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Indian Economy: एनएसओ ने कहा- घरेलू जीडीपी की बुनियाद मजबूत, वित्त मंत्री बोलीं- महंगाई से निपटने में भारत सफल

एजेंसी, नई दिल्ली। Published by: देव कश्यप Updated Thu, 01 Dec 2022 05:11 AM IST
सार

राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) के बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) इस साल जुलाई-सितंबर तिमाही में 5.6 फीसदी बढ़कर 35.05 लाख करोड़ रुपये रहा। कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर (जीवीए) दूसरी तिमाही में 4.6 फीसदी रही, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 3.2 फीसदी थी।

Indian Economy: The service agriculture sector increased the pace of the economy,
सांकेतिक तस्वीर। - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

मजबूत आर्थिक बुनियाद, विभिन्न सुधारों और कारोबारी गतिविधियों के दम पर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भी भारत दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है। इससे न सिर्फ वैश्विक निवेशकों का भारत पर भरोसा बढ़ेगा बल्कि निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी।


 
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) के बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) इस साल जुलाई-सितंबर तिमाही में 5.6 फीसदी बढ़कर 35.05 लाख करोड़ रुपये रहा। कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर (जीवीए) दूसरी तिमाही में 4.6 फीसदी रही, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 3.2 फीसदी थी। सेवा क्षेत्र यानी होटल, व्यापार, परिवहन, संचार और सेवाओं की वृद्धि दर 14.7 फीसदी रही। 2021-22 की समान तिमाही में क्षेत्र 9.6 फीसदी की दर से बढ़ा था। वहीं, वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं की वृद्धि दर इस दौरान बढ़कर 7.2 फीसदी पहुंच गई। पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में यह 6.1 फीसदी रही थी।


6.8 से 7.0 फीसदी आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने की दिशा में बढ़ रहा देश : सीईए
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने बुधवार को कहा कि देश की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 6.8 से 7 फीसदी आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के रास्ते पर बढ़ रही है। उन्होंने कहा, आर्थिक सुधार की गति निरंतर जारी है। जीडीपी 2019-20 के स्तर के करीब पहुंच गया है।

  • उन्होंने कहा, त्योहारी बिक्री, पीएमआई, बैंकों की कर्ज वृद्धि तथा वाहन बिक्री के आंकड़े बताते हैं कि वैश्विक स्तर पर प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद अर्थव्यवस्था की गति कायम है।
  • आईएमएफ ने भारत की वृद्धि दर 6.8% रहने का अनुमान जताया है। 
  • जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर घटकर 6.3 फीसदी रह गई, जबकि 2021-22 की समान अवधि में यह 8.4% थी। हालांकि, पहली छमाही में 9.7 फीसदी की वृद्धि हुई थी।


महंगाई से निपटने में सफल होगा भारत : वित्त मंत्री
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को भरोसा जताया कि भारत महंगाई से बेहतर तरीके से निपटने में सफल होगा। भारत पहले ही खाद्य कीमतों पर आपूर्ति पक्ष के दबाव के रूप में एक बहुत अच्छा ढांचा तैयार कर चुका है। खुदरा महंगाई जनवरी से रिजर्व बैंक के 6% से ऊपर बनी हुई है। एक कार्यक्रम में वित्त मंत्री ने स्वीकार किया, कच्चे तेल जैसी वस्तुओं के आयात के कारण महंगाई बनी रहने वाली है।

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उन्होंने कहा, हम शायद महंगाई को बेहतर तरीके से संभालने में सफल होंगे। आरबीआई के संकेत इसे नीचे की ओर बता रहे हैं और अगले साल की शुरुआत या मध्य तक यह उसके दायरे में होगी। महंगाई बाहरी कारकों से प्रभावित होने वाली है, लेकिन भारत के भीतर हम कृषि आपूर्ति और ऊर्जा के मामले में बेहतर हैं।

अर्थव्यवस्था में एमएसएमई के योगदान को दोगुना करने का लक्ष्य
केंद्रीय मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने बुधवार को कहा, सरकार ने देश के सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम क्षेत्र (एमएसएमई) की पूर्ण क्षमता का उपयोग कर अर्थव्यवस्था में योगदान को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। जीडीपी में एमएसएमई क्षेत्र का योगदान फिलहाल एक तिहाई है। एमएसएमई राज्यमंत्री ने कहा, मंत्रालय क्षेत्र की बाधाओं को दूर कर इस दिशा में काम कर रहा है।

बुनियादी उद्योग : कच्चे तेल और बिजली उत्पादन में गिरावट
देश के आठ बुनियादी उद्योगों में वृद्धि दर अक्तूबर में घटकर 20 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई। इस दौरान कोयला, इस्पात एवं बिजली उत्पादन में वृद्धि दर घटकर क्रमश: 3.6 फीसदी, 4.0 फीसदी और 0.4 फीसदी रही। हालांकि, उर्वरक उत्पादन में 5.4 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली। 

औद्योगिक श्रमिकों की खुदरा महंगाई अक्तूबर में घटकर 6.08 फीसदी रही
खाने का सामान सस्ता होने से औद्योगिक कर्मचारियों के लिये खुदरा महंगाई अक्तूबर महीने में घटकर 6.08 फीसदी रह गई। एक महीने पहले सितंबर में यह 6.49 फीसदी रही थी। श्रम मंत्रालय ने बुधवार को कहा, एक साल पहले अक्तूबर, 2021 में यह 4.52 फीसदी रही थी। बयान के अनुसार, खाद्य महंगाई पिछले महीने घटकर 6.52 फीसदी पर आ गई, जबकि इससे पिछले महीने सितंबर में यह 7.76 फीसदी थी। वहीं एक साल पहले अक्तूबर, 2021 में यह 2.20 फीसदी थी। औद्योगिक कर्मचारियों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई-आईडब्ल्यू) इस साल अक्तूबर में 1.2 अंक बढ़कर 132.5 अंक पर पहुंच गया। 

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