कई बार असफलता से हताश होकर हम लोग मेहनत करना बंद कर देते हैं। आज हम आपको मिलवाते हैं एक ऐसे शख्स से, जो जीवन के अंतिम पड़ाव पर हैं लेकिन हार मानने को तैयार नहीं। हम बात कर रहे हैं 89 साल के स्वतंत्रता सेनानी शरणबसवराज बिसराहली की, जिन्होंने इस उम्र में पीएचडी परीक्षा दी है।
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