सभी सरकारी कार्यक्रमों के दौरान मांसाहार (non-veg food) परोसने की मांग उठी है। इसे लेकर संसद के शीत सत्र में निजी विधेयक लाए जा रहे हैं। ऐसा ही एक विधेयक निजी क्षेत्र में रिश्वतखोरी पर लगाम के लिए भी लाया जाएगा। इन पर सत्र में गंभीर मंथन हो सकता है।
इन दो निजी विधयकों के अलावा भी कुछ अन्य ऐसे ही विधेयक शीत सत्र में लाए जाने की संभावना है। सदस्यों ने लोकसभा के विचारार्थ कुल 20 निजी विधेयक पेश करने का प्रस्ताव दिया है। इन्हें लोकसभा की कार्यसूची में सूचीबद्ध किया गया है। हालांकि, अधिकांश निजी विधेयकों को संक्षिप्त चर्चा के बाद खारिज कर दिया जाता है। आजादी के बाद से अब तक मात्र 14 ऐसे विधेयक ही पारित हो सके हैं। अंतिम निजी विधेयक 1970 में पारित किया गया था।
जर्मनी में लगाई गई है रोक : सांसद प्रवेश वर्मा
पश्चिमी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से भाजपा सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने सरकारी बैठकों और कार्यक्रमों में मांसाहारी भोजन परोसने पर रोक की मांग करते हुए निजी विधेयक का प्रस्ताव किया है। इसे सूचीबद्ध किया गया है। वर्मा का कहना है कि जर्मनी के पर्यावरण मंत्रालय ने सरकारी बैठकों और कार्यक्रमों में मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा क्योंकि इसका जलवायु और ग्लोबल वार्मिंग पर बहुत बड़ा प्रभाव है। भारत में भी हम मांसाहारी भोजन छोड़ने की पहल कर सकते हैं।
रमा देवी लाएंगी निजी क्षेत्र में रिश्वत के खिलाफ विधेयक
इसी तरह, भाजपा सांसद रमा देवी निजी क्षेत्र में रिश्वतखोरी को रोकने के लिए एक विधेयक लाने जा रही हैं। वहीं, उत्तराखंड के पूर्व सीएम व सांसद तीरथ सिंह रावत ने देश के सभी स्कूलों में योग शुरू करने के लिए एक विधेयक लाने की योजना बनाई है।
मनरेगा कानून में संशोधन के लिए विधेयक
उधर, केरल से दो विपक्षी सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन और वी.के. श्रीकंदन मनरेगा कानून की धारा 3 में संशोधन के लिए विधेयक लाएंगे। इस धारा में प्रावधान है कि सरकार प्रत्येक श्रमिक को एक वर्ष में अधिकतम 100 दिन रोजगार देगी। विपक्ष इसे 150 दिन करना चाहता है। हालांकि, सरकार इस मांग को पहले ही खारिज कर चुकी है।
16 नए विधेयक पेश करने की तैयारी
सरकार शीतकालीन सत्र में 16 नए विधेयक पेश कर सकती है। इसमें बहु-राज्यीय सहकारी समितियों में जवाबदेही बढ़ाने और चुनावी प्रक्रिया में सुधार से संबंधित विधेयक शामिल हैं। राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक भी पेश किया जा सकता है। इसमें राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग की स्थापना और दंत चिकित्सक कानून, 1948 को निरस्त करने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही राष्ट्रीय नर्सिंग आयोग संबंधी विधेयक भी पेश किए जाने की संभावना है, जिसमें राष्ट्रीय नर्सिंग आयोग (एनएनएमसी) स्थापित करने एवं भारतीय नर्सिंग परिषद कानून 1947 को निरस्त करने का प्रस्ताव है। इस दौरान बहु-राज्यीय सहकारी समितियां (संशोधन) विधेयक, छावनी विधेयक, पुराना अनुदान (विनियमन) विधेयक, वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, तटीय जलकृषि प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक आदि भी पेश किए जा सकते हैं।