स्पर्म डोनेशन के संबंध में असिस्टेटेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशन बिल 2010 संसद में पास होने के इंतजार में है। इसके पास होते ही स्पर्म डोनेशन क्लीनिक और सीमेन बैंक कानूनी धारा से जुड़ जाएंगे। तब तक इंडियन कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने इस संबंध में कुछ नियम बनाए हैं।
स्पर्म डोनर की उम्र 21 से 45 साल के बीच होनी चाहिए।
स्पर्म डोनेशन के तीन माह बाद एड्स, हेपेटाइटिस बी व सी वायरस की जांच की तीन महीने की प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए।
एआरटी क्लीनिक स्पर्म सिर्फ स्पर्म बैंकों से ही हासिल कर सकेंगे।
रिसीवर को डोनर की हाइट, वजन, त्वचा का रंग, पेशा, पारिवारिक पृष्ठभूमि, जातीय मूल, बीमारी मुक्त रिकॉर्ड, डीएनए फिंगर प्रिंट्स जैसी जानकारी हासिल करने का हक है।
सीमेन बैंक या क्लीनिक स्पर्म डोनर की पहचान हर्गिज नहीं बताएंगे।
तीन महीने के अंतराल पर दोबारा स्पर्म डोनेट कर सकते हैं, लेकिन कुल 10 बार से ज्यादा डोनेट नहीं किया जा सकता।
स्पर्म डोनेशन के संबंध में असिस्टेटेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशन बिल 2010 संसद में पास होने के इंतजार में है। इसके पास होते ही स्पर्म डोनेशन क्लीनिक और सीमेन बैंक कानूनी धारा से जुड़ जाएंगे। तब तक इंडियन कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने इस संबंध में कुछ नियम बनाए हैं।
स्पर्म डोनर की उम्र 21 से 45 साल के बीच होनी चाहिए।
स्पर्म डोनेशन के तीन माह बाद एड्स, हेपेटाइटिस बी व सी वायरस की जांच की तीन महीने की प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए।
एआरटी क्लीनिक स्पर्म सिर्फ स्पर्म बैंकों से ही हासिल कर सकेंगे।
रिसीवर को डोनर की हाइट, वजन, त्वचा का रंग, पेशा, पारिवारिक पृष्ठभूमि, जातीय मूल, बीमारी मुक्त रिकॉर्ड, डीएनए फिंगर प्रिंट्स जैसी जानकारी हासिल करने का हक है।
सीमेन बैंक या क्लीनिक स्पर्म डोनर की पहचान हर्गिज नहीं बताएंगे।
तीन महीने के अंतराल पर दोबारा स्पर्म डोनेट कर सकते हैं, लेकिन कुल 10 बार से ज्यादा डोनेट नहीं किया जा सकता।