महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष और विधायक चंद्रकांत पाटिल ने सोमवार को कहा कि राज्य में सत्ताधारी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने विधानसभा स्पीकर के चुनाव के मुद्दे पर जिस तरह राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का अपमान किया है, इससे राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की नौबत आ सकती है। दक्षिण मुंबई स्थित विधान भवन परिसर में पाटिल ने आरोप लगाया कि शिवसेना की अगुवाई वाली एमवीए सरकार ने नए स्पीकर के चयन के लिए नियमों में बदलाव किया है। यहीं पर विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है।
पाटिल ने कहा कि पहले तो एमवीए सरकार ने महाराष्ट्र विधानसभा के नए स्पीकर का चयन करने के लिए नियमों में बदलाव किया। इसके बाद इसने कहा कि सरकार ने नए स्पीकर के चयन की अनुमति के लिए राज्यपाल को दो पत्र भेजे थे। इस तरह की बात कहना भी राज्यपाल और संविधान का अपमान है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार की इस हरकत की वजह से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है। साथ ही, एमवीए सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल पर चंद्रकांत पाटिल ने इसे 'अफरा-तफरी' वाली करार दिया।
एमवीए सरकार की कार्यप्रणाली पूरी तरह अराजक: पाटिल
भाजपा नेता ने कहा, हर कोई राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों के लिए चुनाव कार्यक्रम को लेकर गंभीर सवाल पूछ रहा है। प्रश्न पत्र लीक हो रहे हैं, एमएसआरटीसी के कर्मचारियों की हड़ताल अभी भी जारी है, स्कूलों को दोबारा खोलने को लेकर कोई स्पष्ट संवाद नहीं है। एक व्यक्ति इस सरकार की अराजक कार्यप्रणाली पर पीएचडी कर सकता है। बता दें कि महाराष्ट्र में विधानसभा स्पीकर का पद इस साल जनवरी से खाली पड़ा है। इस पद पर चुनाव का मुद्दा राजभवन और गठबंधन सरकार के बीच विवाद का नया कारण बन गया है।
राज्य की जनता ऐसे बयानों पर ध्यान नहीं देती: शरद पवार
वहीं, एमवीए सरकार के तीन दलों में शामिल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने पाटिल के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के पास विधानसभा में स्पष्ट बहुमत है और राज्य के लोग ऐसे बयानों पर ध्यान नहीं देते हैं। शरद पवार ने कहा कि ठाकरे और उनके मंत्री राज्य को एक स्थिर सरकार देने में सफल रहे हैं। कुछ लोगों को यह हजम नहीं हो रहा है और इसीलिए वह ऐसे बयान दे रहे हैं। इस तरह के बयान पहले भी दिए जाते रहे हैं लेकिन लोग इन पर ध्यान नहीं देते हैं।
विस्तार
महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष और विधायक चंद्रकांत पाटिल ने सोमवार को कहा कि राज्य में सत्ताधारी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने विधानसभा स्पीकर के चुनाव के मुद्दे पर जिस तरह राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का अपमान किया है, इससे राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की नौबत आ सकती है। दक्षिण मुंबई स्थित विधान भवन परिसर में पाटिल ने आरोप लगाया कि शिवसेना की अगुवाई वाली एमवीए सरकार ने नए स्पीकर के चयन के लिए नियमों में बदलाव किया है। यहीं पर विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है।
पाटिल ने कहा कि पहले तो एमवीए सरकार ने महाराष्ट्र विधानसभा के नए स्पीकर का चयन करने के लिए नियमों में बदलाव किया। इसके बाद इसने कहा कि सरकार ने नए स्पीकर के चयन की अनुमति के लिए राज्यपाल को दो पत्र भेजे थे। इस तरह की बात कहना भी राज्यपाल और संविधान का अपमान है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार की इस हरकत की वजह से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है। साथ ही, एमवीए सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल पर चंद्रकांत पाटिल ने इसे 'अफरा-तफरी' वाली करार दिया।
एमवीए सरकार की कार्यप्रणाली पूरी तरह अराजक: पाटिल
भाजपा नेता ने कहा, हर कोई राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों के लिए चुनाव कार्यक्रम को लेकर गंभीर सवाल पूछ रहा है। प्रश्न पत्र लीक हो रहे हैं, एमएसआरटीसी के कर्मचारियों की हड़ताल अभी भी जारी है, स्कूलों को दोबारा खोलने को लेकर कोई स्पष्ट संवाद नहीं है। एक व्यक्ति इस सरकार की अराजक कार्यप्रणाली पर पीएचडी कर सकता है। बता दें कि महाराष्ट्र में विधानसभा स्पीकर का पद इस साल जनवरी से खाली पड़ा है। इस पद पर चुनाव का मुद्दा राजभवन और गठबंधन सरकार के बीच विवाद का नया कारण बन गया है।
राज्य की जनता ऐसे बयानों पर ध्यान नहीं देती: शरद पवार
वहीं, एमवीए सरकार के तीन दलों में शामिल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने पाटिल के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के पास विधानसभा में स्पष्ट बहुमत है और राज्य के लोग ऐसे बयानों पर ध्यान नहीं देते हैं। शरद पवार ने कहा कि ठाकरे और उनके मंत्री राज्य को एक स्थिर सरकार देने में सफल रहे हैं। कुछ लोगों को यह हजम नहीं हो रहा है और इसीलिए वह ऐसे बयान दे रहे हैं। इस तरह के बयान पहले भी दिए जाते रहे हैं लेकिन लोग इन पर ध्यान नहीं देते हैं।