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सरपंच पति की सिस्टम को चुनौती: नवरात्र का चंदा दो, फिर मिलेगा सरकारी राशन; 101 रुपये और एक किलो देना होगा चावल

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोरबा Published by: मोहनीश श्रीवास्तव Updated Tue, 14 Mar 2023 01:39 PM IST
सार

बताया जा रहा है कि कई ग्रामीण इस फरमान का मजबूरी में पालन कर रहे हैं, वहीं कई ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। इन सबके बीच पंचायत ने चुप्पी साध ली है। गांव की सरपंच विज्ञानी कंवर से जब इस संबंध में बात करने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। 

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सरकारी दुकान पर राशन लेने के लिए पहुंचे ग्रामीण। - फोटो : संवाद

विस्तार

छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में अब भी महिला प्रतिनिधि की जगह उनके पति का फरमान चल रहा है। वह कभी तुगलकी आदेश जारी कर देते हैं और ग्रामीणों को माननी होती है। नया मामला कोरबा की एक ग्राम पंचायत का है। यहां की सरपंच के पति ने तो सिस्टम को खुली चुनौती दे दी है। कहा है कि जो गांव वाले नवरात्रि का चंदा नहीं देंगे, उन्हें सरकारी राशन नहीं मिलेगा। चंदा भी ग्रामीण अपनी मर्जी से नहीं दे सकते। उसके लिए भी रेट तय कर दिया गया है। इसके बाद ग्रामीणों में आक्रोश है। 





दरअसल, उरगा क्षेत्र में ग्राम पंचायत है गिधौरी। यहां की सरपंच विज्ञानी कंवर हैं। हालांकि पंचायत में उनके पति गोविंदा कंवर की चलती है। अब उनके पति ने नया फरमान जारी किया है। यह फरमान न केवल तुगलकी है, बल्कि सिस्टम को चुनौती देने वाला है। इस नवरात्रि पर ग्रामीणों से चंदा मांगा गया है। पहले चंदा घर-घर जाकर लिया जाता था और ग्रामीण स्वेच्छा से देते हैं। इस बार सरपंच पति गोविंदा ने कहा है कि पहले चंदा दो, उसके बाद ही सरकारी कोटे का राशन मिलेगा। जो नहीं देगा, उसे नहीं मिलेगा। 


पंचायत की राशन दुकान में सामान लेने पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच पति ने चंदे की राशि भी तय की है। इसके तहत 101 रुपये और एक किलो चावल देने को कहा गया है। ग्रामीणों ने बताया कि सरकारी राशन मुफ्त है। उनसे चंदा के नाम पर रुपये मांगे जा रहे हैं, नहीं देने पर राशन भी नहीं दिया गया है। ग्रामीण कार्तिक दास ने बताया कि गांव में पहले पंच, सरपंच घर-घर जा जाकर पूजा-पाठ का चंदा लेते थे। इस बार यह नया नियम निकाला गया है जो सरासर गलत है। रोज कमाने वाले गरीबों के लिए बहुत दिक्कत है। 

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