ब्रेग्जिट के कारण इतनी जल्दी ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन (ईयू) के बीच गंभीर तनाव की स्थितियां बन जाएंगी, ब्रेग्जिट समझौते को अंतिम रूप देते समय इसका अनुमान नहीं लगाया गया था। लेकिन जर्सी द्वीप के आसपास मछली मारने के अधिकार को लेकर जिस तरह ब्रिटेन और फ्रांस ने अपने हथियारबंद नौसेना कर्मियों को आमने-सामने खड़ा कर दिया, उससे उस क्षेत्र में बन रहे खतरनाक हालत का संकेत मिला है।
मसला सिर्फ समुद्र में मछली मारने के अधिकार क्षेत्र का नहीं है। अब खबर आई है कि बिना वीजा या आवास प्रमाणपत्र के ब्रिटेन में प्रवेश करने वाले ईयू देशों के नागरिकों को ब्रिटेन में हिरासत में लिया जा रहा है। ऐसे लोगों को आव्रजकों को वापस भेजने के लिए बनाए गए केंद्रों में रखा जा रहा है। इस खबर ने ब्रिटेन और ईयू के संबंधों को खासा तनावपूर्ण बना दिया है।
खबर है कि हिरासत में लेने के बाद आव्रजन केंद्रों में ईयू के कई नागरिकों को आव्रजन केंद्रों में सात दिन तक रखा गया। उनमें से कई लोगों को जबरन उनके देश वापस भेज दिया गया है। ईयू के राजनयिकों ने इस बारे में चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन ईयू के आव्रजकों के साथ भी वैसा ही बेरहम व्यवहार कर रहा है, जैसा बाकी महाद्वीपों के साथ आव्रजकों के साथ वह करता रहा है।
ब्रिटेन के गृह मंत्रालय ने इस बारे में कोई औपचारिक ब्योरा जारी नहीं किया है कि इस साल से आरंभ से आव्रजन केंद्रों में ईयू के कितने लोगों को रखा गया। लेकिन वेबसाइट पॉलिटिको.ईयू ने कहा है कि ऐसे कम से कम 30 लोगों की उसे खबर है। ये लोग जर्मनी, ग्रीस, इटली, रोमानिया और स्पेन के नागरिक हैं। राजनयिकों का कहना है कि ज्यादातर मामलों में खराब व्यवहार कम कुशल कर्मियों के साथ हुआ है, जो थोड़े समय की नौकरी पाने के लिए ब्रिटेन गए। जब ब्रिटेन ईयू के सदस्य था, तब ऐसा आना-जाना आम बात थी।
ईयू के अधिकारियों ने कहा है कि कई लोगों को अनुचित ढंग से लंबी अवधि तक हिरासत में रखा गया। अब ईयू देशों की सरकारों ने इस मामले में साझा रुख तय करने का फैसला किया है, ताकि इस मसले को ब्रिटेन के सामने उठाया जा सके। गौरतलब है कि ब्रेग्जिट समझौते में ये प्रावधान है कि ब्रिटेन बिना वर्क वीजा या बिना ईयू सेटलमेंट स्टेटस स्कीम का प्रमाणपत्र वाले ईयू देशों के नागरिकों का ब्रिटेन में प्रवेश रोक सकता है। ईयू सेटलमेंट स्कीम स्टेटस उन लोगों को दिया गया है, जिन्होंने ब्रेग्जिट के पहले ब्रिटेन में अपना आवास बना लिया था। इन लोगों के अलावा ईयू देशों के पर्यटक ब्रिटेन आ सकते हैं। उन्हें 90 दिन तक ब्रिटेन में रहने की इजाजत है। जानकारों का कहना है कि इस रूप में ब्रिटेन का कदम अवैध नहीं है। लेकिन ब्रेग्जिट के समय उम्मीद की गई थी कि सद्भावना के तौर पर दोनों पक्ष एक दूसरे नागरिकों के साथ रहम से पेश आएंगे।
इस बीच जर्सी द्वीप का मामला फ्रांस और ब्रिटेन के बीच बड़े विवाद में तब्दील हो गया है। गुरुवार को ब्रिटिश सरकार ने वहां रॉयल नेवी (ब्रिटिश नौसेना) की दो नौकाएं तैनात कर दीं। ब्रिटेन का आरोप है कि फ्रांस की 80 नौकाओं ने इस द्वीप पर आवाजाही को रोकने की कोशिश की। ये द्वीप ब्रिटेन का है। लेकिन ब्रेग्जिट समझौते में प्रावधान है कि ब्रिटेन वहां मछली मारने के लाइसेंस देगा। फ्रांस का आरोप है कि ब्रिटेन इसका पालन नहीं कर रहा है। ईयू ने आरोप लगाया है कि ब्रिटेन इसके लिए ऐसी शर्तें लगा रहा है, जिसका प्रावधान ब्रेग्जिट करार में नहीं है। ईयू के प्रवक्ता ने कहा कि जब तक ब्रिटेन नई शर्तों के तर्क नहीं बताता, उन्हें लागू नहीं किया जाना चाहिए।
विस्तार
ब्रेग्जिट के कारण इतनी जल्दी ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन (ईयू) के बीच गंभीर तनाव की स्थितियां बन जाएंगी, ब्रेग्जिट समझौते को अंतिम रूप देते समय इसका अनुमान नहीं लगाया गया था। लेकिन जर्सी द्वीप के आसपास मछली मारने के अधिकार को लेकर जिस तरह ब्रिटेन और फ्रांस ने अपने हथियारबंद नौसेना कर्मियों को आमने-सामने खड़ा कर दिया, उससे उस क्षेत्र में बन रहे खतरनाक हालत का संकेत मिला है।
मसला सिर्फ समुद्र में मछली मारने के अधिकार क्षेत्र का नहीं है। अब खबर आई है कि बिना वीजा या आवास प्रमाणपत्र के ब्रिटेन में प्रवेश करने वाले ईयू देशों के नागरिकों को ब्रिटेन में हिरासत में लिया जा रहा है। ऐसे लोगों को आव्रजकों को वापस भेजने के लिए बनाए गए केंद्रों में रखा जा रहा है। इस खबर ने ब्रिटेन और ईयू के संबंधों को खासा तनावपूर्ण बना दिया है।
खबर है कि हिरासत में लेने के बाद आव्रजन केंद्रों में ईयू के कई नागरिकों को आव्रजन केंद्रों में सात दिन तक रखा गया। उनमें से कई लोगों को जबरन उनके देश वापस भेज दिया गया है। ईयू के राजनयिकों ने इस बारे में चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन ईयू के आव्रजकों के साथ भी वैसा ही बेरहम व्यवहार कर रहा है, जैसा बाकी महाद्वीपों के साथ आव्रजकों के साथ वह करता रहा है।
ब्रिटेन के गृह मंत्रालय ने इस बारे में कोई औपचारिक ब्योरा जारी नहीं किया है कि इस साल से आरंभ से आव्रजन केंद्रों में ईयू के कितने लोगों को रखा गया। लेकिन वेबसाइट पॉलिटिको.ईयू ने कहा है कि ऐसे कम से कम 30 लोगों की उसे खबर है। ये लोग जर्मनी, ग्रीस, इटली, रोमानिया और स्पेन के नागरिक हैं। राजनयिकों का कहना है कि ज्यादातर मामलों में खराब व्यवहार कम कुशल कर्मियों के साथ हुआ है, जो थोड़े समय की नौकरी पाने के लिए ब्रिटेन गए। जब ब्रिटेन ईयू के सदस्य था, तब ऐसा आना-जाना आम बात थी।
ईयू के अधिकारियों ने कहा है कि कई लोगों को अनुचित ढंग से लंबी अवधि तक हिरासत में रखा गया। अब ईयू देशों की सरकारों ने इस मामले में साझा रुख तय करने का फैसला किया है, ताकि इस मसले को ब्रिटेन के सामने उठाया जा सके। गौरतलब है कि ब्रेग्जिट समझौते में ये प्रावधान है कि ब्रिटेन बिना वर्क वीजा या बिना ईयू सेटलमेंट स्टेटस स्कीम का प्रमाणपत्र वाले ईयू देशों के नागरिकों का ब्रिटेन में प्रवेश रोक सकता है। ईयू सेटलमेंट स्कीम स्टेटस उन लोगों को दिया गया है, जिन्होंने ब्रेग्जिट के पहले ब्रिटेन में अपना आवास बना लिया था। इन लोगों के अलावा ईयू देशों के पर्यटक ब्रिटेन आ सकते हैं। उन्हें 90 दिन तक ब्रिटेन में रहने की इजाजत है। जानकारों का कहना है कि इस रूप में ब्रिटेन का कदम अवैध नहीं है। लेकिन ब्रेग्जिट के समय उम्मीद की गई थी कि सद्भावना के तौर पर दोनों पक्ष एक दूसरे नागरिकों के साथ रहम से पेश आएंगे।
इस बीच जर्सी द्वीप का मामला फ्रांस और ब्रिटेन के बीच बड़े विवाद में तब्दील हो गया है। गुरुवार को ब्रिटिश सरकार ने वहां रॉयल नेवी (ब्रिटिश नौसेना) की दो नौकाएं तैनात कर दीं। ब्रिटेन का आरोप है कि फ्रांस की 80 नौकाओं ने इस द्वीप पर आवाजाही को रोकने की कोशिश की। ये द्वीप ब्रिटेन का है। लेकिन ब्रेग्जिट समझौते में प्रावधान है कि ब्रिटेन वहां मछली मारने के लाइसेंस देगा। फ्रांस का आरोप है कि ब्रिटेन इसका पालन नहीं कर रहा है। ईयू ने आरोप लगाया है कि ब्रिटेन इसके लिए ऐसी शर्तें लगा रहा है, जिसका प्रावधान ब्रेग्जिट करार में नहीं है। ईयू के प्रवक्ता ने कहा कि जब तक ब्रिटेन नई शर्तों के तर्क नहीं बताता, उन्हें लागू नहीं किया जाना चाहिए।