Maha navami 2019: जानिए नवरात्रि के अंतिम दिन की पूजा विधि और महत्त्व
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Updated Mon, 07 Oct 2019 10:55 AM IST
दुर्गा
- फोटो : social media
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महानवमी नवरात्रि का अंतिम दिन होता है। इस दिन का आरंभ महास्नान और षोडशोपचार पूजा से किया जाता है। महानवमी के पावन दिन मां दुर्गा की आराधना महिषासुर मर्दिनी के तौर पर की जाती है। इसका मतलब है असुर महिषासुर का नाश करने वाली। मान्यता के अनुसार मां दुर्गा ने नवमी के दिन ही महिषासुर का वध किया था। इस दिन महानवमी पूजा, नवमी हवन जैसी परंपरा निभाने का विधान है।
मां के नौवां रूप सिद्धिदात्री
मां सिद्धिदात्री मां दुर्गा का नौवां स्वरूप है। सिद्धिदात्री का अर्थ है सिद्धि देने वाली मां। मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से हमें आठ प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। भगवान शिव के द्वारा महाशक्ति की पूजा करने पर मां शक्ति ने प्रसन्न होकर उन्हें यह आठों सिद्धियां प्रदान की थी। यह मां दुर्गा का अत्यंत शक्तिशाली स्वरूप है। देवी दुर्गा का यह रूप समस्त देवताओं के तेज से प्रकट हुआ है। असुर महिषासुर के अत्याचार से परेशान होकर सब देवगण भगवान भोलेनाथ एवं विष्णु भगवान के समक्ष सहायता हेतु गए। तब वहां उपस्थित सभी देवगणों से एक-एक तेज उत्पन्न हुआ। उस तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ। जिन्हें सिद्धिदात्री के नाम से जाना गया।
मां सिद्धिदात्री का ज्योतिष से संबंध
यह मां का प्रचंड रूप है, जिसमे शत्रु विनाश करने की अदम्य ऊर्जा समाहित होती है और इस स्वरूप को तो स्वयं त्रिमूर्ति यानी की ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी पूजते हैं। इसका अभिप्राय यह हुआ कि यदि यह माता अपने पात्र से प्रसन्न हो जाती हैं तो शत्रु उनके इर्द-गिर्द नहीं टिकते हैं। साथ ही उसको त्रिमूर्तियों की ऊर्जा भी प्राप्त होती है। जातक की कुंडली का छठा भाव और ग्यारहवां भाव इनकी पूजा से सशक्त होता है। लेकिन साथ-साथ तृतीय भाव में भी जबरदस्त ऊर्जा आती है। शत्रु पक्ष परेशान कर रहें हो, कोर्ट-केस हो तो माता के इस स्वरूप किए पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।
इस उपाय से होगा विशेष लाभ
यद्यपि मां का यह स्वरूप एक दिन की अर्चना से प्रसन्न मुश्किल से ही होता है। लेकिन फिर भी इस दिन यदि इन्हें वर्ष भर पूजने का संकल्प भर ले लिया तो शत्रु पक्ष से व्यक्ति खुद को निश्चिन्त समझे।
पूजन विधि
सर्वप्रथम शुद्ध होकर मां दुर्गा की पूजा अर्चना करें। मां के वंदना मंत्र का उच्चारण करें। मां को आज के दिन हलवा पूरी का भोग लगायें। आज के दिन हवन अवश्य करें।
मां सिद्धिदात्री वंदना मंत्र
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
नवमी आरंभ अक्टूबर 6, 2019 को 10:56:51 नवमी समाप्त अक्टूबर 7, 2019 को 12:40:09
दुर्गा पूजा हवन विधि
नवरात्रि की पूजा मंत्र जप और हवन के बगैर अधूरी है। नवरात्रि के अंतिम दिन माता के मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' या फिर ग्रहों के बीज मंत्र या फिर किसी कामना विशेष को लेकर संबंधित देवी-देवता के मंत्र का जाप करें। चाहें तो विजय की कामना करते हुए श्रीरामचरितमानस की किसी चौपाई से भी हवन कर सकते हैं।
हवन सामग्री
हवन में आम की लकड़ी का प्रयोग करें। हवन सामग्री में फूल, जौ, कलावा, रोली, अक्षत, सिंदूर, नारियल, गुड़, बताशा, पूजा वाली सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, चौकी, समिधा, कमल गट्टे, पंचमेवा आदि रख लें।
कन्या पूजन विधि
नवरात्रि के अंतिम दिन कंजक पूजन किया जाता है। इसमें 9 वर्ष तक की कन्याओं को भोज करवाना चाहिए। उन कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मान उनका आदर करना चाहिए। सर्वप्रथम 9 कन्याओं के लिए भोज को आमंत्रित करें। तत्पश्चात कन्याओं को बुलाकर उनका पूजन करें। उनका रोली अक्षत कुमकुम से तिलक करें। इसके पश्चात् हलवा, चना और पूरी से माता का भोग लगाएं और फिर कन्याओं को भी भोजन कराएं। भोजन के पश्चात् सभी कन्याओं को दक्षिणा स्वरूप दान देकर उनके चरण स्पर्श कर विदा करना चाहिए।
महानवमी नवरात्रि का अंतिम दिन होता है। इस दिन का आरंभ महास्नान और षोडशोपचार पूजा से किया जाता है। महानवमी के पावन दिन मां दुर्गा की आराधना महिषासुर मर्दिनी के तौर पर की जाती है। इसका मतलब है असुर महिषासुर का नाश करने वाली। मान्यता के अनुसार मां दुर्गा ने नवमी के दिन ही महिषासुर का वध किया था। इस दिन महानवमी पूजा, नवमी हवन जैसी परंपरा निभाने का विधान है।
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मां के नौवां रूप सिद्धिदात्री
मां सिद्धिदात्री मां दुर्गा का नौवां स्वरूप है। सिद्धिदात्री का अर्थ है सिद्धि देने वाली मां। मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से हमें आठ प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। भगवान शिव के द्वारा महाशक्ति की पूजा करने पर मां शक्ति ने प्रसन्न होकर उन्हें यह आठों सिद्धियां प्रदान की थी। यह मां दुर्गा का अत्यंत शक्तिशाली स्वरूप है। देवी दुर्गा का यह रूप समस्त देवताओं के तेज से प्रकट हुआ है। असुर महिषासुर के अत्याचार से परेशान होकर सब देवगण भगवान भोलेनाथ एवं विष्णु भगवान के समक्ष सहायता हेतु गए। तब वहां उपस्थित सभी देवगणों से एक-एक तेज उत्पन्न हुआ। उस तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ। जिन्हें सिद्धिदात्री के नाम से जाना गया।
मां सिद्धिदात्री का ज्योतिष से संबंध
यह मां का प्रचंड रूप है, जिसमे शत्रु विनाश करने की अदम्य ऊर्जा समाहित होती है और इस स्वरूप को तो स्वयं त्रिमूर्ति यानी की ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी पूजते हैं। इसका अभिप्राय यह हुआ कि यदि यह माता अपने पात्र से प्रसन्न हो जाती हैं तो शत्रु उनके इर्द-गिर्द नहीं टिकते हैं। साथ ही उसको त्रिमूर्तियों की ऊर्जा भी प्राप्त होती है। जातक की कुंडली का छठा भाव और ग्यारहवां भाव इनकी पूजा से सशक्त होता है। लेकिन साथ-साथ तृतीय भाव में भी जबरदस्त ऊर्जा आती है। शत्रु पक्ष परेशान कर रहें हो, कोर्ट-केस हो तो माता के इस स्वरूप किए पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।
इस उपाय से होगा विशेष लाभ
यद्यपि मां का यह स्वरूप एक दिन की अर्चना से प्रसन्न मुश्किल से ही होता है। लेकिन फिर भी इस दिन यदि इन्हें वर्ष भर पूजने का संकल्प भर ले लिया तो शत्रु पक्ष से व्यक्ति खुद को निश्चिन्त समझे।
पूजन विधि
सर्वप्रथम शुद्ध होकर मां दुर्गा की पूजा अर्चना करें। मां के वंदना मंत्र का उच्चारण करें। मां को आज के दिन हलवा पूरी का भोग लगायें। आज के दिन हवन अवश्य करें।
मां सिद्धिदात्री वंदना मंत्र
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
नवमी आरंभ अक्टूबर 6, 2019 को 10:56:51 नवमी समाप्त अक्टूबर 7, 2019 को 12:40:09
दुर्गा पूजा हवन विधि
नवरात्रि की पूजा मंत्र जप और हवन के बगैर अधूरी है। नवरात्रि के अंतिम दिन माता के मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' या फिर ग्रहों के बीज मंत्र या फिर किसी कामना विशेष को लेकर संबंधित देवी-देवता के मंत्र का जाप करें। चाहें तो विजय की कामना करते हुए श्रीरामचरितमानस की किसी चौपाई से भी हवन कर सकते हैं।
हवन सामग्री
हवन में आम की लकड़ी का प्रयोग करें। हवन सामग्री में फूल, जौ, कलावा, रोली, अक्षत, सिंदूर, नारियल, गुड़, बताशा, पूजा वाली सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, चौकी, समिधा, कमल गट्टे, पंचमेवा आदि रख लें।
कन्या पूजन विधि
नवरात्रि के अंतिम दिन कंजक पूजन किया जाता है। इसमें 9 वर्ष तक की कन्याओं को भोज करवाना चाहिए। उन कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मान उनका आदर करना चाहिए। सर्वप्रथम 9 कन्याओं के लिए भोज को आमंत्रित करें। तत्पश्चात कन्याओं को बुलाकर उनका पूजन करें। उनका रोली अक्षत कुमकुम से तिलक करें। इसके पश्चात् हलवा, चना और पूरी से माता का भोग लगाएं और फिर कन्याओं को भी भोजन कराएं। भोजन के पश्चात् सभी कन्याओं को दक्षिणा स्वरूप दान देकर उनके चरण स्पर्श कर विदा करना चाहिए।
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