भारत एक ऐसा देश है जहां पर आध्यात्म और भक्ति हर जगह देखने को मिलती है। भारत मंदिरों, मठों, तीर्थस्थानों, ऋषि-मुनियों और अवतारों की भूमि है। यहां पर ऐसे कई पावन तीर्थ हैं, जहां पर लोगों की अटूट आस्था है। ऐसा ही एक पवित्र तीर्थ स्थान देवभूमि उत्तराखंड में स्थित है। जिसे लोग "कैंची धाम" के नाम से जानते हैं। विश्व में इस धाम में नीब करौरी (नीम करौली) बाबा के चमत्कारों की चर्चा काफी प्रसिद्ध है। बाबा के भक्तों की मान्यता है कि बाबा नीम करौली हनुमानजी के अवतार थे। नववर्ष 2021 की पूर्व संध्या पर प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं धनंजय दुबे ने इस पवित्र धाम की यात्रा की और अपने अनुभवों को साझा करते हुए कैंची धाम और इसके आसपास के स्थानों की महत्ता के बारे में विस्तार से चर्चा कर रहे हैं....
प्रत्येक नववर्ष के आगमन एक कौतुहल का विषय होता है और इस नववर्ष को प्रत्येक जन अविस्मरणीय बनाना चाहता है, इसी क्रम में देवभूमि उत्तराखंड सबसे पहले मन में आया। क्यों ना देवभूमि के धरातल से नववर्ष का अभिवादन किया जाए और अपने समस्त देशवासियों, मित्रों और अपने सगे सम्बन्धिओं को देव धरातल से शुभकामना और आशीर्वाद दिया जाए। इसी क्रम में हल्द्वानी होते हुए भीमताल के पास नथुआखान से सटे हुए बड़ेत गांव है जो अत्यंत सुन्दर है। वहां जाकर नववर्ष पूर्व भगवान हनुमानजी के अवतार बाबा नीम करौली के दर्शन किए।
बाबा नीब करौरी ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था। मान्यता है कि बाबा नीब करौरी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं। हालांकि वह आडंबरों से दूर रहते थे। न तो उनके माथे पर तिलक होता था और न ही गले में कंठी माला। एक आम आदमी की तरह जीवन जीने वाले बाबा अपना पैर किसी को नहीं छूने देते थे। यदि कोई छूने की कोशिश करता तो वह उसे श्री हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे।
कैंची धाम को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाला व्यक्ति कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटता। यहां पर मांगी गयी मनौती पूर्णतया फलदायी होती है। यही कारण है कि देश-विदेश से हज़ारों लोग यहां हनुमान जी का आशीर्वाद लेने आते हैं। बाबा के भक्तों में एक आम आदमी से लेकर अरबपति-खरबपति तक शामिल हैं। बाबा के भक्तों में जाने-माने लेखक रिचर्ड अल्बर्ट, हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी बड़ी विदेशी हस्तियां बाबा के भक्त हैं।
बाबा नीब करौरी को कैंची धाम बहुत प्रिय था। अक्सर गर्मियों में वे यहीं आकर रहते थे। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान जी का भव्य मन्दिर बनवाया। यहां बाबा नीब करौरी की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित की गयी है। बाबा नीब करौरी के देश-दुनिया में 108 आश्रम हैं। इन आश्रमों में सबसे बड़ा कैंची धाम तथा अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है।
नववर्ष 2021 के प्रथम दिन अल्मोड़ा से ऊपर श्री गोलू देवता के दर्शन किए। गोलू देवता भैरों बाबा के रूप हैं, जो स्वयं न्याय के जागृत देवता हैं। गोलू देवता को न्याय का देवता कहा जाता है। इस मंदिर को चिट्ठी वाला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। जब व्यक्ति का न्याय नहीं मिलता, तब गोलू देवता के शरण में व्यक्ति पहुँचता है। चाहे वह मानव जाति के न्यायधीश ही क्यों ना हो, अंतिम निर्णय न्यायश्री गोलू देवता का होता है। मंदिर में जो घंटियां और पत्र लिखे हुए दिखते हैं वे सब प्रार्थना पत्र है, जो भक्त लिखकर गोलू देवता के मंदिर मे टांग जाते हैं। मान्यता है कि इस जगह पर अर्जी देने पर व्यक्ति को न्याय अवश्य प्राप्त होता है।
श्री गोलू देवता के दर्शन और आशीर्वाद लेने के पश्चात आगे बढ़ा और पहुंचा श्री जागेश्वर धाम। श्री जागेश्वर धाम उत्तराखंड के कुमांऊ मण्डल में प्रमुख तीर्थो में से एक है। भगवान शिव का धाम जो अत्यंत पौराणिक रहस्य को अपने में सहेजे हुए है। अंतराष्ट्रीय नववर्ष के प्रथम दिन श्री जागेश्वर महादेव को प्रणाम कर कल्याणमस्तु वाला आशीर्वाद प्राप्त किया। सिर्फ यही नहीं इसके आगे वृद्ध जागेश्वर महादेव के दर्शन करके, उनके प्रांगण से नंदादेवी पर्वत श्रंखला देखने का सुखद अनुभव प्राप्त हुआ।
इन समस्त धामों के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के पश्चात वापस बड़ेत पहुंचा और नववर्ष 2021 के पहले दिन के सूर्योदय को देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह स्थान चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा है और इन पहाडियों के बीच में स्थित यह स्थान सूर्योदय की पहली किरण और सूर्यास्त की अंतिम किरण अपना अधिपत्य कायम रखते है। शांत और प्राकृतिक सौंदर्य लिए हुए इस स्थान की ऊंचाई 5500 फीट है।
भारत एक ऐसा देश है जहां पर आध्यात्म और भक्ति हर जगह देखने को मिलती है। भारत मंदिरों, मठों, तीर्थस्थानों, ऋषि-मुनियों और अवतारों की भूमि है। यहां पर ऐसे कई पावन तीर्थ हैं, जहां पर लोगों की अटूट आस्था है। ऐसा ही एक पवित्र तीर्थ स्थान देवभूमि उत्तराखंड में स्थित है। जिसे लोग "कैंची धाम" के नाम से जानते हैं। विश्व में इस धाम में नीब करौरी (नीम करौली) बाबा के चमत्कारों की चर्चा काफी प्रसिद्ध है। बाबा के भक्तों की मान्यता है कि बाबा नीम करौली हनुमानजी के अवतार थे। नववर्ष 2021 की पूर्व संध्या पर प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं धनंजय दुबे ने इस पवित्र धाम की यात्रा की और अपने अनुभवों को साझा करते हुए कैंची धाम और इसके आसपास के स्थानों की महत्ता के बारे में विस्तार से चर्चा कर रहे हैं....
प्रत्येक नववर्ष के आगमन एक कौतुहल का विषय होता है और इस नववर्ष को प्रत्येक जन अविस्मरणीय बनाना चाहता है, इसी क्रम में देवभूमि उत्तराखंड सबसे पहले मन में आया। क्यों ना देवभूमि के धरातल से नववर्ष का अभिवादन किया जाए और अपने समस्त देशवासियों, मित्रों और अपने सगे सम्बन्धिओं को देव धरातल से शुभकामना और आशीर्वाद दिया जाए। इसी क्रम में हल्द्वानी होते हुए भीमताल के पास नथुआखान से सटे हुए बड़ेत गांव है जो अत्यंत सुन्दर है। वहां जाकर नववर्ष पूर्व भगवान हनुमानजी के अवतार बाबा नीम करौली के दर्शन किए।
बाबा नीब करौरी ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था। मान्यता है कि बाबा नीब करौरी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं। हालांकि वह आडंबरों से दूर रहते थे। न तो उनके माथे पर तिलक होता था और न ही गले में कंठी माला। एक आम आदमी की तरह जीवन जीने वाले बाबा अपना पैर किसी को नहीं छूने देते थे। यदि कोई छूने की कोशिश करता तो वह उसे श्री हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे।