वायरस डरा रहा है। इसके कारण साधारण खांसी, जुकाम, बुखार वाले मरीज को देखने में डर लगता है। इसलिए ओपीडी को मोबाइल फोन के जरिए चलाया जा रहा है।
एक सरकारी अस्पताल की मेडिकल असिस्टेंट का कहना है कि पिछले 15 दिन से वह अपने घर नहीं गई हैं। अस्पताल में कोरोना संक्रमण को देखते हुए उन सबके रहने का अलग इंतजाम हुआ है, लेकिन फिर भी डर लगा रहता है। उत्तरी दिल्ली मेडिकल कॉलेज के एक अन्य डॉक्टर का भी कहना है कि डॉक्टर भी तो आदमी है, उन्हें भी डर लगना स्वाभाविक है।
फेसशील्ड, गॉगल, सूट (पीपीई) मिले तो आए जान में जान
दिल्ली और केंद्र सरकार के अधीन आने वाले चिकित्सकों का कहना है कि चाहे सरकार ओपीडी चलाए या फिर अस्पताल, उसे सुरक्षा के पूरे इंतजाम करने चाहिए। डॉक्टर और सहायक स्टाफ को एन-95 मास्क, फेस शील्ड, गॉगल, हेजमेट सूट (पीपुल्स प्रोटेक्शन इक्विपमेंट) उपलब्ध कराए जाएं ताकि चिकित्सक अस्पताल में जाए, चेंजिंग रूम में जाकर अपने कपड़े उतारे और पहले दो गाऊन की लेयर, फिर हेजमेट सूट से लैस होकर मरीज के पास जाए। सूत्र का कहना है कि अमेरिका, इटली, चीन के भी कोरोना का इलाज करने वाले चिकित्सक इससे संक्रमित होने से नहीं बच पाए। हालांकि चिकित्सकों का कहना है कि सरकारी अस्पताल में उन्हें हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा दी जा रही है, लेकिन इतना ही पर्याप्त नहीं है।
विस्तार
हम लोगों को कोरोना से जैसी वैश्विक महामारी से बचाने वाले 'भगवान' यानी डॉक्टरों को भी इस वायरस का डर सताने लगा है। मास्क, बॉडी सूट जैसे सुरक्षा के इंतजाम सही नहीं होने की वजह से ड्यूटी निभाना उनके लिए चुनौती बनता जा रहा है।
दिल्ली के एक नामी अस्पताल के चार डॉक्टर ड्यूटी पर आना छोड़ चुके हैं। यहीं के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने भी चेतावनी दी है कि मौजूदा स्थिति में अगले हफ्ते से उनके लिए आना भी मुश्किल होगा। इसी तरह का डर केजीएमयू के चिकित्सक के भीतर भी दिखाई दिया। पल्मोनरी विभाग के चिकित्सक ने कहा कि वायरस जितने खतरनाक तरीके से लोगों को शिकार बना रहा है, उस तरह के सुरक्षा इंतजाम नहीं हैं।
हिन्दूराव अस्पताल का मामला भी विवाद में
उत्तरी दिल्ली की एमसीडी कमिश्नर वर्षा जोशी और हिन्दूराव अस्पताल के डॉक्टर का विवाद भी चर्चा का विषय बना हुआ है। वर्षा जोशी ने पीपीई किट में डॉक्टर की फोटो ट्विटर पर पोस्ट की है। इसे माई गॉव ने भी अपनी साइट पर पोस्ट कर दिया। जबकि हिन्दूराव के डॉक्टरों ने कहा कि जो फोटो वर्षा जोशी द्वारा ट्वीट करके दिखाई गई है, वह सामान्य सा स्टाफ है। उसने जो सफेद रंग का सूट पहन रखा है, वह पीपीई सूट है ही नहीं। बताते हैं अस्पताल के डाक्टरों के पास पर्याप्त संख्या में एन-95 मास्क भी नहीं हैं। गॉगल भी नहीं हैं। अस्पताल के डॉक्टर सामान्य मास्क में ही अस्पताल में घूम रहे हैं।
अस्पताल के डॉक्टर के संजीवन चौधरी ने भी कमिश्नर को बेनकाब कर दिया है। संजीवन चौधरी ने अपने ट्विटर पर एक फोटो शेयर की है। इसमें मेयर अवतार सिंह हैं। अवतार सिंह एन-95 मास्क लगाए हैं, जबकि उनके (अवतार के) आसपास चल रहे डॉक्टर, नर्स के पास स्तरीय मास्क ही नहीं है।
केजीएमयू की चिकित्सक ने कहा, मामला गंभीर है
लखनऊ के केजीएमयू की प्रो. डॉक्टर ने कहा कि डॉक्टरों की सुरक्षा सबसे पहले होनी चाहिए। उन्हें मरीज के सामने बैठने से पहले सुरक्षा के सभी उपकरण मिलने चाहिए। कोरोना वायरस का संक्रमण हो या न हो, यह बाद की बात है। सूत्र का कहना है कि इस वायरस का संक्रमण बहुत रहस्यमय है। कई लोगों में लक्षण नहीं दिखता और वह कोरोना से संक्रमित मिल रहे हैं। वरिष्ठ चिकित्सक का कहना है कि सुरक्षा किट को लेकर उनके साथियों में भी चिंता रहती है। सरकार को इस बारे में तेजी से सोचना चाहिए।
हम भी संसाधनों की कमी में नहीं करते ओपीडी
सिल्वर लाइन निजी नर्सिंग होम चलाने वाले डॉक्टर विनोद बिहारी का भी कहना है कि कोरोना वायरस डरा रहा है। इसके कारण साधारण खांसी, जुकाम, बुखार वाले मरीज को देखने में डर लगता है। इसलिए ओपीडी को मोबाइल फोन के जरिए चलाया जा रहा है।
एक सरकारी अस्पताल की मेडिकल असिस्टेंट का कहना है कि पिछले 15 दिन से वह अपने घर नहीं गई हैं। अस्पताल में कोरोना संक्रमण को देखते हुए उन सबके रहने का अलग इंतजाम हुआ है, लेकिन फिर भी डर लगा रहता है। उत्तरी दिल्ली मेडिकल कॉलेज के एक अन्य डॉक्टर का भी कहना है कि डॉक्टर भी तो आदमी है, उन्हें भी डर लगना स्वाभाविक है।
फेसशील्ड, गॉगल, सूट (पीपीई) मिले तो आए जान में जान
दिल्ली और केंद्र सरकार के अधीन आने वाले चिकित्सकों का कहना है कि चाहे सरकार ओपीडी चलाए या फिर अस्पताल, उसे सुरक्षा के पूरे इंतजाम करने चाहिए। डॉक्टर और सहायक स्टाफ को एन-95 मास्क, फेस शील्ड, गॉगल, हेजमेट सूट (पीपुल्स प्रोटेक्शन इक्विपमेंट) उपलब्ध कराए जाएं ताकि चिकित्सक अस्पताल में जाए, चेंजिंग रूम में जाकर अपने कपड़े उतारे और पहले दो गाऊन की लेयर, फिर हेजमेट सूट से लैस होकर मरीज के पास जाए। सूत्र का कहना है कि अमेरिका, इटली, चीन के भी कोरोना का इलाज करने वाले चिकित्सक इससे संक्रमित होने से नहीं बच पाए। हालांकि चिकित्सकों का कहना है कि सरकारी अस्पताल में उन्हें हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा दी जा रही है, लेकिन इतना ही पर्याप्त नहीं है।