दुनियाभर में कोरोना संक्रमण को लेकर दहशत का वातावरण है, ऐसे में भ्रामक और फर्जी खबरें और अधिक माहौल खराब करती हैं। इस समय सोशल मीडिया की जिम्मेदारी अतिमहत्वपूर्ण हो जाती है। आजकल सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस को लेकर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें इस बात का दावा किया जा रहा है कि पुलिस द्वारा कोविड-19 के संदिग्धों को रोकने का वीडियो है। अमर उजाला ने इसकी पड़ताल की और पाया यह फेक न्यूज है और गलत दावे के साथ वायरल हो रही है।
दावाकर्ता- सोशल मीडिया यूजर्स
दावे का आधार- एक वीडियो क्लिप और उसपर लिखा डिस्क्रिप्शन
क्या किया जा रहा है दावा- "बरेली के सीबी गंज में पहला मरीज मिला है आप लोग इसको देखकर इसके खतरे का अनुमान लगा सकते हैं !!
पड़ताल के चरण
- सबसे पहले इस वीडियो को गूगल प्लेटफार्म पर सर्च किया
- इसके लिए सटीक की-वर्ड लिए जैसे -
- 'पुलिस कोविड-19 के संदिग्ध', 'मॉक ड्रिल उत्तर प्रदेश' और "बरेली कोविड-19 के संदिग्ध', इनको लगाकर खबर को खोजना शुरू किया
- हमारे आगे तमाम लिंक्स आ गए, और यूट्यूब के वीडियो भी मिले
- इन वीडियो लिंक्स में टाइम्स नाउ न्यूज चैनल का एक शो मिला जिसमें इस खबर का जिक्र था,
- इस न्यूज बुलेटिन में पुलिस की मॉक ड्रिल की बात थी,
- इस बुलेटिन की हेडलाइन थी- 'गाजियाबाद कॉप्स गो स्टेप फरदर' ( Gaziabad cops go step further )
- ये वीडियो क्लिप 1:10 मिनट की है
- इसमें यही फुटेज का इस्तेमाल किया गया और पूरे जागरूकता कार्यक्रम को दिखाया गया है
- एंकर अपने शुरुआती शब्दों में यह बोलती नजर आती है कि, " We Leave you with this Mock Drill against CORONAVIRUS".
- उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस जागरूकता के लिए पुलिस ने मॉक ड्रिल किया था।
- जिस वीडियो को बरेली का बताया जा रहा है, वह दरअसल 24 मार्च को यूपी के गाजियाबाद में किया गया एक मॉक ड्रिल का दृश्य था।
- फ्रेम दर फ्रेम अगर आप इस वीडियो को देखेंगे तो चार स्क्रीन शॉट महत्वपूर्ण दिखेंगे
- हमने वीडियो को चार भागों में विभाजित किया और इसकी जांच-पड़ताल की,
पहली तस्वीर-
पूरे प्रकरण को मोबाइल कैमरों पर रिकॉर्ड किया जा रहा है।
दूसरी तस्वीर-
पुलिस और संदिग्ध व्यक्ति मुस्कुरा कर सारा एक्ट कर रहे हैं और बहुत आसानी से पुलिस उसको पकड़ रही है।
तीसरी तस्वीर-
पुलिस का सिपाही आराम से उसको मास्क पहना रहा है और कैमरे में देख रहा है।
चौथी तस्वीर-
जब उसको एंबुलेंस में बैठाया जा रहा है वो आराम से उसमें बैठ रहा है और पीछे से एक आदमी आराम से उसकी रिकॉर्डिंग कर रहा है।
इस तरह आप आसानी से देख सकते हैं कि सारा प्रकरण नाटकीय है।
पड़ताल का परिणाम
उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस जागरूकता के लिए पुलिस द्वारा मॉक ड्रिल किया गया था। ये वीडियो 24 मार्च, 2020 को गाजियाबाद पुलिस द्वारा आयोजित मॉक ड्रिल का हिस्सा है जिसका मकसद कोरोना वायरस के मामलों को संभालने के लिए किया गया अभ्यास था। अमर उजाला ने अपनी पड़ताल में इस दावे को फर्जी साबित किया। हमें केवल कोरोना वायरस के संक्रमण से ही नहीं, इससे जुड़ी हर फेक न्यूज और भ्रामक जानकारियों से भी लड़ना है। खबरों को भी झूठे तथ्यों के संक्रमण से बचाना है।
कोरोना वायरस और फेक न्यूज से सावधानी ही बचाव है।
विस्तार
दुनियाभर में कोरोना संक्रमण को लेकर दहशत का वातावरण है, ऐसे में भ्रामक और फर्जी खबरें और अधिक माहौल खराब करती हैं। इस समय सोशल मीडिया की जिम्मेदारी अतिमहत्वपूर्ण हो जाती है। आजकल सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस को लेकर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें इस बात का दावा किया जा रहा है कि पुलिस द्वारा कोविड-19 के संदिग्धों को रोकने का वीडियो है। अमर उजाला ने इसकी पड़ताल की और पाया यह फेक न्यूज है और गलत दावे के साथ वायरल हो रही है।
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दुनियाभर में कोरोना संक्रमण को लेकर दहशत का वातावरण है, ऐसे में भ्रामक और फर्जी खबरें और अधिक माहौल खराब करती हैं। इस समय सोशल मीडिया की जिम्मेदारी अतिमहत्वपूर्ण हो जाती है। आजकल सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस को लेकर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें इस बात का दावा किया जा रहा है कि पुलिस द्वारा कोविड-19 के संदिग्धों को रोकने का वीडियो है। अमर उजाला ने इसकी पड़ताल की और पाया यह फेक न्यूज है और गलत दावे के साथ वायरल हो रही है।
दावाकर्ता- सोशल मीडिया यूजर्स
दावे का आधार- एक वीडियो क्लिप और उसपर लिखा डिस्क्रिप्शन
क्या किया जा रहा है दावा- "बरेली के सीबी गंज में पहला मरीज मिला है आप लोग इसको देखकर इसके खतरे का अनुमान लगा सकते हैं !!