लौह, कांस्य और न्यूक्लियर एज से होते हुए अब हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युग में कदम रख चुके हैं। चैटजीपीटी, गूगल बार्ड जैसे एआई बेस्ड लैंग्वेज मॉडल टूल्स के दस्तक ने इस नए युग की शुरुआत कर दी है। आने वाले समय को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक नए सिरे से परिभाषित करेगा। बिजनेस, एजुकेशन, ई-कॉमर्स, गवर्नेंस से लेकर हर क्षेत्र में एआई का बड़े पैमाने पर उपयोग किए जाने की शुरुआत हो चुकी है। इसी के समानांतर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े खतरे भी सामने निकलकर आने लगे हैं।
कुछ दिनों पहले यूएस के डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस यानी पेंटागन की एक तस्वीर काफी तेजी से वायरल हो रही थी। इस तस्वीर में पेंटागन के ऊपर धुएं का गुबार उठता हुआ दिखाई दे रहा था। ऐसा लग रहा था मानों वहां पर किसी ने एक बड़ा हमला किया हो। इस तस्वीर के सोशल मीडिया पर सामने आते ही अमेरिकी शेयर बाजार में भूचाल सा आ गया। इस खबर को दुनिया भर के कई बड़े डिजिटल न्यूज वेबसाइट ने कवर किया। हालांकि, बाद में जब जांच हुई, तो पता चला कि यह एक एआई जनरेटेड तस्वीर थी।
दूसरा उदाहरण डोनाल्ड ट्रंप का है। कुछ महीनों पहले डोनाल्ड ट्रंप की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हुई थीं, जिनमें उन्हें गिरफ्तार होता हुआ दिखाया गया था। इन तस्वीरों को देखने के बाद कई लोगों को विश्वास हो गया कि ट्रंप वाकई गिरफ्तार हो चुके हैं। हालांकि, बाद में पता चला कि इसे भी एआई द्वारा बनाया गया था। गौर करने वाली बात यह है कि ये तस्वीरें देखने में इतनी वास्तविक लग रही थीं कि इनमें फर्क करना काफी मुश्किल था। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आगमन से समाज में डिसइंफोर्मेशन काफी तेजी से फैल रही है। यही नहीं इंफोर्मेशन को मैनिपुलेट करके उसे समाज में परोसा जा रहा है।
कुछ दिनों पहले यूएस के डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस यानी पेंटागन की एक तस्वीर काफी तेजी से वायरल हो रही थी। इस तस्वीर में पेंटागन के ऊपर धुएं का गुबार उठता हुआ दिखाई दे रहा था। ऐसा लग रहा था मानों वहां पर किसी ने एक बड़ा हमला किया हो। इस तस्वीर के सोशल मीडिया पर सामने आते ही अमेरिकी शेयर बाजार में भूचाल सा आ गया। इस खबर को दुनिया भर के कई बड़े डिजिटल न्यूज वेबसाइट ने कवर किया। हालांकि, बाद में जब जांच हुई, तो पता चला कि यह एक एआई जनरेटेड तस्वीर थी।
दूसरा उदाहरण डोनाल्ड ट्रंप का है। कुछ महीनों पहले डोनाल्ड ट्रंप की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हुई थीं, जिनमें उन्हें गिरफ्तार होता हुआ दिखाया गया था। इन तस्वीरों को देखने के बाद कई लोगों को विश्वास हो गया कि ट्रंप वाकई गिरफ्तार हो चुके हैं। हालांकि, बाद में पता चला कि इसे भी एआई द्वारा बनाया गया था। गौर करने वाली बात यह है कि ये तस्वीरें देखने में इतनी वास्तविक लग रही थीं कि इनमें फर्क करना काफी मुश्किल था। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आगमन से समाज में डिसइंफोर्मेशन काफी तेजी से फैल रही है। यही नहीं इंफोर्मेशन को मैनिपुलेट करके उसे समाज में परोसा जा रहा है।