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पैंसठ साल के कमल बिष्ट को एक नई चिंता खाए जा रही है। वह यह कि मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति पत्नी को और पत्नी की मृत्यु के बाद संतानों को कैसे मिलेगी। नैनीताल के रहने वाले कमल बिष्ट ओएनजीसी के रिटायर्ड कर्मचारी हैं। दरअसल एक महीना पहले कोरोना से अपने दोस्त की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति उसकी पत्नी के नाम होने में भारी मुसीबतें आईं। कमल नहीं चाहते कि उनकी मृत्यु के बाद उनके परिवार के साथ भी ऐसा ही हो।
वसीयत क्या है?
वसीयत तैयार की जरूरत उन सबको है, जिनके पास संपत्ति है। इस देश का कोई भी नागरिक, जिसकी उम्र 21 साल हो, वसीयत बना सकता है। सादे कागज पर भी वसीयत तैयार की जा सकती है। इसके लिए स्टांप पेपर की जरूरत नहीं है। अलबत्ता वसीयत अपने हाथ से लिखी जानी चाहिए, क्योंकि मृत्यु के बाद रिश्तेदारों द्वारा इस पर संदेह जताने की आशंका बनी रहती है। आदर्श स्थिति तो यही है कि 40 साल से अधिक उम्र का हर व्यक्ति अपनी वसीयत तैयार करने के बारे में गंभीरता से सोचे।
वसीयत बनाने की प्रक्रिया
सबसे पहले अपनी उन तमाम चल-अचल संपत्ति को सूचीबद्ध करें, जिन पर आपका मालिकाना हक है। वसीयत तैयार करते समय पत्नी को भरोसे में लेना चाहिए और साथ ही ऐसे व्यक्ति का चयन करें, जिन पर आप दोनों भरोसा करते हों और जो आपकी वसीयत को लागू करेगा। फिर सादे कागज पर एक स्टैंडर्ड फॉर्मेट में आप अपनी वसीयत लिखना शुरू करें। आप वसीयत के बने-बनाए फॉर्मेट की भी मदद ले सकते हैं। वसीयत पर दस्तखत करने के लिए ऐसे गवाहों की भी जरूरत है, जो मानसिक रूप से संतुलित हों। अगर आपका कोई फैमिली डॉक्टर हो, तो उन्हें एक गवाह के रूप में शामिल करने के बारे में सोचें, क्योंकि भविष्य में कभी अगर यह सवाल उठे कि वसीयत पर दस्तखत करते हुए आप दिमागी रूप से सही नहीं थे, तो डॉक्टर का बयान इस अर्थ में महत्वपूर्ण साबित होगा। वसीयत तैयार करने के बाद कमल बिष्ट उसे अपने लॉकर में रख सकते हैं और इस बारे में पत्नी और वसीयत लागू करने वाले व्यक्ति को बता सकते हैं। वह वसीयत में जितनी बार चाहें, बदलाव कर सकते हैं। हां, गवाहों के सामने दस्तखत करने के बाद इसे लिफाफे में सीलबंद कर देना चाहिए। वसीयत की रजिस्ट्री की जरूरत तब है, जब संपत्ति विवादित हो और उस पर कानूनी हस्तक्षेप जरूरी हो। वसीयत की रजिस्ट्री के लिए फीस चुकानी पड़ती है।
वसीयत का प्रारूप
व्यक्तिगत विवरण : आपका नाम, पिता का नाम, आवासीय पता, जन्म तिथि और दूसरे ब्योरे।
तारीख : जिस दिन आप अपनी वसीयत तैयार कर रहे हैं।
वसीयत बगैर किसी दबाव के : इसका जिक्र जरूरी कि किसी के दबाव या प्रभाव में वसीयत तैयार नहीं की।
वसीयत लागू करने वाले का विवरण : उस व्यक्ति का नाम, संपर्क और आपसे उसका रिश्ता।
संपत्ति का विवरण और लाभार्थी : सभी अचल संपत्तियों को उसके पते के साथ सूचीबद्ध करना होगा। बैंक डिपॉजिट, बीमा, म्यूचुअल फंड यूनिट्स जैसी चल संपत्तियों का विवरण। हर संपत्ति के लाभार्थी का नाम लिखना होगा।
हस्ताक्षर : वसीयत पर हस्ताक्षर करें।
गवाह : वसीयत को सत्यापित करने के लिए कम से कम दो गवाहों की जरूरत। वे अपने पिता, पता और संपर्क का भी विवरण दें।
पैंसठ साल के कमल बिष्ट को एक नई चिंता खाए जा रही है। वह यह कि मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति पत्नी को और पत्नी की मृत्यु के बाद संतानों को कैसे मिलेगी। नैनीताल के रहने वाले कमल बिष्ट ओएनजीसी के रिटायर्ड कर्मचारी हैं। दरअसल एक महीना पहले कोरोना से अपने दोस्त की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति उसकी पत्नी के नाम होने में भारी मुसीबतें आईं। कमल नहीं चाहते कि उनकी मृत्यु के बाद उनके परिवार के साथ भी ऐसा ही हो।
वसीयत क्या है?
वसीयत तैयार की जरूरत उन सबको है, जिनके पास संपत्ति है। इस देश का कोई भी नागरिक, जिसकी उम्र 21 साल हो, वसीयत बना सकता है। सादे कागज पर भी वसीयत तैयार की जा सकती है। इसके लिए स्टांप पेपर की जरूरत नहीं है। अलबत्ता वसीयत अपने हाथ से लिखी जानी चाहिए, क्योंकि मृत्यु के बाद रिश्तेदारों द्वारा इस पर संदेह जताने की आशंका बनी रहती है। आदर्श स्थिति तो यही है कि 40 साल से अधिक उम्र का हर व्यक्ति अपनी वसीयत तैयार करने के बारे में गंभीरता से सोचे।
वसीयत बनाने की प्रक्रिया
सबसे पहले अपनी उन तमाम चल-अचल संपत्ति को सूचीबद्ध करें, जिन पर आपका मालिकाना हक है। वसीयत तैयार करते समय पत्नी को भरोसे में लेना चाहिए और साथ ही ऐसे व्यक्ति का चयन करें, जिन पर आप दोनों भरोसा करते हों और जो आपकी वसीयत को लागू करेगा। फिर सादे कागज पर एक स्टैंडर्ड फॉर्मेट में आप अपनी वसीयत लिखना शुरू करें। आप वसीयत के बने-बनाए फॉर्मेट की भी मदद ले सकते हैं। वसीयत पर दस्तखत करने के लिए ऐसे गवाहों की भी जरूरत है, जो मानसिक रूप से संतुलित हों। अगर आपका कोई फैमिली डॉक्टर हो, तो उन्हें एक गवाह के रूप में शामिल करने के बारे में सोचें, क्योंकि भविष्य में कभी अगर यह सवाल उठे कि वसीयत पर दस्तखत करते हुए आप दिमागी रूप से सही नहीं थे, तो डॉक्टर का बयान इस अर्थ में महत्वपूर्ण साबित होगा। वसीयत तैयार करने के बाद कमल बिष्ट उसे अपने लॉकर में रख सकते हैं और इस बारे में पत्नी और वसीयत लागू करने वाले व्यक्ति को बता सकते हैं। वह वसीयत में जितनी बार चाहें, बदलाव कर सकते हैं। हां, गवाहों के सामने दस्तखत करने के बाद इसे लिफाफे में सीलबंद कर देना चाहिए। वसीयत की रजिस्ट्री की जरूरत तब है, जब संपत्ति विवादित हो और उस पर कानूनी हस्तक्षेप जरूरी हो। वसीयत की रजिस्ट्री के लिए फीस चुकानी पड़ती है।
वसीयत का प्रारूप
व्यक्तिगत विवरण : आपका नाम, पिता का नाम, आवासीय पता, जन्म तिथि और दूसरे ब्योरे।
तारीख : जिस दिन आप अपनी वसीयत तैयार कर रहे हैं।
वसीयत बगैर किसी दबाव के : इसका जिक्र जरूरी कि किसी के दबाव या प्रभाव में वसीयत तैयार नहीं की।
वसीयत लागू करने वाले का विवरण : उस व्यक्ति का नाम, संपर्क और आपसे उसका रिश्ता।
संपत्ति का विवरण और लाभार्थी : सभी अचल संपत्तियों को उसके पते के साथ सूचीबद्ध करना होगा। बैंक डिपॉजिट, बीमा, म्यूचुअल फंड यूनिट्स जैसी चल संपत्तियों का विवरण। हर संपत्ति के लाभार्थी का नाम लिखना होगा।
हस्ताक्षर : वसीयत पर हस्ताक्षर करें।
गवाह : वसीयत को सत्यापित करने के लिए कम से कम दो गवाहों की जरूरत। वे अपने पिता, पता और संपर्क का भी विवरण दें।