न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रायपुर
Updated Wed, 10 Jun 2020 07:24 PM IST
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कोरोना वायरस महामारी के बीच छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित दंतेवाड़ा जिले के आदिवासियों और बुजुर्गों की मदद करने के लिए बैंक सेवाएं उनके दरवाजे तक पहुंच गई हैं। जिला प्रशासन द्वारा प्रारंभ की गई 'बैंक सगवारी तुमचो दुवार' से विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों को अब पेंशन और मजदूरी की राशि के लिए बैंकों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है। दंतेवाड़ा जिले में 'बैंक सगवारी तुमचो दुवार' योजना से गरीबों, श्रमिकों और बुजुर्गों को काफी सुविधा मिलने लगी है।
अब तक, 18,900 में से 2541 पेंशनभोगी, जिनमें लगभग 22 गांवों की विधवाओं और बुजुर्गों को शामिल किया गया है, सभी को छत्तीसगढ़ के समाज कल्याण विभाग की विभिन्न योजनाओं के तहत उनके घर पर पैसा मिला है। वर्तमान में इस कार्यक्रम में छह योजनाओं को शामिल किया गया है और प्रशासन ने मनरेगा रोजगार भुगतान के लिए सेवाओं का विस्तार करने की योजना बनाई है।
दंतेवाड़ा जिला के कलेक्टर दीपक सोनी ने कहा, 'हमने देखा कि कोरोना महामारी के दौरान स्थानीय बैंकों तक पहुंचने के लिए आदिवासी, विधवा और बुजुर्ग लोग कठिन इलाकों से गुजर रहे हैं। कुछ लोग 10 किलोमीटर से अधिक चल रहे थे, इसलिए हमने वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के लिए एक कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया। हम चाहते हैं कि बुजुर्ग आबादी इस महामारी के दौरान घर के अंदर रहें।
कोरोना वायरस महामारी के बीच छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित दंतेवाड़ा जिले के आदिवासियों और बुजुर्गों की मदद करने के लिए बैंक सेवाएं उनके दरवाजे तक पहुंच गई हैं। जिला प्रशासन द्वारा प्रारंभ की गई 'बैंक सगवारी तुमचो दुवार' से विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों को अब पेंशन और मजदूरी की राशि के लिए बैंकों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है। दंतेवाड़ा जिले में 'बैंक सगवारी तुमचो दुवार' योजना से गरीबों, श्रमिकों और बुजुर्गों को काफी सुविधा मिलने लगी है।
अब तक, 18,900 में से 2541 पेंशनभोगी, जिनमें लगभग 22 गांवों की विधवाओं और बुजुर्गों को शामिल किया गया है, सभी को छत्तीसगढ़ के समाज कल्याण विभाग की विभिन्न योजनाओं के तहत उनके घर पर पैसा मिला है। वर्तमान में इस कार्यक्रम में छह योजनाओं को शामिल किया गया है और प्रशासन ने मनरेगा रोजगार भुगतान के लिए सेवाओं का विस्तार करने की योजना बनाई है।
दंतेवाड़ा जिला के कलेक्टर दीपक सोनी ने कहा, 'हमने देखा कि कोरोना महामारी के दौरान स्थानीय बैंकों तक पहुंचने के लिए आदिवासी, विधवा और बुजुर्ग लोग कठिन इलाकों से गुजर रहे हैं। कुछ लोग 10 किलोमीटर से अधिक चल रहे थे, इसलिए हमने वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के लिए एक कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया। हम चाहते हैं कि बुजुर्ग आबादी इस महामारी के दौरान घर के अंदर रहें।