राजशाही के समर्थन में नेपाल की राजधानी में सैकड़ों लोगों ने शनिवार को सड़कों पर मार्च किया। उन्हाेंने नेपाल का राष्ट्रध्वज लेकर नारेबाजी करते हुए देश में सांविधानिक राजशाही की फिर से स्थापना और देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग की। इस तरह के प्रदर्शन नेपाल में लगातार जारी हैं। इन लोगों ने दावा किया कि इसी से देशवासियों में एकता आ सकती है।
राष्ट्रीय नागरिक आंदोलन समिति 2077 के इस मार्च में 250 युवाओं के साथ शामिल होने ललितपुर से पहुंचे आमिर केसी ने बताया, प्रदर्शन का नेतृत्व युवा कर रहे हैं। वे एक सुंदर नेपाल का सपना देखते हैं, इसके लिए स्वाभाविक है कि हिंदू राजशाही की वापसी हो।
इससे पहले 10 नवंबर को राष्ट्रवादी सिविल सोसाइटी के बैनर तले काठमांडो के जमाल क्षेत्र में प्रदर्शन हुए। दो दिन बाद बिराटनगर में नेपाल विद्यार्थी परिषद, 19 नवंबर को धनगढ़ी में स्वतंत्र राष्ट्रवादी नागरिक सुदूर पश्चिम संगठन और 25 नवंबर को पोखरा में जनकपुर में पश्चिम नेपाल नागरिक व जनकपुर में राष्ट्रवादी समूह ने भी प्रदर्शन किए।
राजनीतिक दलों का जनहित भूलने का परिणाम
नेपाल के नागरिक मानते हैं कि राजनीतिक दल जनहित भूल चुके हैं। पक्ष और विपक्षी दोनों के खिलाफ लोग वैकल्पिक मोर्चा खड़ा करने का मन बना रहे हैं। सामयिक विषयों के विशेषज्ञ बिस्वास बरल के अनुसार लोग मानते हैं कि सरकार कोविड-19 और भ्रष्टाचार नियंत्रित करने में विफल रही, संघीय ढांचे को भी पुख्ता नहीं कर सकी।
पृथ्वी नारायण की तस्वीरें प्रदर्शन में
लोग 18वीं सदी में आधुनिक नेपाल राज्य के संस्थापक पृथ्वी नारायण शाह की तस्वीर प्रदर्शन में लेकर आ रहे हैं। वे 240 साल पुरानी राजशाही को खत्म कर 2008 में स्थापित हुई मौजूदा शासन व्यवस्था के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं।
2015 में नेपाल का नया संविधान बना, जिसमें वह संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य बनाया गया। 2017 में पहले चुनाव हुए, वाम दलों का गठबंधन सत्ता में आया। केपी शर्मा ओली प्रधानमंत्री बने, जिन्हें सांविधानिक व संघीय मूल्यों की स्थापना करनी थी, लेकिन वे विफल होते नजर आ रहे हैं।