न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दंतेवाड़ा
Updated Thu, 27 Aug 2020 05:01 PM IST
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एक नक्सली, जो नक्सलियों के स्कूल में बच्चों को पढ़ाता था, वह अपनी गर्भवती पत्नी को लेकर नक्सलियों के ही चंगुल से छूटकर पुलिस के पास भागा-भागा आया। कारण था कि उसकी पत्नी गर्भवती थी और नक्सली नहीं चाहते थे कि वह बच्चे को जन्म दे। इसलिए वे गर्भपात कराना चाहते थे, लेकिन हरदेश और उसकी पत्नी बच्चा चाहते थे। लिहाजा दोनों नक्सलियों से छिपते-छिपाते पुलिस के पास पहुंचे और सरेंडर किया। यह अपनी तरह का पहला मामला है।
नक्सली स्कूल में शिक्षक हरदेश ने पुलिस को बताया, 'मेरी पत्नी छह महीने की गर्भवती है। नक्सली मेरी पत्नी का गर्भपात कराना चाहते हैं। मुझ पर दबाव बना रहे हैं। इसके पहले भी नक्सल संगठन में काम कर रही चार महिलाओं का गर्भपात कराया गया है। मैं अपने बच्चे को खोना नहीं चाहता। इसलिए हम आपके पास आए हैं, हम दोनों पति-पत्नी सरेंडर करना चाहते हैं।' हरदेश छत्तीसगढ़ के पीडियाकोट इलाके का रहने वाला है।
हरदेश ने बताया कि उसने पोटाकेबिन बांगापाल में पांचवीं तक की पढ़ाई की है। साल 2017 को जब वह पढ़ रहा था, तब पिता की मौत हो गई थी। पढ़ाई छोड़कर वह गांव आया तो नक्सली आयतू जबरदस्ती उठाकर ले गया और संगठन में भर्ती कराया। यहां वह नक्सल स्कूल चलाने लगा। 10 साल और इससे ज्यादा उम्र के बच्चों को जनताना सरकारी स्कूल में नक्सल पढ़ाई कराने लगा। अब तक वह 25 से ज्यादा बच्चों को नक्सल स्कूल में पढ़ा चुका है।
नक्सली संगठन में बच्चे पैदा करने की अनुमति नहीं
संगठन में रहते वक्त उसे सीएनएम सदस्य आसमती से प्रेम हुआ। दोनों ने शादी की इच्छा जताई। संगठन में बात रखी। सभी के बीच साल 2018 में शादी हुई। आसमती इसी साल गर्भवती हुई। नक्सलियों को पता चला कि वह गर्भवती है, तो गर्भपात के लिए दबाव बनाने लगे। मीटिंग रखी गई और कहा कि आसमती का गर्भपात कराना जरूरी है क्योंकि संगठन में बच्चे पैदा करने की इजाजत नहीं है। इसलिए दोनों अंधेरे में जंगल से भाग गए।
एसपी और सीआरपीएफ डीआईजी ने ताली बजाकर स्वागत किया
दोनों ने दंतेवाड़ा के एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव के सामने समर्पण किया। इस दौरान एसपी, सीआरपीएफ डीआईजी विनय कुमार, एएसपी उदय किरण, एएसपी राजेंद्र जायसवाल, डीएसपी अमर सिदार सभी ने उन दोनों का ताली बजाकर स्वागत किया और आसमती की जिला अस्पताल में चिकित्सा की व्यवस्था की।
एक नक्सली, जो नक्सलियों के स्कूल में बच्चों को पढ़ाता था, वह अपनी गर्भवती पत्नी को लेकर नक्सलियों के ही चंगुल से छूटकर पुलिस के पास भागा-भागा आया। कारण था कि उसकी पत्नी गर्भवती थी और नक्सली नहीं चाहते थे कि वह बच्चे को जन्म दे। इसलिए वे गर्भपात कराना चाहते थे, लेकिन हरदेश और उसकी पत्नी बच्चा चाहते थे। लिहाजा दोनों नक्सलियों से छिपते-छिपाते पुलिस के पास पहुंचे और सरेंडर किया। यह अपनी तरह का पहला मामला है।
नक्सली स्कूल में शिक्षक हरदेश ने पुलिस को बताया, 'मेरी पत्नी छह महीने की गर्भवती है। नक्सली मेरी पत्नी का गर्भपात कराना चाहते हैं। मुझ पर दबाव बना रहे हैं। इसके पहले भी नक्सल संगठन में काम कर रही चार महिलाओं का गर्भपात कराया गया है। मैं अपने बच्चे को खोना नहीं चाहता। इसलिए हम आपके पास आए हैं, हम दोनों पति-पत्नी सरेंडर करना चाहते हैं।' हरदेश छत्तीसगढ़ के पीडियाकोट इलाके का रहने वाला है।
हरदेश ने बताया कि उसने पोटाकेबिन बांगापाल में पांचवीं तक की पढ़ाई की है। साल 2017 को जब वह पढ़ रहा था, तब पिता की मौत हो गई थी। पढ़ाई छोड़कर वह गांव आया तो नक्सली आयतू जबरदस्ती उठाकर ले गया और संगठन में भर्ती कराया। यहां वह नक्सल स्कूल चलाने लगा। 10 साल और इससे ज्यादा उम्र के बच्चों को जनताना सरकारी स्कूल में नक्सल पढ़ाई कराने लगा। अब तक वह 25 से ज्यादा बच्चों को नक्सल स्कूल में पढ़ा चुका है।
नक्सली संगठन में बच्चे पैदा करने की अनुमति नहीं
संगठन में रहते वक्त उसे सीएनएम सदस्य आसमती से प्रेम हुआ। दोनों ने शादी की इच्छा जताई। संगठन में बात रखी। सभी के बीच साल 2018 में शादी हुई। आसमती इसी साल गर्भवती हुई। नक्सलियों को पता चला कि वह गर्भवती है, तो गर्भपात के लिए दबाव बनाने लगे। मीटिंग रखी गई और कहा कि आसमती का गर्भपात कराना जरूरी है क्योंकि संगठन में बच्चे पैदा करने की इजाजत नहीं है। इसलिए दोनों अंधेरे में जंगल से भाग गए।
एसपी और सीआरपीएफ डीआईजी ने ताली बजाकर स्वागत किया
दोनों ने दंतेवाड़ा के एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव के सामने समर्पण किया। इस दौरान एसपी, सीआरपीएफ डीआईजी विनय कुमार, एएसपी उदय किरण, एएसपी राजेंद्र जायसवाल, डीएसपी अमर सिदार सभी ने उन दोनों का ताली बजाकर स्वागत किया और आसमती की जिला अस्पताल में चिकित्सा की व्यवस्था की।