2015 के विधानसभा चुनाव में जब ईवीएम खुली तो आम आदमी पार्टी 67 पर जाकर थमी। उस वक्त पटेल नगर में आप मुख्यालय होता था। नतीजे वाले दिन केजरीवाल पार्टी मुख्यालय में पहुंचे थे। वहां कई ऐसी बातें देखने को मिली जो कि परपंरागत राजनीतिक माहौल से थोड़ा हटकर थी।
सबसे पहले केजरीवाल ने वालंटियर के साथ अपने परिवार का परिचय कराया। उन्हें अहंकार से बचने की सलाह दी। इसके बाद उन्होंने भावनात्मक तौर पर अपनी पत्नी को गले लगा लिया। एक हाथ में माइक लेकर केजरीवाल ने कहा, मेरी पत्नी यहां पर आने से डरती थी, मैं ही इसे खींच लाया। मैंने उससे कहा, डरो मत, सरकार अब कोई एक्शन नहीं लेगी। 2020 के चुनाव में सुनीता केजरीवाल ने मीडिया से ही बातचीत नहीं की, बल्कि केजरीवाल की सीट पर चुनाव प्रचार भी किया।
दरअसल, उस वक्त उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल आईआरएस अधिकारी थी। वह पद उन्हें राजनीति के मंच पर आने की इजाजत नहीं दे रहा था। यही वजह रही कि अरविंद केजरीवाल के चुनाव प्रचार से उनकी पत्नी दूर रही।
हालांकि जिस दिन केजरीवाल ने अपना नामांकन दाखिल किया तो उसी रोज उनके माता पिता, पत्नी और बच्चों की तस्वीर मीडिया में दिखाई दी थी। उसके बाद चुनाव प्रचार शुरु हुआ तो अरविंद केजरीवाल अपने समर्थकों के साथ चुनाव प्रचार करने के निकल पड़े।
पिछले विधानसभा चुनाव में जब वोटों की गिनती का काम अंतिम चरण में जा रहा था तो हजारों वालंटियर पार्टी मुख्यालय के बाहर थिरक रहे थे। केजरीवाल ने अपने परिवार के साथ टेरेस पर पहुंच कर वालंटियर को संबोधित किया। केजरीवाल के साथ उनकी पत्नी सुनीता, बेटी हर्षिता, बेटा पुलकित, मां गीता और पिता जीआर केजरीवाल भी थे।
अरविंद ने कहा, मैं इस ऐतिहासिक मौके पर अपनी पत्नी सुनीता के योगदान को नहीं भूल सकता। हमेशा साथ निभाने के लिए उन्होंने सुनीता को बड़ी आत्मीयता के साथ गले लगा लिया। यहां उल्लेख कर दें कि सुनीता से अरविंद केजरीवाल की पहली मुलाकात मसूरी स्थित राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में हुई थी। भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) की परीक्षा पास करने के बाद वे दोनों यहाँ पर ट्रेनिंग कर रहे थे।
केजरीवाल ने यहीं पर सुनीता के समक्ष अपना प्रेम प्रस्ताव रखा था। अरविंद ने एक दिन अकादमी में उनके दरवाजे पर दस्तक दी और उनके सामने प्रेम प्रस्ताव रख दिया। सुनीता ने भी झट से कहा, हां। केजरीवाल ने अपने संबोधन में जब सुनीता का जिक्र किया तो वे भावविभोर हो गई।
उन्होंने कहा, कि सुनीता के अथक समर्थन के बिना यह जीत संभव नहीं थी। आज भी ये पार्टी मुख्यालय में आने से मना कर रही थी। मैं उन्हें खींच लाया। वे डरती थी कि सरकारी अधिकारी होने के कारण कहीं कोई दिक्कत न हो जाए। मैंने कहा, डरो मत कोई परेशानी नहीं आएगी। सरकार कोई एक्शन नहीं लेगी। इस बात पर हजारों वालंटियर ने जोरदार तालियां बजाकर उनकी पत्नी का स्वागत किया था।
केजरीवाल दूसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे। इस बार उनके पास 67 सीटें थी। उन्हें भरोसा था कि पांच साल तक उनकी सरकार को कोई हिला नहीं सकता। हालांकि मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उनकी पत्नी करीब एक साल तक नौकरी करती रही। बाद में जब उन्हें लगा कि अब सरकारी नौकरी आगे नहीं चल सकती तो उन्होंने नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया।
उसके बाद भी वे सार्वजनिक तौर पर कहीं भी नजर नहीं आई। जब अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्री एलजी आवास पर धरना देने लगे तो सुनीता सक्रिय रही। केजरीवाल के आवास पर ममता बनर्जी और चंद्रबाबू नायडू सरीखे नेता पहुंचे। उनसे सुनीता केजरीवाल ने ही बातचीत की।
उसके बाद वे धीरे धीरे पार्टी की अंदरुनी गतिविधियों में सक्रियता दिखाने लगी। राज्यसभा चुनाव से पहले भी उनका नाम उछाला गया कि केजरीवाल उन्हें उम्मीदवार बना सकते हैं। हालांकि ऐसा कुछ नहीं हुआ। इस बार के चुनाव में वही सुनीता अपने बच्चों को साथ लेकर नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में पति केजरीवाल के लिए वोट मांगती हुई दिखी। मंगलवार को चुनावी नतीजे आने के बाद उन्होंने मीडिया से खुलकर बातचीत की। केजरीवाल को विपक्षी नेताओं द्वारा आतंकी कहे जाने के बाद सुनीता ने सादगी भरे अंदाज में जवाब दिया।
2015 के विधानसभा चुनाव में जब ईवीएम खुली तो आम आदमी पार्टी 67 पर जाकर थमी। उस वक्त पटेल नगर में आप मुख्यालय होता था। नतीजे वाले दिन केजरीवाल पार्टी मुख्यालय में पहुंचे थे। वहां कई ऐसी बातें देखने को मिली जो कि परपंरागत राजनीतिक माहौल से थोड़ा हटकर थी।
सबसे पहले केजरीवाल ने वालंटियर के साथ अपने परिवार का परिचय कराया। उन्हें अहंकार से बचने की सलाह दी। इसके बाद उन्होंने भावनात्मक तौर पर अपनी पत्नी को गले लगा लिया। एक हाथ में माइक लेकर केजरीवाल ने कहा, मेरी पत्नी यहां पर आने से डरती थी, मैं ही इसे खींच लाया। मैंने उससे कहा, डरो मत, सरकार अब कोई एक्शन नहीं लेगी। 2020 के चुनाव में सुनीता केजरीवाल ने मीडिया से ही बातचीत नहीं की, बल्कि केजरीवाल की सीट पर चुनाव प्रचार भी किया।
दरअसल, उस वक्त उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल आईआरएस अधिकारी थी। वह पद उन्हें राजनीति के मंच पर आने की इजाजत नहीं दे रहा था। यही वजह रही कि अरविंद केजरीवाल के चुनाव प्रचार से उनकी पत्नी दूर रही।
हालांकि जिस दिन केजरीवाल ने अपना नामांकन दाखिल किया तो उसी रोज उनके माता पिता, पत्नी और बच्चों की तस्वीर मीडिया में दिखाई दी थी। उसके बाद चुनाव प्रचार शुरु हुआ तो अरविंद केजरीवाल अपने समर्थकों के साथ चुनाव प्रचार करने के निकल पड़े।