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दुनिया युद्ध, वैश्विक महामारी और जलवायु परिवर्तन जैसे अंतरराष्ट्रीय संकटों से कैसे निपटती है, इसमें अमेरिका के राष्ट्रपति की बड़ी भूमिका है। इसलिए जब भी हर चार साल के बाद अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव आता है तो दुनिया भर की निगाहें उस पर टिकी होती हैं लेकिन बहुतों को अमेरिकी चुनाव की प्रक्रिया के बारे में पता नहीं होता है।
इसलिए अगर अमेरिकी चुनाव को समझने में आपकी दिलचस्पी है तो फिर अमेरिकी चुनाव से जुड़ी यहां दी जा रही जानकारियां आपके लिए मददगार साबित हो सकती है।
चुनाव कब है और कौन उम्मीदवार हैं?
अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव हमेशा नवंबर के पहले सोमवार के बाद आने वाले पहले मंगलवार को होता है। इस बार यह तारीख तीन नवंबर है। दूसरी देशों के उलट अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था में मुख्य तौर पर दो पार्टियों का ही दबदबा है, इसलिए राष्ट्रपति इनमें से ही किसी एक दल का होता है।
अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी एक पुरातनपंथी राजनीतिक दल है। इस पार्टी से इस बार राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उम्मीदवार हैं और वो अगले चार सालों तक फिर से राष्ट्रपति बनने की कोशिश में लगे हुए हैं। रिपब्लिकन पार्टी को सबसे पुरानी पार्टी के तौर पर भी जाना जाता है। हाल के सालों में ये पार्टी कम टैक्स, बंदूक रखने के अधिकार और प्रवासियों पर कड़ी पाबंदियाँ लगाने की वजह से जानी जाती है।
अमेरिका के ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में इस पार्टी का आधार मजबूत दिखाई पड़ता है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश, रोनाल्ड रीगन और रिचर्ड निक्सन रिपब्लिकन पार्टी से थे।
अमेरिका की दूसरी प्रमुख पार्टी डेमोक्रेट्स एक लिबरल पार्टी है और इस साल होने वाले चुनाव में जो बाइडन इस पार्टी से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार है। वो एक अनुभवी नेता हैं। बराक ओबामा के अमेरिकी राष्ट्रपति रहते हुए आठ सालों तक वो देश के उपराष्ट्रपति रह चुके हैं।
ये दोनों ही उम्मीदवार अपनी उम्र के सातवां दशक पूरा कर चुके हैं। डोनाल्ड ट्रंप जहां 74 साल के हैं तो वहीं जो बाइडन 78 साल के हैं। वो अगर राष्ट्रपति बनते हैं तो पहले टर्म में राष्ट्रपति बनने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति होंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत हमेशा उस उम्मीदवार की नहीं होती है जिसे राष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा वोट आते हैं। जैसा कि हमने साल 2016 में हिलेरी क्लिंटन के मामले देखा था। उन्हें देश भर में सबसे ज्यादा वोट आए थे लेकिन वो हार गई थीं।
इसके बदले उम्मीदवारों को इलेक्टोरल कॉलेज वोट में जीतना होता है। हर राज्य में एक निश्चित संख्या में इलेक्टोरल कॉलेज वोट होते हैं। यह राज्य की जनसंख्या पर निर्भर करता है। कुल 538 वोट होते हैं जिनमें से 270 या फिर उससे ज्यादा वोट जीतने के लिए हासिल करने होते हैं।
इसका मतलब यह हुआ कि अगर कोई अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट देना चाहता है तो उसे राज्य स्तर पर हो रहे मुकाबले में वोट करना होगा ना कि राष्ट्रीय स्तर पर। जो भी उम्मीदवार सबसे ज्यादा वोट पाता है, उसे राज्य के सभी इलेक्टोरल कॉलेज वोट चले जाते हैं।
ज्यादातर राज्य किसी एक पार्टी की तरफ ज्यादा झुकाव रखते हैं। इसका मतलब यह होता है कि उम्मीदवार उस राज्य में ज्यादा ध्यान देते हैं जहां उनके जीतने की संभावना रहती है। ऐसे राज्यों को बैटलग्राउंड स्टेट बोलते हैं।
कौन वोट दे सकता है और वो कैसे वोट देते हैं?
अगर आप अमेरिकी नागरिक हैं और 18 साल या उससे ज्यादा उम्र के हैं तो आप अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में वोट दे सकते हैं। हालांकि, कई राज्यों ने ऐसे क़ानून बनाए हुए हैं कि मतदाता को वोट से पहले अपनी पहचान संबंधी दस्तावेज दिखाने होंगे।
रिपब्लिकन पार्टी का इस क़ानून पर खास जोर है क्योंकि उनका मानना है कि वोट में धांधली को रोकने के लिए यह जरूरी है। लेकिन डेमोक्रेट्स इस मुद्दे पर उन पर आरोप लगाते हैं कि इस क़ानून का दुरुपयोग अक्सर गरीब और अल्पसंख्यक मतदाताओं को दबाने के लिए होता है जो ड्राइविंग लाइसेंस जैसे पहचान पत्र दिखा पाने में असमर्थ होते हैं।
अलग-अलग राज्यों में कैदियों के वोट देने को लेकर भी अलग-अलग नियम हैं। ज्यादातर मामलों में दोषी पाए जाने के बाद वो अपना मतदान का अधिकार खो देते हैं लेकिन सजा काटने के बाद फिर से उन्हें मतदान का अधिकार हासिल हो जाता है।
ज्यादातर लोग चुनाव के दिन मतदान केंद्र पर वोट देते हैं लेकिन हाल के सालों में वैकल्पिक व्यवस्था भी शुरू हुई है। 2016 में 21 फीसद मतदाताओं ने पोस्ट से अपने वोट डाले थे।
इस बार लोगों का मतदान केंद्र पर जाकर मतदान करना कोरोना वायरस महामारी की वजह से एक बहस का विषय बना हुआ है। कुछ नेता ज्यादा से ज्यादा डाक से मतदान कराए जाने का मुद्दा उठा रहे हैं, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने बहुत ही कम प्रमाणों के आधार पर यह कहा है कि इससे मतदान में ज्यादा धांधली हो सकती है।
नहीं। सब का ध्यान भले ही ट्रंप बनाम बाइडन की लड़ाई पर हो लेकिन मतदाता इस चुनाव में संसद के नए सदस्यों का चुनाव भी करेंगे। डेमोक्रेट्स का पहले से कांग्रेस में बहुमत है इसलिए वो इसे बरकरार रखना चाहेंगे और साथ में सीनेट में भी बहुमत पाने की कोशिश करेंगे।
अगर दोनों ही सदनों में उन्हें बहुमत हासिल हो जाता है तो वे राष्ट्रपति ट्रंप के दोबारा चुने जाने के बाद भी उनकी योजनाओं को लागू नहीं होने देने की स्थिति में होंगे। इस साल सदन के सभी 435 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं जबकि 33 सीनेट के लिए भी चुनाव होंगे।
नतीजे कब आएंगे?
इसमें कई दिन लग सकते हैं क्योंकि हर एक वोट की गिनती करनी होती है लेकिन शुरुआती घंटों में ही रुझान से पता चलने लगता है कि कौन जीत रहा है। 2016 में डोनाल्ड ट्रंप ने सुबह तीन बजे ही न्यूयॉर्क में अपनी जीत का भाषण दे दिया था।
लेकिन फिर भी अब आप अलार्म सेट नहीं कीजिए। अधिकारियों ने पहले ही इसे लेकर चेतावनी जारी की है कि इस साल डाक बैलट में बढ़ोत्तरी को देखते हुए मतगणना में कई दिन और यहां तक कि हफ़्ते भी लग सकते हैं।
विजेता कब कार्यभार संभालेगा?
अगर जो बाइडन जीतते हैं तो तत्काल ट्रंप को हटा कर उनकी जगह नहीं ले पाएंगे। क्योंकि कैबिनेट मंत्रियों को चुनने और योजनाओं को बनाने के लिए एक निश्चित समय सीमा निर्धारित होती है। नए राष्ट्रपति आधिकारिक रूप से 20 जनवरी को शपथ ग्रहण करते हैं। यह शपथ ग्रहण समारोह वॉशिंग्टन डीसी की कैपिटल बिल्डिंग की सीढ़ियों पर होता है।
समारोह के बाद नए राष्ट्रपति चार साल तक अपना दायित्व निभाने व्हाइट हाउस की तरफ बढ़ जाते हैं।
दुनिया युद्ध, वैश्विक महामारी और जलवायु परिवर्तन जैसे अंतरराष्ट्रीय संकटों से कैसे निपटती है, इसमें अमेरिका के राष्ट्रपति की बड़ी भूमिका है। इसलिए जब भी हर चार साल के बाद अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव आता है तो दुनिया भर की निगाहें उस पर टिकी होती हैं लेकिन बहुतों को अमेरिकी चुनाव की प्रक्रिया के बारे में पता नहीं होता है।
इसलिए अगर अमेरिकी चुनाव को समझने में आपकी दिलचस्पी है तो फिर अमेरिकी चुनाव से जुड़ी यहां दी जा रही जानकारियां आपके लिए मददगार साबित हो सकती है।
चुनाव कब है और कौन उम्मीदवार हैं?
अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव हमेशा नवंबर के पहले सोमवार के बाद आने वाले पहले मंगलवार को होता है। इस बार यह तारीख तीन नवंबर है। दूसरी देशों के उलट अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था में मुख्य तौर पर दो पार्टियों का ही दबदबा है, इसलिए राष्ट्रपति इनमें से ही किसी एक दल का होता है।
अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी एक पुरातनपंथी राजनीतिक दल है। इस पार्टी से इस बार राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उम्मीदवार हैं और वो अगले चार सालों तक फिर से राष्ट्रपति बनने की कोशिश में लगे हुए हैं। रिपब्लिकन पार्टी को सबसे पुरानी पार्टी के तौर पर भी जाना जाता है। हाल के सालों में ये पार्टी कम टैक्स, बंदूक रखने के अधिकार और प्रवासियों पर कड़ी पाबंदियाँ लगाने की वजह से जानी जाती है।
अमेरिका के ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में इस पार्टी का आधार मजबूत दिखाई पड़ता है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश, रोनाल्ड रीगन और रिचर्ड निक्सन रिपब्लिकन पार्टी से थे।
अमेरिका की दूसरी प्रमुख पार्टी डेमोक्रेट्स एक लिबरल पार्टी है और इस साल होने वाले चुनाव में जो बाइडन इस पार्टी से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार है। वो एक अनुभवी नेता हैं। बराक ओबामा के अमेरिकी राष्ट्रपति रहते हुए आठ सालों तक वो देश के उपराष्ट्रपति रह चुके हैं।
ये दोनों ही उम्मीदवार अपनी उम्र के सातवां दशक पूरा कर चुके हैं। डोनाल्ड ट्रंप जहां 74 साल के हैं तो वहीं जो बाइडन 78 साल के हैं। वो अगर राष्ट्रपति बनते हैं तो पहले टर्म में राष्ट्रपति बनने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति होंगे।
विजेता का फैसला कैसे होता है?
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत हमेशा उस उम्मीदवार की नहीं होती है जिसे राष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा वोट आते हैं। जैसा कि हमने साल 2016 में हिलेरी क्लिंटन के मामले देखा था। उन्हें देश भर में सबसे ज्यादा वोट आए थे लेकिन वो हार गई थीं।
इसके बदले उम्मीदवारों को इलेक्टोरल कॉलेज वोट में जीतना होता है। हर राज्य में एक निश्चित संख्या में इलेक्टोरल कॉलेज वोट होते हैं। यह राज्य की जनसंख्या पर निर्भर करता है। कुल 538 वोट होते हैं जिनमें से 270 या फिर उससे ज्यादा वोट जीतने के लिए हासिल करने होते हैं।
इसका मतलब यह हुआ कि अगर कोई अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट देना चाहता है तो उसे राज्य स्तर पर हो रहे मुकाबले में वोट करना होगा ना कि राष्ट्रीय स्तर पर। जो भी उम्मीदवार सबसे ज्यादा वोट पाता है, उसे राज्य के सभी इलेक्टोरल कॉलेज वोट चले जाते हैं।
ज्यादातर राज्य किसी एक पार्टी की तरफ ज्यादा झुकाव रखते हैं। इसका मतलब यह होता है कि उम्मीदवार उस राज्य में ज्यादा ध्यान देते हैं जहां उनके जीतने की संभावना रहती है। ऐसे राज्यों को बैटलग्राउंड स्टेट बोलते हैं।
कौन वोट दे सकता है और वो कैसे वोट देते हैं?
अगर आप अमेरिकी नागरिक हैं और 18 साल या उससे ज्यादा उम्र के हैं तो आप अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में वोट दे सकते हैं। हालांकि, कई राज्यों ने ऐसे क़ानून बनाए हुए हैं कि मतदाता को वोट से पहले अपनी पहचान संबंधी दस्तावेज दिखाने होंगे।
रिपब्लिकन पार्टी का इस क़ानून पर खास जोर है क्योंकि उनका मानना है कि वोट में धांधली को रोकने के लिए यह जरूरी है। लेकिन डेमोक्रेट्स इस मुद्दे पर उन पर आरोप लगाते हैं कि इस क़ानून का दुरुपयोग अक्सर गरीब और अल्पसंख्यक मतदाताओं को दबाने के लिए होता है जो ड्राइविंग लाइसेंस जैसे पहचान पत्र दिखा पाने में असमर्थ होते हैं।
अलग-अलग राज्यों में कैदियों के वोट देने को लेकर भी अलग-अलग नियम हैं। ज्यादातर मामलों में दोषी पाए जाने के बाद वो अपना मतदान का अधिकार खो देते हैं लेकिन सजा काटने के बाद फिर से उन्हें मतदान का अधिकार हासिल हो जाता है।
ज्यादातर लोग चुनाव के दिन मतदान केंद्र पर वोट देते हैं लेकिन हाल के सालों में वैकल्पिक व्यवस्था भी शुरू हुई है। 2016 में 21 फीसद मतदाताओं ने पोस्ट से अपने वोट डाले थे।
इस बार लोगों का मतदान केंद्र पर जाकर मतदान करना कोरोना वायरस महामारी की वजह से एक बहस का विषय बना हुआ है। कुछ नेता ज्यादा से ज्यादा डाक से मतदान कराए जाने का मुद्दा उठा रहे हैं, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने बहुत ही कम प्रमाणों के आधार पर यह कहा है कि इससे मतदान में ज्यादा धांधली हो सकती है।
क्या यह चुनाव सिर्फ राष्ट्रपति चुनने के लिए है?
नहीं। सब का ध्यान भले ही ट्रंप बनाम बाइडन की लड़ाई पर हो लेकिन मतदाता इस चुनाव में संसद के नए सदस्यों का चुनाव भी करेंगे। डेमोक्रेट्स का पहले से कांग्रेस में बहुमत है इसलिए वो इसे बरकरार रखना चाहेंगे और साथ में सीनेट में भी बहुमत पाने की कोशिश करेंगे।
अगर दोनों ही सदनों में उन्हें बहुमत हासिल हो जाता है तो वे राष्ट्रपति ट्रंप के दोबारा चुने जाने के बाद भी उनकी योजनाओं को लागू नहीं होने देने की स्थिति में होंगे। इस साल सदन के सभी 435 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं जबकि 33 सीनेट के लिए भी चुनाव होंगे।
नतीजे कब आएंगे?
इसमें कई दिन लग सकते हैं क्योंकि हर एक वोट की गिनती करनी होती है लेकिन शुरुआती घंटों में ही रुझान से पता चलने लगता है कि कौन जीत रहा है। 2016 में डोनाल्ड ट्रंप ने सुबह तीन बजे ही न्यूयॉर्क में अपनी जीत का भाषण दे दिया था।
लेकिन फिर भी अब आप अलार्म सेट नहीं कीजिए। अधिकारियों ने पहले ही इसे लेकर चेतावनी जारी की है कि इस साल डाक बैलट में बढ़ोत्तरी को देखते हुए मतगणना में कई दिन और यहां तक कि हफ़्ते भी लग सकते हैं।
विजेता कब कार्यभार संभालेगा?
अगर जो बाइडन जीतते हैं तो तत्काल ट्रंप को हटा कर उनकी जगह नहीं ले पाएंगे। क्योंकि कैबिनेट मंत्रियों को चुनने और योजनाओं को बनाने के लिए एक निश्चित समय सीमा निर्धारित होती है। नए राष्ट्रपति आधिकारिक रूप से 20 जनवरी को शपथ ग्रहण करते हैं। यह शपथ ग्रहण समारोह वॉशिंग्टन डीसी की कैपिटल बिल्डिंग की सीढ़ियों पर होता है।
समारोह के बाद नए राष्ट्रपति चार साल तक अपना दायित्व निभाने व्हाइट हाउस की तरफ बढ़ जाते हैं।