देश में कोरोना के प्रकोप के चलते 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही भारतीय रेलवे ने भी 22 मार्च से 14 अप्रैल तक अपनी यात्री गाड़ियों को रद्द करने का फैसला लिया था। हालांकि रेलवे ने इस दौरान भी अपनी मालगाड़ी सेवा को पहले की तरह जारी रखने का निर्णय लिया।
खास बात यह है कि आखिर वो कौन से कारण और उपाय हैं जिनकी वजह से रेलवे ने अपनी इस सेवा को बंद नहीं किया। आखिर रेलवे कैसे देश के विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादों की आपूर्ति सामान्य बनाए रखने में अपने नेटवर्क के जरिए मदद कर रही है।
भारतीय रेलवे ने कोरोनोवायरस के खिलाफ लड़ने के अपने निरंतर प्रयासों में उर्वरक और पेट्रोलियम उत्पादों जैसी आवश्यक वस्तुओं की लोडिंग और अनलोडिंग जारी रखी है।
पश्चिम रेलवे क्षेत्र ने पीओएल (पेट्रोलियम, तेल और लूब्रीकेंट या स्नेहक), नमक, सीमेंट, कोयला और कंटेनर जैसे आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने के लिए कुल 237 रेक का उपयोग किया है, जिनकी क्षमता 0.56 मिलियन टन थी।
भारतीय रेलवे का पश्चिमी रेलवे जोन पहले ही पार्सल वैन/दुग्ध टैंकर (आरएमटी) के 5 मिलेनियम पार्सल रेक देश के विभिन्न हिस्सों में भेज चुका है। इनसे दूध के पाउडर, तरल दूध और अन्य सामान्य उपभोक्ता वस्तुओं की मांग की पूर्ति के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में भेजा गया है।
इन मालगाड़ियों को हरियाणा के झांसी के पास भीमसेन, हरियाणा के पलवल और देश के उत्तर-पूर्व भाग में न्यू गुवाहाटी जैसे विभिन्न स्थानों पर भेजा जाता है। सेंट्रल रेलवे जोन ने एक बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है कि 25 मार्च तक कुल 5.66 लाख टन (0.56 मिलियन टन) का परिवहन किया गया था।
वैगनों की बात करें से 9,837 वैगन भरकर भेजी गई हैं। कोयले की बड़ी खेप को महाराष्ट्र के परली, नासिक, पारस, कोराडी और मौडा जबकि मध्यप्रदेश के सारणी और सिंगाजी में बिजली संयंत्रों के लिए 102 रेक में लोड करके भेजा गया था। नागपुर से 100 रेक और मुंबई से 2 रेक चलाए गए।
पेट्रोल, तेल और लूब्रीकेंट या स्नेहक (पीओएल) और एलपीजी को 17 रेक में विभिन्न स्थानों जैसे गैगांव, खपारी, ताडली आदि में आपूर्ति के लिए ले जाया गया था। अकेले भुसावल में 13 रेक चले। जबकि प्याज से भरी पूरी एक रेक भी चलाई गई।
भारतीय रेलवे ने यह भी कहा कि इस कठिन समय में मालगाड़ियों से माल उतारने और उतारने के दौरान भी सोशल डिस्टेंसिंग जैसे दिशा-निर्देशों का भी पूरा ध्यान रखा गया था।