वह किसी राजकुमारी की तरह लगती थीं। कुछ लोग कहते थे कि वह किसी मॉडल या दुल्हन जैसी लगती थी। उसकी सुंदरता को देखकर कोई यकीन नहीं कर सकता था कि वह उम्र के चौथे दशक में है और एक बच्चे की दादी हैं। वह गाड़ी ड्राइव करते हुए इस्लामाबाद के एक अत्यंत मशहूर पते तक पहुंची थी। बिलावल हाउस। उसकी काले रंग की लिमोजीन पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा फेंकी गई गुलाब की पंखुड़ियों से ढंकी हुई थी। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी खुद उनकी अगवानी करने के लिए आए और पाश्चात्य ढंग से उन्होंने अपना दायां हाथ दिल पर रखकर उनका इस्तकबाल किया। हाथ नहीं मिलाया।
खूबसूरत सफेद जोड़े में यह पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) की उपाध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज शरीफ थीं, जिन्होंने मुस्कराकर उनका अभिवादन किया और उनके साथ अंदर चली गईं।
यह मौका था बिलावट भुट्टो के इस्लामाबाद स्थित निवास पर इफ्तार डिप्लोमेसी डिनर का। बिलावल ने तमाम बड़ी विपक्षी पार्टियों के नेताओं को आमंत्रित किया था। लोकप्रिय आंदोलन पश्तून तहाफुज मूवमेंट (पीटीएम) के प्रतिनिधि और सांसद भी इसमें शामिल हुए। इनमें सबसे बुजुर्ग थे पीएमएल-एन के नेता मौलाना फजलूर रहमान, जो कि किसी भी दक्षिण पंथी पार्टी के नेताओं की तुलना में कहीं अधिक सेक्यूलर हैं। हालांकि पिछले चुनाव में वह बुरी तरह पराजित हो गए थे और संसद में उनकी पार्टी का एक भी प्रतिनिधि नहीं है।
इस इफ्तार दावत में तमाम विपक्षी दलों की मौजूदगी से प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों को काफी धक्का लगा और वह आज तक इस इफ्तार डिप्लोमेसी की आलोचना कर रहे हैं। न केवल इमरान बल्कि उनके कई मंत्री ट्वीट कर या प्रेस ब्रीफिंग के जरिये विपक्ष को निशाना बना रहे हैं। दरअसल ऐसे समय जब महंगाई और जरूरी सेवाओं के बिल बेतहाशा बढ़ गए हैं, लोगो में सरकार के खिलाफ खासी नाराजगी है, उनका परेशान होना स्वाभाविक है। पीपीपी की सीनेटर शेरी रहमान ने बिलावल हाउस से ही ट्वीट किया, हमारी इफ्तार की चाय की प्याली से तूफान क्यों उठ गया? सिर्फ डिनर ही तो हुआ है और सरकार के प्रतिनिधियों की नींदें उड़ गई हैं।
अमर उजाला के पाठक इसे इस तरह से समझ सकते हैं मानो नरेंद्र मोदी की भाजपा के भोज में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित समूचा विपक्ष उपस्थित हो जाए। दरअसल पीपीपी और पीएमएल (एन) अतीत में एक दूसरे के कट्टर विरोधी रहे और एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा है। जुल्फीकार अली भुट्टो और नवाज शरीफ की विचारधारा में जमीन आसमान का फर्क है।
लेकिन इमरान खान की सरकार की आठ महीने की नाकामी और अक्षमता ने विपक्ष को एक मंच पर ला दिया है। इसे स्वीकार करते हुए बिलावल ने बाद में प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि यह सच है कि पीपीपी और पीएमएल-एन में अनेक मुद्दों पर मतभेद हैं और चुनाव के दौरान ये उठे भी। भविष्य में होने वाले चुनावों में यह प्रतिद्वंद्विता दिखेगी, लेकिन अभी हम सरकार की नीतियों के खिलाफ एकजुट हैं।
बिलावल हाउस में पिछले रविवार को हुई दावत में मौजूद लोगों पर कोई नजर डाले तो साफ दिखता है कि पाकिस्तानी राजनीतिज्ञों की नई पीढ़ी आ गई है। पंजाब से ताल्लुक रखने वाली मरियम नवाज बिलावल भुट्टो से उम्र में बड़ी हैं, लेकिन अपने चचेरे भाई हमजा शाहबाज शरीफ की तरह वह भी पीएमएल-एन की नई पीढ़ी की नेता हैं। कुछ समय पहले उन्होंने अपनी दिवंगत मां कुलसूम के उप चुनाव के प्रचार की सफलतापूर्वक कमान संभाली थी। बिलावल भुट्टो पाकिस्तानी संसद में किसी भी राजनीतिक दल के सबसे युवा प्रमुख हैं। वह अच्छे वक्ता हैं और कई बार उनके भाषण उनकी मां बेनजीर भुट्टो और उनके नाना जुल्फीकार अली भुट्टो की याद दिला देते हैं।
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मोहसिन डावर और अली वजीर भी इफ्तार डिप्लोमेसी में शामिल हुए जो कि निर्दलीय जीतकर संसद पहुंचे। बलूचिस्तान से एक युवा चेहरा सरदार शफीक तरीन भी वहां थे, जो कि महमूद खान अचकाजई की पख्तून मिल्ली अवाम पार्टी के सांसद हैं। इस दावत के बाद मरियम नवाज शरीफ ने ट्वीट कर बिलावल का शुक्रिया अदा किया और लिखा कि वह वास्तव में एक शानदार मेजबान हैं।
पीपीपी और पीएमएल-एन के ये युवा नेता सक्रिय हैं, क्योंकि उनकी पार्टी के पिछली पीढ़ी के नेता या तो भ्रष्टाचार के मामलों में जेल में हैं या फिर भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। यह जानना अहम है कि विपक्ष अभी सरकार के खिलाफ कोई बड़ा आंदोलन नहीं करना चाहता, क्योंकि इससे देश में अस्थिरता आ सकती है। फिलहाल इमरान खान सुरक्षित महसूस कर सकते हैं, क्योंकि विपक्ष को पता है कि यदि वह सत्ता में आ भी गया तो नाकाम होती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का उसके पास फिलहाल कोई तरीका नहीं है।
वह किसी राजकुमारी की तरह लगती थीं। कुछ लोग कहते थे कि वह किसी मॉडल या दुल्हन जैसी लगती थी। उसकी सुंदरता को देखकर कोई यकीन नहीं कर सकता था कि वह उम्र के चौथे दशक में है और एक बच्चे की दादी हैं। वह गाड़ी ड्राइव करते हुए इस्लामाबाद के एक अत्यंत मशहूर पते तक पहुंची थी। बिलावल हाउस। उसकी काले रंग की लिमोजीन पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा फेंकी गई गुलाब की पंखुड़ियों से ढंकी हुई थी। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी खुद उनकी अगवानी करने के लिए आए और पाश्चात्य ढंग से उन्होंने अपना दायां हाथ दिल पर रखकर उनका इस्तकबाल किया। हाथ नहीं मिलाया।
खूबसूरत सफेद जोड़े में यह पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) की उपाध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज शरीफ थीं, जिन्होंने मुस्कराकर उनका अभिवादन किया और उनके साथ अंदर चली गईं।
यह मौका था बिलावट भुट्टो के इस्लामाबाद स्थित निवास पर इफ्तार डिप्लोमेसी डिनर का। बिलावल ने तमाम बड़ी विपक्षी पार्टियों के नेताओं को आमंत्रित किया था। लोकप्रिय आंदोलन पश्तून तहाफुज मूवमेंट (पीटीएम) के प्रतिनिधि और सांसद भी इसमें शामिल हुए। इनमें सबसे बुजुर्ग थे पीएमएल-एन के नेता मौलाना फजलूर रहमान, जो कि किसी भी दक्षिण पंथी पार्टी के नेताओं की तुलना में कहीं अधिक सेक्यूलर हैं। हालांकि पिछले चुनाव में वह बुरी तरह पराजित हो गए थे और संसद में उनकी पार्टी का एक भी प्रतिनिधि नहीं है।
इस इफ्तार दावत में तमाम विपक्षी दलों की मौजूदगी से प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों को काफी धक्का लगा और वह आज तक इस इफ्तार डिप्लोमेसी की आलोचना कर रहे हैं। न केवल इमरान बल्कि उनके कई मंत्री ट्वीट कर या प्रेस ब्रीफिंग के जरिये विपक्ष को निशाना बना रहे हैं। दरअसल ऐसे समय जब महंगाई और जरूरी सेवाओं के बिल बेतहाशा बढ़ गए हैं, लोगो में सरकार के खिलाफ खासी नाराजगी है, उनका परेशान होना स्वाभाविक है। पीपीपी की सीनेटर शेरी रहमान ने बिलावल हाउस से ही ट्वीट किया, हमारी इफ्तार की चाय की प्याली से तूफान क्यों उठ गया? सिर्फ डिनर ही तो हुआ है और सरकार के प्रतिनिधियों की नींदें उड़ गई हैं।
इमरान सरकार की नाकामी ने विपक्ष को एक मंच पर ला दिया
अमर उजाला के पाठक इसे इस तरह से समझ सकते हैं मानो नरेंद्र मोदी की भाजपा के भोज में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित समूचा विपक्ष उपस्थित हो जाए। दरअसल पीपीपी और पीएमएल (एन) अतीत में एक दूसरे के कट्टर विरोधी रहे और एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा है। जुल्फीकार अली भुट्टो और नवाज शरीफ की विचारधारा में जमीन आसमान का फर्क है।
लेकिन इमरान खान की सरकार की आठ महीने की नाकामी और अक्षमता ने विपक्ष को एक मंच पर ला दिया है। इसे स्वीकार करते हुए बिलावल ने बाद में प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि यह सच है कि पीपीपी और पीएमएल-एन में अनेक मुद्दों पर मतभेद हैं और चुनाव के दौरान ये उठे भी। भविष्य में होने वाले चुनावों में यह प्रतिद्वंद्विता दिखेगी, लेकिन अभी हम सरकार की नीतियों के खिलाफ एकजुट हैं।
बिलावल हाउस में पिछले रविवार को हुई दावत में मौजूद लोगों पर कोई नजर डाले तो साफ दिखता है कि पाकिस्तानी राजनीतिज्ञों की नई पीढ़ी आ गई है। पंजाब से ताल्लुक रखने वाली मरियम नवाज बिलावल भुट्टो से उम्र में बड़ी हैं, लेकिन अपने चचेरे भाई हमजा शाहबाज शरीफ की तरह वह भी पीएमएल-एन की नई पीढ़ी की नेता हैं। कुछ समय पहले उन्होंने अपनी दिवंगत मां कुलसूम के उप चुनाव के प्रचार की सफलतापूर्वक कमान संभाली थी। बिलावल भुट्टो पाकिस्तानी संसद में किसी भी राजनीतिक दल के सबसे युवा प्रमुख हैं। वह अच्छे वक्ता हैं और कई बार उनके भाषण उनकी मां बेनजीर भुट्टो और उनके नाना जुल्फीकार अली भुट्टो की याद दिला देते हैं।
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मोहसिन डावर और अली वजीर भी इफ्तार डिप्लोमेसी में शामिल हुए जो कि निर्दलीय जीतकर संसद पहुंचे। बलूचिस्तान से एक युवा चेहरा सरदार शफीक तरीन भी वहां थे, जो कि महमूद खान अचकाजई की पख्तून मिल्ली अवाम पार्टी के सांसद हैं। इस दावत के बाद मरियम नवाज शरीफ ने ट्वीट कर बिलावल का शुक्रिया अदा किया और लिखा कि वह वास्तव में एक शानदार मेजबान हैं।
पीपीपी और पीएमएल-एन के ये युवा नेता सक्रिय हैं, क्योंकि उनकी पार्टी के पिछली पीढ़ी के नेता या तो भ्रष्टाचार के मामलों में जेल में हैं या फिर भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। यह जानना अहम है कि विपक्ष अभी सरकार के खिलाफ कोई बड़ा आंदोलन नहीं करना चाहता, क्योंकि इससे देश में अस्थिरता आ सकती है। फिलहाल इमरान खान सुरक्षित महसूस कर सकते हैं, क्योंकि विपक्ष को पता है कि यदि वह सत्ता में आ भी गया तो नाकाम होती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का उसके पास फिलहाल कोई तरीका नहीं है।