दशहरा अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाने वाला एक मुख्य हिन्दू पर्व है।
- फोटो : happy dussehra 2020
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Dussehra 2020: दशहरा अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाने वाला एक मुख्य हिन्दू पर्व है। इस पर्व को दशहरा नाम देने की एक खास वजह ये है कि इस दिन की उत्पत्ति, मतलब 'दश' अर्थात् रावण के दस सिर और 'हरा' अर्थात् हरा दिया। इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण को उसके दसों सिरों सहित परास्त किया था।
एक महान शिव भक्त व शास्त्र पारायण होने के साथ ही बलशाली या यूँ कहें, सब ओर से समर्थ होने के बावजूद रावण हारा था, जबकि खुद भगवान राम को भी पता था कि कितना बड़ा ज्ञानी और महाबली है रावण। पर वास्तविकता में भगवान श्रीराम को रावण को हराने की नहीं, बल्कि उसके ग़ुरूर उसकी बुराइयों को हराने की आवश्यकता आ गयी थी।
क्योंकि उसके सिर्फ़ एक कृत्य ने उसको कमजोर कर दिया था (मां सीता का हरण) और उसके अभिमान ने उसको जकड़ लिया था ऐसे रावण पर जीत पाने के उपलक्ष्य में ये दिन मनाया जाता है।
इस दिन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है वो संदेश जो भगवान ने हमें दिया है, बुराई पर अच्छाई की जीत का। ध्यान रहे, कोई कितने ही प्रयत्न क्यों ना कर ले, आपको नीचा दिखाने या हराने की मंशा के साथ, पर यदि आप की बात सही है और सत्य है तो उसकी जीत आज नहीं तो थोड़े समय में निश्चित ही है।
बुराई बलवान दिख सकती है, हम उससे डर भी सकते हैं, पर वास्तव में वो बुराई ही है और यही उसकी सबसे बड़ी कमी है जिसको हराया जा सकता है और हराना भी चाहिए।
हम रावण को सिर्फ़ एक व्यक्ति के रूप में मानकर बस जलाने जितना इस पर्व को मनाते हैं, जबकि देखा जाए तो हमें रावण दहन को हर उस बुराई के रूप में मनाना चाहिए, जो हमें हमारे अंदर नजर आती हो या फिर समाज में नजर आती हो।
उसको पहचानें, अत: सिर्फ़ रावण को बुरा मानकर जलाने से ज़्यादा अच्छा है अपनी रावण रूपी बुराई को उस रावण दहन में डालकर उस पर जीत पाएं और इस दशहरे के उत्सव को पूरे उत्साह से मनाएं।
सार
हम रावण को सिर्फ़ एक व्यक्ति के रूप में मानकर बस जलाने जितना इस पर्व को मनाते हैं, जबकि देखा जाए तो हमें रावण दहन को हर उस बुराई के रूप में मनाना चाहिए, जो हमें हमारे अंदर नजर आती हो या फिर समाज में नजर आती हो।
विस्तार
Dussehra 2020: दशहरा अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाने वाला एक मुख्य हिन्दू पर्व है। इस पर्व को दशहरा नाम देने की एक खास वजह ये है कि इस दिन की उत्पत्ति, मतलब 'दश' अर्थात् रावण के दस सिर और 'हरा' अर्थात् हरा दिया। इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण को उसके दसों सिरों सहित परास्त किया था।
एक महान शिव भक्त व शास्त्र पारायण होने के साथ ही बलशाली या यूँ कहें, सब ओर से समर्थ होने के बावजूद रावण हारा था, जबकि खुद भगवान राम को भी पता था कि कितना बड़ा ज्ञानी और महाबली है रावण। पर वास्तविकता में भगवान श्रीराम को रावण को हराने की नहीं, बल्कि उसके ग़ुरूर उसकी बुराइयों को हराने की आवश्यकता आ गयी थी।
क्योंकि उसके सिर्फ़ एक कृत्य ने उसको कमजोर कर दिया था (मां सीता का हरण) और उसके अभिमान ने उसको जकड़ लिया था ऐसे रावण पर जीत पाने के उपलक्ष्य में ये दिन मनाया जाता है।
दशहरा 2020: अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व
- फोटो : सोशल मीडिया
इस दिन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है वो संदेश जो भगवान ने हमें दिया है, बुराई पर अच्छाई की जीत का। ध्यान रहे, कोई कितने ही प्रयत्न क्यों ना कर ले, आपको नीचा दिखाने या हराने की मंशा के साथ, पर यदि आप की बात सही है और सत्य है तो उसकी जीत आज नहीं तो थोड़े समय में निश्चित ही है।
बुराई बलवान दिख सकती है, हम उससे डर भी सकते हैं, पर वास्तव में वो बुराई ही है और यही उसकी सबसे बड़ी कमी है जिसको हराया जा सकता है और हराना भी चाहिए।
हम रावण को सिर्फ़ एक व्यक्ति के रूप में मानकर बस जलाने जितना इस पर्व को मनाते हैं, जबकि देखा जाए तो हमें रावण दहन को हर उस बुराई के रूप में मनाना चाहिए, जो हमें हमारे अंदर नजर आती हो या फिर समाज में नजर आती हो।
उसको पहचानें, अत: सिर्फ़ रावण को बुरा मानकर जलाने से ज़्यादा अच्छा है अपनी रावण रूपी बुराई को उस रावण दहन में डालकर उस पर जीत पाएं और इस दशहरे के उत्सव को पूरे उत्साह से मनाएं।