शनिदेव टेढ़ी चाल चलते हुए लगभग 4 माह 19 दिन बाद अपनी वक्रगति की यात्रा संपन्न कर आगामी 6 सितंबर को सायं 4:36 मिनट पर मार्गी हो रहे हैं। इस वर्ष शनिदेव 18 अप्रैल को सुबह 7:15 मिनट पर वक्री हुए थे। अपनी वक्र गति के मध्य अधिकांशत: समय ये केतु के नक्षत्र मूल एवं बृहस्पति की राशि धनु में विचरण करते रहे। शनिदेव का वक्री अथवा मार्गी होना पृथ्वीवासियों के प्रति बड़ी घटना के रूप में देखा जाता है। जिस राशि पर भ्रमण करने के मध्य ये वक्री रहते हैं, उन्हें काफी मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ता है। अब इस वर्ष शनिदेव दोबारा वक्री नहीं होंगे। आइए जानते हैं कि शनि का मार्गी होना किसके लिए खोलेगा तरक्की का द्वार और किन्हें करना होगा 2019 का इंतजार...