कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते देश में लॉकडाउन है, इससे उद्योग जगत को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। आयात-निर्यात पर प्रतिबंध है। ऐसे में उद्योग जगत के साथ सरकार और पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था को क्या कुछ झेलना पड़ रहा है इसे लेकर वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने अमर उजाला के शरद गुप्ता से बातचीत की। पेश हैं अंश...
लॉकडाउन से आपका कितना नुकसान हो रहा है?
छले साल हमारी कंपनी की आय एक लाख करोड़ थी। इसमें 50 फीसदी हिस्सा रॉयल्टी और टैक्स के जरिये सरकार को गया था। हमारी कंपनियों में एक लाख लोग काम कर रहे हैं। अब हमें तो नुकसान पहुंचा ही है सरकार का राजस्व भी कम हुआ है।
आपकी सरकार से क्या अपेक्षा है?
देश के कामगारों में 80 फीसदी हिस्सेदारी असंगठित क्षेत्र की है, इसलिए उन तक प्राथमिकता से राहत पहुंचे। खेतिहर मजदूर, रेहड़ी-खोमचे वालों को 3 महीने तक 8,000 रुपये प्रतिमाह दिए जाएं।
आपकी कंपनी ने क्या मदद की?
हमने पीएम केयर्स फंड में 101 करोड़ रुपये दिए हैं। इसके अलावा 100 करोड़ का अतिरिक्त प्रबंध किया। पीपीई बनाने के लिए 23 मशीनों का आयात किया है। वेदांता के कर्मचारियों ने अपनी 1 दिन की पगार राहत कोष में दी है। 10 लाख मजदूरों को रोज भोजन करा रहे हैं।
लॉकडाउन से बंद पड़े उद्योगों को सरकार से क्या अपेक्षा है?
सरकार उद्योगों को बिजली और किराये में राहत दे, कर्ज पर ब्याज में माफी दे। रॉयल्टी व टैक्स वसूली कुछ दिनों के लिए स्थगित हो। कुछ समय के लिए आयात पर प्रतिबंध लगाना भी उचित होगा। साथ ही अमेरिका और ब्रिटेन की तरह हमारे देश में भी उद्योगों के लिए राहत पैकेज की घोषणा होनी चाहिए।
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते देश में लॉकडाउन है, इससे उद्योग जगत को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। आयात-निर्यात पर प्रतिबंध है। ऐसे में उद्योग जगत के साथ सरकार और पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था को क्या कुछ झेलना पड़ रहा है इसे लेकर वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने अमर उजाला के शरद गुप्ता से बातचीत की। पेश हैं अंश...
लॉकडाउन से आपका कितना नुकसान हो रहा है?
छले साल हमारी कंपनी की आय एक लाख करोड़ थी। इसमें 50 फीसदी हिस्सा रॉयल्टी और टैक्स के जरिये सरकार को गया था। हमारी कंपनियों में एक लाख लोग काम कर रहे हैं। अब हमें तो नुकसान पहुंचा ही है सरकार का राजस्व भी कम हुआ है।
आपकी सरकार से क्या अपेक्षा है?
देश के कामगारों में 80 फीसदी हिस्सेदारी असंगठित क्षेत्र की है, इसलिए उन तक प्राथमिकता से राहत पहुंचे। खेतिहर मजदूर, रेहड़ी-खोमचे वालों को 3 महीने तक 8,000 रुपये प्रतिमाह दिए जाएं।
आपकी कंपनी ने क्या मदद की?
हमने पीएम केयर्स फंड में 101 करोड़ रुपये दिए हैं। इसके अलावा 100 करोड़ का अतिरिक्त प्रबंध किया। पीपीई बनाने के लिए 23 मशीनों का आयात किया है। वेदांता के कर्मचारियों ने अपनी 1 दिन की पगार राहत कोष में दी है। 10 लाख मजदूरों को रोज भोजन करा रहे हैं।
लॉकडाउन से बंद पड़े उद्योगों को सरकार से क्या अपेक्षा है?
सरकार उद्योगों को बिजली और किराये में राहत दे, कर्ज पर ब्याज में माफी दे। रॉयल्टी व टैक्स वसूली कुछ दिनों के लिए स्थगित हो। कुछ समय के लिए आयात पर प्रतिबंध लगाना भी उचित होगा। साथ ही अमेरिका और ब्रिटेन की तरह हमारे देश में भी उद्योगों के लिए राहत पैकेज की घोषणा होनी चाहिए।