एक जैसी कहानियों वाली बॉक्सिंग की फिल्मों 'साला खड़ूस', 'दंगल' और 'सुल्तान' से बहुत पहले मिथुन चक्रवर्ती को लेकर निर्देशक राज एन सिप्पी ने फिल्म बनाई थी 'बॉक्सर'। और, उससे भी पहले की जो शानदार स्पोर्ट्स फिल्म मुझे याद आती है वह है निर्देशक प्रकाश झा की फुटबॉल पर बनी फिल्म 'हिप हिप हुर्रे'। इधर हाल के बरसों में तो ढेर स्पोर्ट्स फिल्में बनी हैं, जैसे 'भाग मिल्खा भाग', 'गोल्ड', 'एम एस धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी', 'मैरी कॉम' 'इकबाल' और थोड़ा और दूर तक निकल जाएं तो आमिर खान की 'लगान'। लेकिन आज के बाइस्कोप में जिस स्पोर्ट्स फिल्म का मैं जिक्र करने वाला हूं उसका नाम है, 'चक दे इंडिया'। पंजाबी फौजों की मुगल सेनाओं से लड़ाई के वक्त लगाया जाने वाला जयघोष है 'चक दे फट्टे'। नदियों पर बने लकड़ी के पुलों के पटरे उखाड़ लेने के लिए होने वाली ये पुकार बहुत ही लोमहर्षक होती रही है और उतना ही रोमांचित कर देने वाली फिल्म रही, 'चक दे इंडिया'।