बदायूं। कांवेंट स्कूल की तरह सरकारी स्कूलों में सुविधाएं मुहैया कराने को शासन तमाम प्रयास कर रहा है, लेकिन वह कारगर नहीं हो पा रहा है। इसी कारण परिषदीय स्कूलों में शुरु की गई कंप्यूटर शिक्षा योजना फेल हो गई। अधिकांश स्कूलों के बच्चे कंप्यूटर खोलना तक नहीं जान पाए। बेसिक शिक्षा विभाग का तर्क है कि स्कूल के समय बत्ती गुल रहती है। वहीं बिजली विभाग के अफसर कहते हैं कि शेड्यूल हम नहीं पावर कारपोरेशन तय करता है।
जिले में परिषदीय विद्यालयों की संख्या लगभग तीन हजार है। इसमें 2100 प्राइमरी और 900 उच्च प्राइमरी स्कूल शामिल हैं। वर्ष 2009 में विद्युतीकरण योजना के तहत 900 से अधिक स्कूलों में बिजली की फिटिंग कराई गई थी। बिजली के अलावा सुरक्षा जिन स्कूलों में थी उनमें कंप्यूटर शिक्षा चलाए जाने का निर्णय लिया गया। जिले के 73 विद्यालयों में कंप्यूटर मुहैया कराए गए, लेकिन यह दो साल से चल ही नहीं पाए। हालांकि कुछ विद्यालयों में इंवर्टर की सुविधा दी गई है, पर वह भी चार्ज नहीं होे पा रहे हैं।
विद्यालय का समय सुबह सात से दोपहर 12 बजे तक है। इसी दौरान ग्रामीण इलाकों में बिजली गुल रहती है। इस तरह कंप्यूटर नहीं चल पाते। बच्चे भी इसलिए कंप्यूटर खोलना नहीं जान पाए। कई शिक्षकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनके विद्यालयों में तो कंप्यूटर एक दिन भी नहीं खुला। बच्चों को सिखाना तो दूर। बताते हैं कि कुछ कंप्यूटर तो प्रधानाध्यापक और ब्लाक स्तरीय अधिकारियों के यहां लगे हैं। बहाना यह बनाया जाता है कि विभागीय रिकार्ड तैयार किया जा रहा है।
प्रभारी बीएसए मंजुलता का कहना है कि स्कूल के समय बिजली न मिलने के कारण कंप्यूटर नहीं चल पाते। इंवर्टर की व्यवस्था की गई, लेकिन वह भी चार्ज नहीं हो पा रहे हैं। बच्चे कंप्यूटर खोलना और बंद करना जान गए हैं। बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता गिरीश कुमार का कहना है कि बिजली का शेड्यूल पावर कारपोरेशन तय करता है। उसी के अनुसार सप्लाई दी जाती है।