कुंभ राशि में वक्री चल रहे देवगुरू बृहस्पति 14 सितंबर दिन मंगलवार को मकर राशि में व्रकी गति से प्रवेश कर चुके हैं। मकर राशि में गुरु अपनी नीच राशि में होंगे। गुरु मकर राशि में 20 नवंबर तक रहेंगे इसके बाद वह फिर से कुंभ राशि में गोचर करेंगे। मकर राशि में गुरु का वापस लौटकर आना और शनि के साथ मिलकर चलना सभी राशियों पर प्रभाव डालेगा। गुरु को ज्योतिष की दुनिया में सबसे अधिक लाभकारी ग्रहों में से एक माना जाता है और यह भाग्य और सम्मान प्राप्ति के भी मुख्य कारक माने जाते हैं। देवगुरु का यह गोचर कई नए अवसर लेकर आ सकता है, इस दौरान लोगों के उत्साह में वृद्धि हो सकती है, रुके काम फिर से बन सकते हैं। शिक्षा, यात्रा, प्रकाशन, व्यवसाय आदि में सफलता प्राप्त होने के भी संयोग हैं। हालांकि यह गोचर कुछ लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण भी हो सकता है। यह गोचर कुछ लोगों के लिए बहुत अच्छा और कुछ के लिए चुनौतीपूर्ण होने वाला है। गुरु मानसिक शक्ति, उत्साह, पेशेवर कौशल और आपकी प्रतिभा को प्रभावित करता है। यह किसी के व्यक्तिगत पेशेवर जीवन को बल देता है। देवगुरु बृहस्पति ग्रह स्थिति के अनुसार सभी 12 राशि के जातकों को अच्छे और बुरे दोनों तरह के परिणाम देते हैं, गुरु का गोचर शनि की युति के साथ होगा इसलिए इस गोचर को ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत ही अनोखा माना जा रहा है क्योंकि इस गोचर का प्रभाव लंबे समय तक रहेगा। वक्री गुरु के इस गोचर के दौरान कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं हो सकती हैं। दुनिया के कुछ हिस्सों में भूकंप आने की प्रबल संभावना है। साथ ही राजनीतिक उथल-पुथल होने की भी संभावना है। आइये जानते हैं राशियों पर क्या होगा प्रभाव-
मेष
मेष राशि के जातकों के लिए, गुरु नौवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं और करियर, नाम और प्रसिद्धि के आपके दसवें भाव में देवगुरू बृहस्पति का वक्री अवस्था में गोचर होगा। इस दौरान व्यापारिक क्षेत्र में आपको सफलता मिलेगी और आपकी योजनाएं भी एक-एक करके पूरी होंगी। नौकरी पेशा लोगों की वेतन वृद्धि की संभावना बन रही है। भविष्य को बेहतर बनाने के लिए नई योजनाओं पर काम करेंगे। परिवार के सदस्यों के साथ जुड़ा हुआ महसूस करेंगे और उनकी जरूरतों का पूरा ध्यान रखेंगे।
वृषभ
वृषभ राशि के जातकों के लिए गुरु आठवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं देवगुरू बृहस्पति धर्म, अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं, भाग्य और पिता के साथ संबंध वाले आपके नौवें भाव में वक्री अवस्था में गोचर करेंगे। इस दौरान भाग्य का आपको पूरा साथ मिलेगा। काफी समय से नौकरी में जिस अवसर की तलाश कर रहे थे, वह पूरी होगी। विदेश में नौकरी करने की चाह रखने वालों की इच्छा पूरी होगी लेकिन थोड़ा संघर्ष करना पड़ सकता है। सामाजिक कार्य करने से आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी और गुरु का आशीर्वाद प्राप्त होगा। आय के कुछ नए स्रोत भी मिल सकते हैं, जिससे आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
मिथुन
मिथुन राशि के जातकों के लिए गुरु भगवान सातवें और दसवें भाव के स्वामी हैं और आपके गुप्त विज्ञान, वंशानुक्रम और अचानक लाभ / हानि के आठवें घर में इनका वक्री अवस्था में गोचर प्रारंभ हो रहा है इस दौरान व्यवसाय में अच्छा सौदा प्राप्त करेंगे लेकिन थोड़ी बहुत कठिनाई भी आ सकती है। आपको कठिन परिस्थितियों के बारे में आपको स्वयं सचेत रहना होगा और ग्राहकों को भी जरूर जागरूक करना चाहिए |गोचर काल में आर्थिक रूप से सतर्क रहना होगा, इस दौरान न ही किसी से उधार लें और न ही दें। जीवनसाथी के साथ रिश्तों में सावधानी बरतें, किसी भी गलतफहमी से बहसबाजी की स्थिति बन सकती हैं।
कर्क
कर्क राशि के जातकों के लिए गुरु छठे और नौवें भाव के स्वामी हैं और यह आपके विवाह और साझेदारी के सप्तम भाव में वक्री चाल में गोचर करेंगे इस दौरान ऑफिस में अधिकारियों के साथ आपके संबंध मधुर होंगे और वेतन वृद्धि की भी संभावना बन रही है। व्यवसाय विस्तार के लिए आप जो योजना बना रहे हैं, उसमें कुछ परेशानी आ सकती है लेकिन आपकी योजना सफल होगी। साझेदारी में व्यापार करने वालों को सावधान रहना होगा, किसी भी तरह के विवाद से बचें। जोखिम भरे निवेश से बचकर रहें। परिवार के सदस्यों का पूरा साथ मिलेगा।