न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Tue, 23 Apr 2019 12:01 PM IST
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मालदीव में राजनीतिक अस्थिरता के कारण बरसों से लटका तटीय निगरानी रडार श्रृंखला को स्थापित करने का काम फिर जोरों से शुरू हो चुका है। सत्ता परिवर्तन होते ही मालदीव की सरकार ने भारत के साथ अपने संबंधो को नया आयाम दिया है।
इससे पहले अब्दुल गयूम के कार्यकाल में भारत और मालदीव के बीच दूरियां बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। जिस कारण इस द्वीपीय देश में चीन ने अपने पैर जमा लिए थे। चीन और मालदीव की बढ़ती दोस्ती भारत की सुरक्षा के लिए खतरा थी।
सबसे जरूरी बात कि मालदीव से लक्षद्वीप केवल 750 किमी की दूरी पर स्थित है और इस रास्ते पर चीन की नजर है। 1200 द्वीपों वाला शहर होने के नाते मालदीव को समुद्री जहाजों के लिए महत्वपूर्ण मार्ग माना जाता है।
इस रडार श्रृंखला के स्थापित होने के बाद समुद्री परिवहन, मौसम सहित सैन्य गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी। इस सिस्टम को शुरू करने के लिए भारत की तकनीकी टीम ने पहले चरण का काम पूरा कर लिया है।
रडार सिस्टम की ये श्रृंखला भारत, श्रीलंका, मॉरीशस और सेशेल्स में स्थित अपने अन्य स्टेशनों के साथ जुड़ेंगी। जिससे किसी भी जहाज की लाइव गतिविधियों को ट्रैक किया जा सकेगा। इसका फीड सभी मित्र देशों की नौसेना के साथ भी साझा किया जाएगा।
सूत्रों के बताया कि 10 रडार में से सात को पहले ही स्थापित कर लिया गया था, लेकिन अब्दुल्ला गयूम के कार्यकाल में इस प्रोजक्ट पर रोक लगा दी गई थी। जिन्हें अब नवीनतम तकनीक के साथ अपग्रेड किया जा रहा है। इससे स्थान की जानकारी, वीडियो और तस्वीरों को एक केंद्रीय कमांड यूनिट में रख सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार इन सात में से तीन रडार पहले से काम कर रहे थे लेकिन इनसे केवल स्वचलित पहचान प्रणाली (एआईएस) डाटा को ही प्राप्त किया जा रहा था। इन रडार को अब भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड से टीम द्वारा अपग्रेड किया जा रहा है। अपडेशन का काम एक बार पूरा हो जाने पर इन्हें 600 करोड़ के तटीय निगरानी रडार प्रणाली (सीएसआरएस) परियोजना से जोड़ा जा सकेगा।
मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद से समुद्री सुरक्षा को मजबूत बनाने की योजना के तहत श्रीलंका में छह, मॉरीशस में आठ, सेशेल्स में एक तटीय निगरानी रडार स्थापित किए गए हैं। भारत ने दिसंबर 2018 में हिंद महासागर क्षेत्र में एक इंफार्मेशन फ्यूजन सेंटर की स्थापना की है जो अपने मित्र देशों के साथ रीयल टाइम मैरिटाइम इंफार्मेशन सांझा करेगा।
मालदीव में राजनीतिक अस्थिरता के कारण बरसों से लटका तटीय निगरानी रडार श्रृंखला को स्थापित करने का काम फिर जोरों से शुरू हो चुका है। सत्ता परिवर्तन होते ही मालदीव की सरकार ने भारत के साथ अपने संबंधो को नया आयाम दिया है।
इससे पहले अब्दुल गयूम के कार्यकाल में भारत और मालदीव के बीच दूरियां बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। जिस कारण इस द्वीपीय देश में चीन ने अपने पैर जमा लिए थे। चीन और मालदीव की बढ़ती दोस्ती भारत की सुरक्षा के लिए खतरा थी।
सबसे जरूरी बात कि मालदीव से लक्षद्वीप केवल 750 किमी की दूरी पर स्थित है और इस रास्ते पर चीन की नजर है। 1200 द्वीपों वाला शहर होने के नाते मालदीव को समुद्री जहाजों के लिए महत्वपूर्ण मार्ग माना जाता है।
इस रडार श्रृंखला के स्थापित होने के बाद समुद्री परिवहन, मौसम सहित सैन्य गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी। इस सिस्टम को शुरू करने के लिए भारत की तकनीकी टीम ने पहले चरण का काम पूरा कर लिया है।
इन देशों के साथ मिलकर भारत लगा रहा है रडार
तटीय निगरानी रडार
- फोटो : सोशल मीडिया
रडार सिस्टम की ये श्रृंखला भारत, श्रीलंका, मॉरीशस और सेशेल्स में स्थित अपने अन्य स्टेशनों के साथ जुड़ेंगी। जिससे किसी भी जहाज की लाइव गतिविधियों को ट्रैक किया जा सकेगा। इसका फीड सभी मित्र देशों की नौसेना के साथ भी साझा किया जाएगा।
सूत्रों के बताया कि 10 रडार में से सात को पहले ही स्थापित कर लिया गया था, लेकिन अब्दुल्ला गयूम के कार्यकाल में इस प्रोजक्ट पर रोक लगा दी गई थी। जिन्हें अब नवीनतम तकनीक के साथ अपग्रेड किया जा रहा है। इससे स्थान की जानकारी, वीडियो और तस्वीरों को एक केंद्रीय कमांड यूनिट में रख सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार इन सात में से तीन रडार पहले से काम कर रहे थे लेकिन इनसे केवल स्वचलित पहचान प्रणाली (एआईएस) डाटा को ही प्राप्त किया जा रहा था। इन रडार को अब भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड से टीम द्वारा अपग्रेड किया जा रहा है। अपडेशन का काम एक बार पूरा हो जाने पर इन्हें 600 करोड़ के तटीय निगरानी रडार प्रणाली (सीएसआरएस) परियोजना से जोड़ा जा सकेगा।
मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद से समुद्री सुरक्षा को मजबूत बनाने की योजना के तहत श्रीलंका में छह, मॉरीशस में आठ, सेशेल्स में एक तटीय निगरानी रडार स्थापित किए गए हैं। भारत ने दिसंबर 2018 में हिंद महासागर क्षेत्र में एक इंफार्मेशन फ्यूजन सेंटर की स्थापना की है जो अपने मित्र देशों के साथ रीयल टाइम मैरिटाइम इंफार्मेशन सांझा करेगा।