बायोडीजल पेट्रोल का बेहतरीन विकल्प है। हालांकि बायोडीजल अपने आप में कोई एक ईंधन नहीं है। भारत के कुछ पौधों के बीजों में ऐसा तेल पाया जाता है जिसे खाने या पकाने के काम में नहीं ला सकते लेकिन मोटर वाहनों में इन्हें ईंधन की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। वैकल्पिक ईंधन के रूप में बायो-डीज़ल पारंपरिक डीजल ईंधन जितनी पॉवर उपलब्ध करा सकता है
ऐसे ही बीजों के तेलों को मिलाकर बायोडीजल बनाया जाता है। खास बात ये है कि इसे पेट्रो-डीजल में आसानी से मिलाया जा सकता है। चाहें तो डीजल वाले इंजन में अलग से डाल कर गाड़ी चलाएं। भारत में सूरजमुखी, सरसों, राई या जट्रोफा (भागवेरांडा ), रतनजोत या जोजोबा, करंज, नागचंपा, सोया और रबर के तेल के अलावा पशु वसा से बायोडीजल बनाया जाता है। बायोडीजल के पेट्रोल और डीजल में मिलाकर इस्तेमाल किए जाने पर पर्यावरण को फायदा पहुंचता है।
बायोडीज़ल पेट्रोल और डीजल ईंधन की तुलना में कार्बन मोनो ऑक्साइड, पर्टिकुलेट मैटर, बिना जले हाइड्रोकार्बन और सल्फेट के उत्सर्जन में महत्वपूर्ण कमी करता है। इसके अतिरिक्त, पेट्रोल और डीजल की तुलना में बायोडीज़ल कैंसरकारी यौगिकों के उत्सर्जन में 85 प्रतिशत तक कमी करता है।