वित्त वर्ष 2016-17 में भारतीय रेलवे को केवल दो श्रेणियों से कमाई हुई थी। बाकी सभी श्रेणियों के टिकट बेचकर घाटा हुआ था। इसका खुलासा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक -सीएजी- की नवीनतम रिपोर्ट से हुआ है, जिसे सोमवार को संसद में पेश किया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक वातानुकूलित तृतीय श्रेणी (एसी थ्री टियर) और वातानुकूलित कुर्सीयान (एसी चेयरकार) से रेलवे का लाभ बढ़ गया। एसी थ्री टियर से रेलवे का लाभ 12.43 फीसदी बढ़कर के 1040.52 करोड़ रुपये हो गया, जबकि एसी चेयरकार से लाभ 8.13 फीसदी बढ़कर 117.83 करोड़ रुपये हो गया।
2012 से 2016 तक इतनी हुई थी कमाई
सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार, 2012-13 में रेलवे को एसी थ्री टियर से 494.99 करोड़ रुपये, 2013-14 में 410.67 करोड़ रुपये, 2014-15 में 881.52 करोड़ रुपये और 2015-16 में 898.06 करोड़ का लाभ हुआ था। वहीं एसी चेयरकार से रेलवे को 2012-13 में 38.12 करोड़ रुपये, 2013.14 में 148.47 करोड़ रुपये, 2014-15 में 142.26 करोड़ रुपये और 2015-16 में 5.58 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी।
अन्य श्रेणियों से हुआ इतना घाटा
रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे को एसी प्रथम श्रेणी में 17.68 फीसदी, प्रथम श्रेणी में 80.27 फीसदी, एसी द्वितीय श्रेणी में 13.60 फीसदी, शयनयान श्रेणी में 40.80 फीसदी, द्वितीय श्रेणी में 49.17 फीसदी, पैसेंजर ट्रेनों में 70.19 फीसदी और ईएमयू सब अर्बन ट्रेनों में 64.74 फीसदी का नुकसान पिछले पांच सालों में हुआ है।
सब्सिडी और रियायती पास बने बड़ी वजह
सीएजी ने रेल यात्री किरायों में रियायतों विशेषकर रेलवे अधिकारियों को मिलने वाले विशेष पास के दुरुपयोग के कारण करोड़ों रुपए के नुकसान के लिए रेलवे को फटकार लगाई है और रियायतों को युक्तिसंगत और उनकी नियंत्रण प्रणाली को प्रभावी बनाने की सिफारिश की है।
वर्ष 2015-16, 2016-17 और 2017-18 में रेलवे के कुल यात्रियों में से 11.45 फीसदी ने विभिन्न प्रकार की रियायतों का उपभोग किया जिसमें रेलवे को किराए से होने वाली आय 8.42 फीसदी की कमी दर्ज की गई।
रियायतों को बनाया जाए तर्कसंगत
कैग ने सिफारिश की है कि वह यात्रियों की जरूरतों के अनुरूप रियायतों को तर्कसंगत बनाए और बेहिसाब रियायतों पर अंकुश लगाए। रेलवे को रियायतों खासकर पीटीओ या मानार्थ पास के दुरुपयोग को रोकने के लिए पीआरएस में प्रभावी नियंत्रण प्रावधान करना चाहिए।
वित्त वर्ष 2016-17 में भारतीय रेलवे को केवल दो श्रेणियों से कमाई हुई थी। बाकी सभी श्रेणियों के टिकट बेचकर घाटा हुआ था। इसका खुलासा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक -सीएजी- की नवीनतम रिपोर्ट से हुआ है, जिसे सोमवार को संसद में पेश किया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक वातानुकूलित तृतीय श्रेणी (एसी थ्री टियर) और वातानुकूलित कुर्सीयान (एसी चेयरकार) से रेलवे का लाभ बढ़ गया। एसी थ्री टियर से रेलवे का लाभ 12.43 फीसदी बढ़कर के 1040.52 करोड़ रुपये हो गया, जबकि एसी चेयरकार से लाभ 8.13 फीसदी बढ़कर 117.83 करोड़ रुपये हो गया।
2012 से 2016 तक इतनी हुई थी कमाई
सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार, 2012-13 में रेलवे को एसी थ्री टियर से 494.99 करोड़ रुपये, 2013-14 में 410.67 करोड़ रुपये, 2014-15 में 881.52 करोड़ रुपये और 2015-16 में 898.06 करोड़ का लाभ हुआ था। वहीं एसी चेयरकार से रेलवे को 2012-13 में 38.12 करोड़ रुपये, 2013.14 में 148.47 करोड़ रुपये, 2014-15 में 142.26 करोड़ रुपये और 2015-16 में 5.58 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी।
अन्य श्रेणियों से हुआ इतना घाटा
रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे को एसी प्रथम श्रेणी में 17.68 फीसदी, प्रथम श्रेणी में 80.27 फीसदी, एसी द्वितीय श्रेणी में 13.60 फीसदी, शयनयान श्रेणी में 40.80 फीसदी, द्वितीय श्रेणी में 49.17 फीसदी, पैसेंजर ट्रेनों में 70.19 फीसदी और ईएमयू सब अर्बन ट्रेनों में 64.74 फीसदी का नुकसान पिछले पांच सालों में हुआ है।
सब्सिडी और रियायती पास बने बड़ी वजह
सीएजी ने रेल यात्री किरायों में रियायतों विशेषकर रेलवे अधिकारियों को मिलने वाले विशेष पास के दुरुपयोग के कारण करोड़ों रुपए के नुकसान के लिए रेलवे को फटकार लगाई है और रियायतों को युक्तिसंगत और उनकी नियंत्रण प्रणाली को प्रभावी बनाने की सिफारिश की है।
वर्ष 2015-16, 2016-17 और 2017-18 में रेलवे के कुल यात्रियों में से 11.45 फीसदी ने विभिन्न प्रकार की रियायतों का उपभोग किया जिसमें रेलवे को किराए से होने वाली आय 8.42 फीसदी की कमी दर्ज की गई।
रियायतों को बनाया जाए तर्कसंगत
कैग ने सिफारिश की है कि वह यात्रियों की जरूरतों के अनुरूप रियायतों को तर्कसंगत बनाए और बेहिसाब रियायतों पर अंकुश लगाए। रेलवे को रियायतों खासकर पीटीओ या मानार्थ पास के दुरुपयोग को रोकने के लिए पीआरएस में प्रभावी नियंत्रण प्रावधान करना चाहिए।