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फिल्म तारे जमीन पर के ईशान की तरह यदि आप का बच्चा शब्दों को सही से पढ़ नहीं पाता, अक्षर उसको उलटे-सीधे दिखते हैं और उसका परीक्षा परिणाम खराब होता रहा है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। अब एप के सहारे बच्चों की मनोस्थिति को खेल-खेल में सुधारा जा सकता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के साथ मिलकर एप तैयार किया है। जल्द ही एप प्ले स्टोर पर अपलोड किया जाएगा।
एम्स पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजी डिस्लेक्सिया रेमेडियल इंटरवेंशन प्रोग्राम के तहत बनाए गए एप में आठ मॉड्यूल होंगे। इनमें स्वनिम, व्यंजन, तीन अक्षर शब्द, लंबे छोटे स्वर, नादविद्या, दृष्टि शब्द, उपसर्ग और प्रत्यय के आठ चरण होंगे। सभी चरणों में हजारों की संख्या में फोटो या क्रिया होगी। बच्चों को उन फोटो को पहचान या क्रियाओं को करके आगे की लेवल में बढ़ना होगा। यदि बच्चा उक्त लेवल को पार नहीं कर पाता तो उसे आगे के लेवल में नहीं जाने दिया जाएगा।
एम्स में बाल तंत्रिका प्रभाग की प्रमुख प्रोफेसर डॉ. शेफाली गुलाटी के मुताबिक संस्थान ने आईआईटी, दिल्ली के सहयोग से डिस्लेक्सिक से पीड़ित बच्चों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित एप तैयार किया है। इसे जल्द ही प्ले स्टोर पर अपलोड किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस एप की मदद से कोई भी घर बैठे डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों का अभ्यास करवा सकेगा, यह एप ऐसे बच्चों के लिए काफी सहायक होगा। बता दें कि एम्स से इसे लेकर एक वेबसाइट भी लांच किया था।
ऐसे काम करेगा एप
इस एप में बच्चों को कई तरह की चुनौती दी जाएगी। जैसे स्वनिम चरण में बच्चों को छोटे-छोटे शब्द दिखाए जाएंगे और उन्हें पढ़ने के लिए कहा जाएगा। एप बच्चे को पढ़कर उक्त शब्द की ध्वनि भी सुनाएगा, ताकि बच्चे उसका साथ में उच्चारण कर सकें। चरण दर चरण चुनौती कठिन होती जाएगी। धीरे-धीरे बच्च जब अंतिम प्रत्यय चरण में आकर बच्चे काफी कुछ सीख जाएंगे। करीब छह माह तक की इस प्रक्रिया के बाद बच्चों में काफी सुधार होने की उम्मीद है।
डिस्लेक्सिया के लक्षण
- पढ़ने, लिखने व बोलने में दिक्कत
- समझने और याद रखने में दिक्कत
- दूसरी भाषा सीखने में परेशानी होना
- कठिन शब्दों के उच्चारण में परेशानी