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Pakistan Economic Crisis: जिन्ना के देश में दाने-दाने को मोहताज हुई जनता, रमजान में रोजे रखना हुई टेढ़ी खीर

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद Published by: शिव शरण शुक्ला Updated Sat, 25 Mar 2023 11:24 PM IST
सार

पाकिस्तान आमतौर पर रमजान के महीने के दौरान राहत पैकेज देता है, लेकिन इस साल नकदी की तंगी झेल रही सरकार के पास देने के लिए कोई विकल्प ही नहीं हैं। देश में महंगाई 30 फीसदी से ज्यादा हो गई है।

As country reels under inflation Pakistanis feel pocket pinch in Ramzan month
पाकिस्तान में गहराया संकट - फोटो : Social Media

विस्तार
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मुस्लिमों के लिए पवित्र माने जाने वाले रमजान माह की शुरुआत हो चुकी है। लेकिन पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में रोजेदारों के लिए इस बार रमजान में रोजे रखना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। दरअसल, देश में बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति के कारण पाकिस्तान की जनता के दिन बेहद बदहाली में गुजर रहे हैं। आलम यह है कि मुफ्त में आटा लेने के लिए भी लोगों की मौत हो जा रही है। लोगों के सामने आटे की किल्लत के साथ ही अब रमजान के महीने में जरूरी खजूर का भी संकट पैदा हो गया है। पाकिस्तान में खजूर 3.5 यूरो प्रति किलो तक में बेचे जा रहे हैं। ऐसे में खजूर से रोजा खोलने वालों के सामने बड़ा संकट है। गौरतलब है कि देश में महंगाई इस समय 50 साल में चरम पर है और उसे कहीं से भी राहत की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है।  


 

As country reels under inflation Pakistanis feel pocket pinch in Ramzan month
पाकिस्तान में आर्थिक संकट - फोटो : अमर उजाला
 बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति बनी परेशानी का सबब
देश में बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति ने इस साल पाकिस्तानियों को विशेष रूप से मुश्किल में डाल दिया है। देश में बढ़ती महंगाई ने इबादत और लजीज पकवानों के त्योहार पर पानी फेर दिया है। कड़े बजट ने पाकिस्तान के सबसे गरीब लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। बीते सालों से उलट इस बार रमजान के महीने में रोजे रखना कई लोगों के लिए महंगा सौदा साबित हो रहा है। पाकिस्तानी नागरिकों का कहना है कि देश में महंगाई इतनी बढ़ गई है कि पिछले साल देश में 200 रुपए किलो बिकने वाली चीजें अब 500 रुपए किलो हो गई हैं। इतना ही नहीं पेट्रोल, बस का किराया और दूसरे खर्चे भी बेतहाशा बढ़ गए हैं। ऐसे में हम क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा। 

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पाकिस्तान के क्वेटा में लोगों को कुछ तरह से खाद्य आपूर्ति की जा रही है। - फोटो : PTI
आटे की कीमतों में तेजी से साप्ताहिक मुद्रास्फीति की दर हुई इतनी
जियो न्यूज के मुताबिक, बीते सप्ताह में गेहूं के आटे की सर्वकालिक उच्च कीमत ने पाकिस्तान में साप्ताहिक मुद्रास्फीति को सप्ताह-दर-सप्ताह 1.80 प्रतिशत और वर्ष-दर-वर्ष 46.65 प्रतिशत बढ़ा दिया। ये आंकड़े देश में और भी कठिन समय के आने की ओर इशारा करते हैं। वहीं, शुक्रवार को पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (पीबीएस) के आंकड़ों ने संवेदनशील मूल्य संकेतक (एसपीआई) में खासी बढ़ोतरी दर्ज की है। 

बीते सप्ताह इन वस्तुओं के दामों में दर्ज की गई बढ़ोतरी
पीबीएस ने टमाटर के दामों में 71.77 फीसदी, गेहूं के आटे में 42.32 फीसदी, आलू के दामों में 11.47 फीसदी, केले के दामों में  11.07 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 

इनमें आई कमी
इसके साथ ही पीबीएस ने चिकन की कीमतों में 8.14 फीसदी, मिर्च पाउडर के दामों में 2.31फीसदी, LPG सिलेंडर के दामों में 1.31 फीसदी, और सरसों का तेल और लहसुन के दामों में 1.19 फीसदी, प्रत्येक, दाल चना और प्याज के दामों में 1.06 फीसदी प्रत्येक, वनस्पति घी की कीमतों में कमी दर्ज की गई है। जियो न्यूज के मुताबिक, समीक्षा किए गए सप्ताह में एसपीआई पिछले सप्ताह पंजीकृत 246.22 अंकों के मुकाबले 250.66 अंक दर्ज किया गया है। वहीं, 24 मार्च 2022 को समाप्त सप्ताह के दौरान यह 170.92 अंक दर्ज किया गया था।

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पाकिस्तान में आर्थिक संकट - फोटो : अमर उजाला
पाकिस्तानियों के हाल बेहाल
गौरतलब है कि पाकिस्तान आमतौर पर रमजान के महीने के दौरान राहत पैकेज देता है, लेकिन इस साल नकदी की तंगी झेल रही सरकार के पास देने के लिए कोई विकल्प ही नहीं हैं। देश में महंगाई 30 फीसदी से ज्यादा हो गई है। एक पाकिस्तानी नागरिक ने इस पर कहा कि सब कुछ बहुत महंगा हो गया है। ऐसे में सरकार को रमजान को ध्यान में रखते हुए वस्तुओं की कीमतें कम करनी चाहिए। उसने आगे कहा कि अभी तक सरकार ने केवल रियायती कीमतों पर आटे की व्यवस्था की है, और कुछ नहीं। मुझे लगता है कि यह पर्याप्त नहीं है। सरकार को चीनी, खाना पकाने के तेल और अन्य चीजों की कीमतों पर भी ध्यान देना चाहिए जो रमजान के दौरान खपत होती हैं। सरकार को कुछ सब्सिडी देनी चाहिए।

आईएमएफ का मुंह देख रहा पाकिस्तान
बता दें कि आर्थिक संकट का सामना कर रहा पाकिस्तान फरवरी की शुरुआत से ही आईएमएफ के साथ एक समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। इस समझौते के मुताबिक, आईएमएफ 1.1 बिलियन अमरीकी डॉलर जारी करेगा। यह फंड 2019 में स्वीकृत 6.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बेलआउट पैकेज का हिस्सा है।  
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