Hindi News
›
Spirituality
›
Religion
›
chhath puja 2018 kaise shuru hua, puja kaise kare, mythology story of chhath puja
{"_id":"5be69a62bdec22693b02426c","slug":"chhath-puja-2018-mythology-story-of-chhath-puja","type":"story","status":"publish","title_hn":"छठ पूजा 2018 : कैसे हुई छठ पूजा की शुरुआत, इसके पीछे है ये 4 मान्यताएं","category":{"title":"Religion","title_hn":"धर्म","slug":"religion"}}
छठ पूजा 2018 : कैसे हुई छठ पूजा की शुरुआत, इसके पीछे है ये 4 मान्यताएं
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Updated Sat, 10 Nov 2018 02:16 PM IST
बिहार प्रदेश का सबसे बड़ा त्योहार छठ महापर्व 11 नवंबर से आरम्भ हो रहा है। छठ का यह महापर्व 4 दिनों तक मनाया जाता है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक चलता है। 4 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य की पूजा और फिर अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देते हैं।
छठ पूजा की मान्यताएं
छठ पूजा कैसे शुरू हुई इसके बारे में कई मान्यताएं प्रचलित हैं।
पहली मान्यता
प्रियव्रत जो पहले मनु माने जाते हैं। इनकी कोई संतान नहीं थी। प्रियव्रत ने कश्यप ऋषि से संतान प्राप्ति का उपाय पूछा। महर्षि ने पुत्रेष्ठि यज्ञ करने को कहा। इससे उनकी पत्नी मालिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन यह पुत्र मृत पैदा हुआ। तभी देव लोक से ब्रह्मा की मानस पुत्री प्रगट हुईं जिन्होंने अपने स्पर्श से मरे हुए बालक को जीवित कर दिया। तब महाराज प्रियव्रत ने अनेक प्रकार से देवी की स्तुति की। देवी ने कहा कि आप ऐसी व्यवस्था करें कि पृथ्वी पर सदा हमारी पूजा हो। तब राजा ने अपने राज्य में छठ व्रत की शुरुआत की
दूसरी मान्यता
मान्यता के अनुसार किंदम ऋषि की हत्या का प्रायश्चित करने के लिए जब महाराज पांडु अपनी पत्नी कुंती के साथ वन में भटक रहे थे। तब उन दिनों उन्हें पुत्र प्राप्ति की इच्छा से महारानी कुंती संग सरस्वती नदी में सूर्य की पूजा की। इससे कुंती पुत्रवती हुई। इसलिए संतान प्राप्ति के लिए छठ पर्व का बड़ा महत्व है।
तीसरी मान्यता
छठ पर्व के बारे में यह धारणा है कि यह मुख्य रूप से बिहारवासियों का पर्व है। इसके पीछे कारण यह है कि इस पर्व की शुरुआत अंगराज कर्ण से माना जाता है। अंग प्रदेश वर्तमान भागलपुर में है जो बिहार में स्थित है। अंगराज कर्ण के विषय में कथा है कि, यह पाण्डवों की माता कुंती और सूर्य देव की संतान है। कर्ण अपना आराध्य देव सूर्य देव को मानते थे।अपने राजा की सूर्य भक्ति से प्रभावित होकर अंग देश के निवासी सूर्य देव की पूजा करने लगे। धीरे-धीरे सूर्य पूजा का विस्तार पूरे बिहार और पूर्वांचल क्षेत्र तक हो गया।
चौथी मान्यता
छठ पर्व में सूर्य की पूजा का संबंध भगवान राम से भी माना जाता है। दीपावली के छठे दिन भगवान राम ने सीता संग अपने कुल देवता सूर्य की पूजा सरयू नदी में की थी। भगवान राम ने देवी सीता के साथ षष्ठी तिथि का व्रत रखा और सरयू नदी में डूबते सूर्य को फल, मिष्टान एवं अन्य वस्तुओं से अर्घ्य प्रदान किया। सप्तमी तिथि को भगवान राम ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद राजकाज संभालना शुरु किया। इसके बाद से आम जन भी सूर्यषष्ठी का पर्व मनाने लगे।
विज्ञापन
विज्ञापन
सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला पर पढ़ें आस्था समाचार से जुड़ी ब्रेकिंग अपडेट। आस्था जगत की अन्य खबरें जैसे पॉज़िटिव लाइफ़ फैक्ट्स,स्वास्थ्य संबंधी सभी धर्म और त्योहार आदि से संबंधित ब्रेकिंग न्यूज़।
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।