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Despite the reduction in emissions the heat will increase
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दावा : उत्सर्जन कम होने के बावजूद पूरी दुनिया में अगले 10-15 साल में और बढ़ेगी गर्मी
एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Fri, 03 Feb 2023 06:21 AM IST
सार
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यूनिवर्सिटी हैंबर्ग के क्लस्टर ऑफ एक्सीलेंस जलवायु परिवर्तन और समाज (सीएलआईसीसीएस) की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि वैश्विक स्तर पर तापमान 1.5 डिग्री तक सीमित नहीं रहेगा।
उत्सर्जन कम होने के बावजूद पूरी दुनिया में अगले 10-15 साल में गर्मी और बढ़ेगी। एक अध्ययन के अनुसार, यदि अगले कुछ दशकों में उत्सर्जन उच्च रहता है, तो 50 प्रतिशत संभावना है कि इस शताब्दी के मध्य तक पृथ्वी पूर्व औद्योगिक स्तर की सीमा दो डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म हो जाएगी। इसके साथ 80 प्रतिशत तक संभावना है कि साल 2060 तक यह उच्च सीमा तक पहुंच सकती है। इन निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का इस्तेमाल किया गया।
यूनिवर्सिटी हैंबर्ग के क्लस्टर ऑफ एक्सीलेंस जलवायु परिवर्तन और समाज (सीएलआईसीसीएस) की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि वैश्विक स्तर पर तापमान 1.5 डिग्री तक सीमित नहीं रहेगा। पेरिस समझौते के अनुसार गर्म होती पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखना है।
यह था पेरिस समझौता
डिफेनबॉघ ने कहा, 1.5 सेल्सियस डिग्री तापमान का आंकड़ा पार करना और दो डिग्री सीमा रेखा का अर्थ साफ है कि दुनिया साल 2015 में हुए पेरिस समझौते के लक्ष्यों का हासिल करने में असफल रही है। इस समझौते में देशों ने वादा किया था कि वह जलवायु को प्री-इंडस्ट्रीयल स्तर के 2 डिग्री सेल्सियस वाले तापमान से काफी नीचे रखा जाएगा।
हालिया वैश्विक तापमान के आधार पर अनुमान
'जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज’ में प्रकाशित इस अध्ययन में दुनियाभर के हालिया तापमान अवलोकनों का उपयोग करके जलवायु परिवर्तन का अनुमान जताया गया है। अध्ययन के प्रमुख लेखक व अमेरिका में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय जलवायु वैज्ञानिक नूह डिफेनबॉघ ने कहा कि भविष्य के बारे में अनुमान जताने के लिए जलवायु प्रणाली की वर्तमान स्थिति पर निर्भर करती है। हम पुष्टि करते हैं कि दुनिया तापमान के उच्च स्तर को पार करने की कगार पर है। इस लिहाज से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह 2 डिग्री को पार कर जाएगा।
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