जापान में नए प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के पद संभालते ही शेयर बाजारों में तेज गिरावट देखने को मिली है। इसे यहां ‘किशिदा शॉक’ (किशिदा झटका) कहा जा रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि यह किशिदा की नई सोच का नतीजा है। किशिदा ने अपनी सोच को ‘नए प्रकार का जापानी पूंजीवाद’ कहा है। विश्लेषकों के मुताबिक अपनी इस नीति के तहत किशिदा देश में धन का पुनर्वितरण करना चाहते हैँ।
बुधवार को जब लगातार आठवें दिन शेयर बाजारों में गिरावट का रुख रहा, तो जापान में ट्विटर पर ‘किशिदा शॉक’ हैशटैग सबसे ऊपर ट्रेंड करने लगा। यहां के अखबार जापान टाइम्स के मुताबिक किशिदा ने श्रमिकों का वेतन बढ़ाने का इरादा जताया है। साथ ही एक सीमा से अधिक पूंजीगत लाभ पर टैक्स लगाने की बात भी उन्होंने कही है। लेकिन इस अखबार के मुताबिक ‘नए प्रकार के जापानी पूंजीवाद’ से उनका क्या मतलब है, इसकी उन्होंने विस्तृत व्याख्या नहीं की है।
किशिदा ने इस सोमवार को प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद कहा- ‘पुनर्वितरण के बिना नया विकास नहीं हो सकता। अगर विकास के फल सबमें वितरित नहीं किए, तो उपभोग और मांग नहीं बढ़ सकती।’ पर्यवेक्षकों के मुताबिक किशिदा ने इस बयान के जरिए देश में बढ़ रही आर्थिक गैर-बराबरी की तरफ इशारा किया है। हालांकि जापान में अमेरिका और ब्रिटेन की तुलना में कम गैर-बराबरी है, लेकिन कॉरपोरेट सेक्टर लागत घटाने की लंबे समय से चल रही नीतियों का श्रमिक वर्ग पर यहां भी बहुत बुरा असर हुआ है। इसकी वजह से कर्मचारियों का एक ऐसा वर्ग बना है, जो पार्ट टाइम या अस्थायी काम करने को मजबूर है। जापान में कुल कर्मियों के बीच ऐसे कर्मियों की संख्या 40 फीसदी तक पहुंच गई है।
किशिदा ने कहा है कि वे ऐसी कंपनियों को टैक्स रियायत देने पर विचार करेंगे, जो कर्मचारियों के वेतन बढ़ाएंगी। साथ ही उन्होंने निवेश से हुई आय पर टैक्स के मौजूदा सिस्टम पर फिर से विचार करने का इरादा जताया है। इस सिस्टम की वजह से उन लोगों को फायदा होता है, जिनकी आमदनी ज्यादा है। किशिदा के इन विचारों का जापान के कॉरपोरेट सेक्टर की तरफ से विरोध शुरू हो चुका है।
शिनकिन असेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य फंड मैनेजर नाओकी फुजीवारा ने जापान टाइम्स से कहा- ‘किशिदा की नीतियों का बाजार पर खराब असर होगा। इन नीतियों का निश्चित रूप से कड़ा विरोध होगा।’ जापान की हाल की सभी सरकारों की नीतियां निवेशकों के पक्ष में रही है। पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने ऐसी नीति अपनाई, जिससे कंपनियां अपने शेयरधारकों के लिए लाभांश बढ़ाने के लिए प्रेरित हुईं। लेकिन जब उन्होंने वेतन बढ़ाने की वकालत की, तो इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। अब किशिदा ने कहा है कि वे लाभांश के बजाय वेतन वृद्धि को प्रोत्साहित करेंगे।
सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी का नेता बनने से पहले से ही किशिदा यह कहते रहे हैं कि वे आय गैर बराबरी की समस्या का हल निकलना चाहते हैँ। सोमवार को उन्होंने आर्थिक सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, और टैक्स नीति में बदलाव के जरिए देश को विकास के एक नए रास्ते पर ले जाने की बात कही। उसके बाद दाई-इची लाइफ रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुख्य अर्थशास्त्री तोशिरो नागाहामा ने एक टिप्पणी मे लिखा- ‘टैक्स बढ़ाने के मामले में किशिदा को संयम बरतना चाहिए। उन्हें पहले आर्थिक वृद्धि दर को प्राथमिकता देनी चाहिए। जब अर्थव्यवस्था पूरी तरह सुधर जाए, तब उन्हें धन के पुनर्वितरण पर सोचना चाहिए।’
विस्तार
जापान में नए प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के पद संभालते ही शेयर बाजारों में तेज गिरावट देखने को मिली है। इसे यहां ‘किशिदा शॉक’ (किशिदा झटका) कहा जा रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि यह किशिदा की नई सोच का नतीजा है। किशिदा ने अपनी सोच को ‘नए प्रकार का जापानी पूंजीवाद’ कहा है। विश्लेषकों के मुताबिक अपनी इस नीति के तहत किशिदा देश में धन का पुनर्वितरण करना चाहते हैँ।
बुधवार को जब लगातार आठवें दिन शेयर बाजारों में गिरावट का रुख रहा, तो जापान में ट्विटर पर ‘किशिदा शॉक’ हैशटैग सबसे ऊपर ट्रेंड करने लगा। यहां के अखबार जापान टाइम्स के मुताबिक किशिदा ने श्रमिकों का वेतन बढ़ाने का इरादा जताया है। साथ ही एक सीमा से अधिक पूंजीगत लाभ पर टैक्स लगाने की बात भी उन्होंने कही है। लेकिन इस अखबार के मुताबिक ‘नए प्रकार के जापानी पूंजीवाद’ से उनका क्या मतलब है, इसकी उन्होंने विस्तृत व्याख्या नहीं की है।
किशिदा ने इस सोमवार को प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद कहा- ‘पुनर्वितरण के बिना नया विकास नहीं हो सकता। अगर विकास के फल सबमें वितरित नहीं किए, तो उपभोग और मांग नहीं बढ़ सकती।’ पर्यवेक्षकों के मुताबिक किशिदा ने इस बयान के जरिए देश में बढ़ रही आर्थिक गैर-बराबरी की तरफ इशारा किया है। हालांकि जापान में अमेरिका और ब्रिटेन की तुलना में कम गैर-बराबरी है, लेकिन कॉरपोरेट सेक्टर लागत घटाने की लंबे समय से चल रही नीतियों का श्रमिक वर्ग पर यहां भी बहुत बुरा असर हुआ है। इसकी वजह से कर्मचारियों का एक ऐसा वर्ग बना है, जो पार्ट टाइम या अस्थायी काम करने को मजबूर है। जापान में कुल कर्मियों के बीच ऐसे कर्मियों की संख्या 40 फीसदी तक पहुंच गई है।
किशिदा ने कहा है कि वे ऐसी कंपनियों को टैक्स रियायत देने पर विचार करेंगे, जो कर्मचारियों के वेतन बढ़ाएंगी। साथ ही उन्होंने निवेश से हुई आय पर टैक्स के मौजूदा सिस्टम पर फिर से विचार करने का इरादा जताया है। इस सिस्टम की वजह से उन लोगों को फायदा होता है, जिनकी आमदनी ज्यादा है। किशिदा के इन विचारों का जापान के कॉरपोरेट सेक्टर की तरफ से विरोध शुरू हो चुका है।
शिनकिन असेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य फंड मैनेजर नाओकी फुजीवारा ने जापान टाइम्स से कहा- ‘किशिदा की नीतियों का बाजार पर खराब असर होगा। इन नीतियों का निश्चित रूप से कड़ा विरोध होगा।’ जापान की हाल की सभी सरकारों की नीतियां निवेशकों के पक्ष में रही है। पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने ऐसी नीति अपनाई, जिससे कंपनियां अपने शेयरधारकों के लिए लाभांश बढ़ाने के लिए प्रेरित हुईं। लेकिन जब उन्होंने वेतन बढ़ाने की वकालत की, तो इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। अब किशिदा ने कहा है कि वे लाभांश के बजाय वेतन वृद्धि को प्रोत्साहित करेंगे।
सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी का नेता बनने से पहले से ही किशिदा यह कहते रहे हैं कि वे आय गैर बराबरी की समस्या का हल निकलना चाहते हैँ। सोमवार को उन्होंने आर्थिक सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, और टैक्स नीति में बदलाव के जरिए देश को विकास के एक नए रास्ते पर ले जाने की बात कही। उसके बाद दाई-इची लाइफ रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुख्य अर्थशास्त्री तोशिरो नागाहामा ने एक टिप्पणी मे लिखा- ‘टैक्स बढ़ाने के मामले में किशिदा को संयम बरतना चाहिए। उन्हें पहले आर्थिक वृद्धि दर को प्राथमिकता देनी चाहिए। जब अर्थव्यवस्था पूरी तरह सुधर जाए, तब उन्हें धन के पुनर्वितरण पर सोचना चाहिए।’