वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बुर्किना फासो
Updated Sun, 11 Oct 2020 04:30 AM IST
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के प्रमुख ने कहा कि नोबेल शांति पुरस्कार मिलने के दौरान वह दरिद्रता और युद्ध से कमजोर हो चुके अफ्रीका के साहेल क्षेत्र का दौरा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह दुनिया को संदेश है कि उन्हें इस इलाके और भुखमरी के शिकार लोगों को नहीं भूलना चाहिए।
डब्ल्यूएफपी के कार्यकारी निदेशक डेविड बीसली ने शुक्रवार को नोबेल शांति पुरस्कार एजेंसी को दिए जाने की घोषणा के कुछ देर बाद ही बुर्किना फासो के संक्षिप्त ठहराव में संवाददाताओं से यह बात कही। उन्होंने कहा कि यह तथ्य है कि साहेल में रहने के दौरान मुझे नोबेल शांति की घोषणा की जानकारी मिली और इसका संदेश इससे कहीं ज्यादा बड़ा है कि, ऐ दुनिया यहां हो रही सभी घटनाओं के बीच साहेल क्षेत्र के लोगों को मत भूलना। विशेषकर, भुखमरी से संघर्ष कर रहे और मर रहे लोगों को नहीं भूलना।
बीसली ने कहा कि हम बुर्किना फासो में अकाल को टाल सकते हैं, लेकिन इसके लिए हमें धन और पहुंच, इन दो चीजों की जरूरत है, इनके बिना वहां अकाल होगा। बीसली ने उम्मीद जताई कि नोबेल मिलने के बाद दुनिया भर के दानदाता, अरबपति और लोग भुखमरी उन्मूलन के कार्यक्रम में सहायता के लिए प्रेरित होंगे। बीसली कोविड-19 महामारी से पहले से ही कई देशों में भुखमरी के हालात बदतर होने की चेतावनी देते रहे हैं और अधिक संसाधन उपलब्ध कराने की अपील करते रहे हैं।
सार
बुर्किना फासो में अकाल को टालने के लिए धन और पहुंच की जरूरत
विस्तार
विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के प्रमुख ने कहा कि नोबेल शांति पुरस्कार मिलने के दौरान वह दरिद्रता और युद्ध से कमजोर हो चुके अफ्रीका के साहेल क्षेत्र का दौरा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह दुनिया को संदेश है कि उन्हें इस इलाके और भुखमरी के शिकार लोगों को नहीं भूलना चाहिए।
डब्ल्यूएफपी के कार्यकारी निदेशक डेविड बीसली ने शुक्रवार को नोबेल शांति पुरस्कार एजेंसी को दिए जाने की घोषणा के कुछ देर बाद ही बुर्किना फासो के संक्षिप्त ठहराव में संवाददाताओं से यह बात कही। उन्होंने कहा कि यह तथ्य है कि साहेल में रहने के दौरान मुझे नोबेल शांति की घोषणा की जानकारी मिली और इसका संदेश इससे कहीं ज्यादा बड़ा है कि, ऐ दुनिया यहां हो रही सभी घटनाओं के बीच साहेल क्षेत्र के लोगों को मत भूलना। विशेषकर, भुखमरी से संघर्ष कर रहे और मर रहे लोगों को नहीं भूलना।
बीसली ने कहा कि हम बुर्किना फासो में अकाल को टाल सकते हैं, लेकिन इसके लिए हमें धन और पहुंच, इन दो चीजों की जरूरत है, इनके बिना वहां अकाल होगा। बीसली ने उम्मीद जताई कि नोबेल मिलने के बाद दुनिया भर के दानदाता, अरबपति और लोग भुखमरी उन्मूलन के कार्यक्रम में सहायता के लिए प्रेरित होंगे। बीसली कोविड-19 महामारी से पहले से ही कई देशों में भुखमरी के हालात बदतर होने की चेतावनी देते रहे हैं और अधिक संसाधन उपलब्ध कराने की अपील करते रहे हैं।