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Madhya Pradesh higher education department will implement credit system at graduation level from 2021-22 academic year
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मध्य प्रदेश: उच्च शिक्षा विभाग करने जा रहा है बड़े बदलाव, पड़ सकता है अंकों पर असर
एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला
Published by: वर्तिका तोलानी
Updated Tue, 27 Apr 2021 12:20 PM IST
सार
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मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग, 2021-22 अकादमिक सत्र से क्रेडिट सिस्टम लागू करने जा रहा है। इस सिस्टम के अंतर्गत एक महाविद्यालय से दूसरे, एक विभाग से दूसरे, एक पाठ्यक्रम से दूसरे में क्रेडिट ट्रांसफर किए जा सकते हैं।
मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग, 2021-22 अकादमिक सत्र से क्रेडिट सिस्टम लागू करने जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार विभाग द्वारा अनेक बैठकों के बाद स्नातक स्तर पर इस सिस्टम को लागू करने का फैसला लिया गया है। क्रेडिट सिस्टम के लागू होने के पश्चात बीए, बीएससी, बीकॉम आदि पाठ्यक्रमों में विश्वविद्यालयों द्वारा विभिन्न संकाय के अंतर्गत तय विषयों के समूह को लेकर पढ़ाई करने की बाध्यता समाप्त हो जाएगी। अगर आप स्नातक के विद्यार्थी हैं तो यहां दी गई जानकारी आपके लिए मददगार साबित हो सकती है।
दूसरे संकाय से विषय चुनने का मिलेगा विकल्प
इस सिस्टम के अंतर्गत विद्यार्थियों को पहले व दूसरे वर्ष में दो और अंतिम वर्ष में तीन मूल विषय (कोर सब्जेक्ट) पढ़ने होंगे। इससे पहले तीनों वर्षों में तीन कोर विषय लेना होता था। किंतु अब विद्यार्थी पहले और दूसरे वर्ष में दो मूल विषय के साथ तीसरा विषय कॉलेज में उपलब्ध मूल विषय से संबंधित संकाय या अन्य संकाय से जुड़ा एक विषय अपनी पसंद से चुन सकेंगे। यानी बीए की पढ़ाई करने वाला विद्यार्थी दो कोर विषय कला संकाय से और तीसरा विषय विज्ञान व वाणिज्य संकाय से ले सकता है।
रूचि के आधार पर स्टूडेंट्स तैयार कर सकेंगे अपनी डिग्री
इस सिस्टम के अंतर्गत एक महाविद्यालय से दूसरे, एक विभाग से दूसरे, एक पाठ्यक्रम से दूसरे में क्रेडिट ट्रांसफर किए जा सकते हैं। अगर किसी कारणवश विद्यार्थी को बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ती है तो उसका समय बर्बाद नहीं होगा। मल्टीपल एंट्री व एग्जिट नीति लागू की जाएगी। यानी एक साल की पढ़ाई करने पर विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थी के क्रेडिट पॉइंट्स उसके खाते में जमा कर दिए जाएंगे। यदि भविष्य में वह स्नातक की पढ़ाई पूरी करना चाहता हैं, तो उसके खाते से क्रेडिट पॉइंट का इस्तेमाल कर विश्वविद्यालय उसे वहीं से पढ़ाई करने का मौका देगा, जहां से विद्यार्थी ने अपनी पढ़ाई छोड़ी थी।
आठ साल बाद क्रेडिट्स वैलिडिटी हो जाएगी समाप्त
अलग-अलग विषयों के क्रेडिट की अलग-अलग आयु सीमा निर्धारित की जाएगी। यूजीसी द्वारा क्रेडिट्स की आयुसीमा आठ साल रखने का प्रस्ताव दिया गया है। यानी जिस दिन विद्यार्थी के अकाउंट में यह क्रेडिट्स ट्रांसफर किए जाएंगे उसके आठ साल बाद तक वे इसका इस्तेमाल कर सकेंगे। आयु सीमा समाप्त हो जाने के उपरांत इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।
इंटर्नशिप या नौकरी में भी देखे जाएंगे क्रैडिट पॉइन्ट्स
अभी तक नौकरी या इंटर्नशिप पाने के लिए डिग्री में फर्स्ट/ सेकेंड / थर्ड डिविजन से पास होना अनिवार्य था। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि क्रेडिट सिस्टम के लागू हो जाने के बाद नौकरियों और इंटर्नशिप में डिग्री के साथ-साथ क्रेडिट पॉइंट्स भी देखें जाएंगे।
1974 में आईआईटी में लागू हो गया था क्रेडिट सिस्टम
द वर्ल्ड बैंक के द एकेडमिक क्रेडिट सिस्टम इन हायर एजुकेशन के हिसाब से हाय क्वालिटी मैनपावर की मांग को पूरा करने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) और कुछ विश्वविद्यालयों ने 1974 में स्नातक और स्नातकोत्तर ट्रेनिंग में क्रेडिट सिस्टम को लागू किया था। इस सिस्टम को अमेरिकन स्कीम से लिया गया था, लेकिन इसमें भारतीय सिस्टम के हिसाब से कुछ बदलाव किए गए थे।
विदेशों में लागू है क्रेडिट सिस्टम
ऑस्ट्रेलिया में ये स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में लागू किया गया है।
अमेरिका में सेमेस्टर क्रेडिट आवर्स स्कीम लागू है।
यूरोप के ज्यादातर देशों में क्रेडिट सिस्टम लागू है।
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