{"_id":"9611","slug":"Chandigarh-9611-54","type":"story","status":"publish","title_hn":"पीआईएल का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं : हाईकोर्ट","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि हाईकोर्ट जनहित याचिका (पीआईएल) का दुरुपयोग जरा भी बर्दाश्त नहीं करेगा। शुक्रवार को चंडीगढ़ की आईएएस अधिकारी प्रेरणा पुरी और उनकी मां के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई में हाईकोर्ट ने याची को कड़ी फटकार लगाते हुए यह टिप्पणी की। एनजीओ वत्सल छाया और संगीता वर्धन की तरफ से हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में आईएएस अधिकारी और उनकी मां पर बाल उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। कार्यकारी चीफ जस्टिस एमएम कुमार एवं जस्टिस आलोक सिंह पर आधारित खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई रोकते हुए याचिका को रद कर दिया।
चंडीगढ़ प्रशासन के सीनियर स्टेंडिंग काउंसिल ने हाईकोर्ट में आईजीपी का लेटर हाईकोर्ट में पेश किया। आईजी ने कहा कि आईएएस अधिकारी प्रेरणा पुरी की मां के घर पर काम करने वाले नौकर शंभू के बयान लिए गए हैं। उसे बंधक नहीं बनाया गया है, बल्कि वह अभी पटना में है। शंभू ने पुलिस को बताया है कि आईएएस अधिकारी ने उसे बच्चों की तरह रखा और वह फिर से उनके पास आकर रहने का इच्छुक है। बच्चे के पिता ने भी बंधक बनाने संबंधी किसी घटना से इनकार किया है। आईजी के इस लेटर को देखने के बाद खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने एक अच्छी छवि वाले परिवार पर प्रहार करने का प्रयास किया है, जो उचित नहीं है। चंडीगढ़ के सीनियर स्टेंडिंग काउंसिल ने कहा कि स्कूल के रजिस्टर में तीन महीने की हाजिरी पूरी है। बच्चा महज 27 मार्च को ही किसी कारण वश अनुपस्थित था, जिसे याचिकाकर्ताओं ने वेबजह मुद्दा बना दिया। याचिकाकर्ता के वकील अमर विवेक ने जब अपने तर्कों को रखने की कोशिश की तो, हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि अगर तर्क बंद नहीं किए गए, तो कोर्ट को मजबूरन भारी जुर्माना लगाना पड़ सकता है।
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यह थी याचिका
संगठन ने याचिका में आरोप लगाया था कि आईएएस अधिकारी ने अपनी पावर का प्रयोग कर अपनी मां के घर काम करने वाले एक बच्चे को स्कूल जाने से रोका। शंभु नाम का 11 साल का बच्चा प्रेरणा की मां के सेक्टर आठ स्थित घर काम करता था, एनजीओ की पहल पर उस बच्चे को स्कूल भेजना शुरू किया गया था, लेकिन कुछ दिन बाद बच्चे ने स्कूल आना बंद कर दिया। याचिका में कहा गया है कि 27 अप्रैल के बाद बच्चे स्कूल नहीं आया है और तब से वह गायब है।
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