पंचकुला की एक शांत-सी कॉलोनी में रहने वाले संदीप विज को इस साल वित्तीय मुश्किलों का सामना करना पड़ा, क्योंकि लॉकडाउन के कारण उनकी आय तो कम हो गई, पर ऋण के भुगतान से जुड़ी उनकी प्रतिबद्धता में कोई कमी नहीं आई। 52 साल के संदीप पहली पीढ़ी के उद्यमी हैं। लॉकडाउन के कारण ड्राई क्लिनिंग यूनिट तथा कुरियर एजेंसी के उनके दोनों कारोबार ठप हो गए, जिससे उन्हें अपने परिवार के साथ अधिक वक्त गुजारने को मिला। मगर कर्ज तथा कर्मचारियों के वेतन के बोझ ने उन्हें वित्तीय परेशानी में डाल दिया। वह अब अपने कर्जों को व्यवस्थित करना चाहते हैं, ताकि फिर कभी ऐसी स्थिति से न गुजरना पड़े।
समझदारी से लें कर्ज
आदर्श रूप में हम सब यही चाहते हैं कि हमारे पास जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन हो। लेकिन हकीकत में अक्सर हमें अपने वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कर्ज लेने पड़ते हैं। पहले कर्ज लेने को सामाजिक बुराई के तौर पर देखा जाता था। पर अब काफी कुछ बदल गया है। आज छुट्टियों में घूमने जाने से लेकर मकान खरीदने तक के के लिए कर्ज उपलब्ध हैं। ईएमआई संस्कृति ने उत्पाद की लागत और सेवा के बीच की रेखा को धुंधला कर दिया है।
कई तरह के कर्ज
कर्ज लेने में तब तक कोई बुराई नहीं है, जब तक आपको इसके संभावित परिणामों का एहसास हो। आम तौर पर दो तरह के लोन होते हैं, एक है संपत्ति निर्माण से संबंधित और दूसरा संपत्ति के क्षरण से संबंधित। मकान खरीदने या शिक्षा के लिए जब आप कर्ज लेते हैं, तो यह संपत्ति निर्माण से संबंधित कर्ज हुआ, वहीं जब आप कोई नया फोन लेने या छुट्टियां बिताने के लिए कर्ज लेते हैं, तो यह संपत्ति के क्षरण से संबंधित कर्ज हुआ।
जब आप अपने रहने के लिए मान लीजिए कि तीस लाख रुपये का मकान खरीदते हैं, तो इस तरह आप अपने लिए संपत्ति का निर्माण भी कर रहे होते हैं, भविष्य में जिसकी कीमत बढ़ने की संभावना होती है। इससे किराये की बचत भी होती है। इसी तरह से जब आप एजुकेशन लोन लेते हैं, तो आप रोजगार की अपनी संभावनाओं को बेहतर कर रहे होते हैं।
इन दोनों तरह के कर्जों के एवज में आप कर में छूट का दावा भी कर सकते हैं, जिससे कर्ज की लागत कुछ कम हो जाती है। इसके विपरीत जब आप कर्ज से कोई कार खरीदते हैं, तो शोरूम से कार के बाहर निकलते ही उसका मूल्यह्रास होना शुरू हो जाता है। जबकि आपको कर्ज का भुगतान तो कार की कीमत के आधार पर करना होता है।
यही बात मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक सामानों की कर्ज पर खरीदी या फिर छुट्टियां बिताने या किसी और जरूरत के लिए पर्सनल लोन लेने पर भी लागू होती है। इसका यह मतलब नहीं है कि संपत्ति के क्षरण से संबंधित सारे कर्ज खराब ही होते हैं। यदि कर्ज पर खरीदी गई कार से रोजगार में मदद मिलती है और आपकी आय में बढ़ोतरी होती है, तो फिर यह गलत नहीं है।
कर्जदारों के लिए सबक
संदीप विज को अपने सारे लोन बकाए और ईएमआई तथा ब्याज भुगतान सहित सूची बनाकर यह जानना चाहिए कि ऊंची ब्याज दरों वाले लोन कौन से हैं। आपको ईएमआई के भुगतान में मुश्किल आ रही हो, तो कारोबार से संबंधित लोन के बारे में कर्जदाता बैंक से बात करनी चाहिए। बैंक और कर्ज देने वाली एजेंसियां लोन को रिस्ट्रक्चर करने को तैयार होती हैं।
कर्ज के संबंध में कुछ टिप्स