ब्रिटिश कंपनी वेदांता की नियमगिरी के जंगलों में खनन करने की परियोजना को तगड़ा झटका लगा है। स्थानीय डोंगरिया कोंध आदिवासियों की 12वीं और अंतिम ग्राम सभा ने नियमगिरी के जंगलों में खनन की इजाजत देने से मना कर दिया है।
ओडिशा सरकार और वेदांता के लिए ये कठिन स्थिति मानी जा रही है। राज्य सरकार ने वेदांता और ओडिशा खान निगम के बीच 2003 में हुए समझौते के तहत नियमगिरी में 15 लाख टन बॉक्साइट खनन की इजाजत दी थी। ये समझौता 30 साल के लिए किया गया था।
कंपनी नियमगिरी की खनन परियोजना के जरिए लांजीगढ़ में बने प्लांट के लिए बॉक्साइट की आपूर्ति करना चाहती है। हालांकि, नियमगिरी को देवता ओर खुद को उनका वंशज मानने वाले डोंगरिया कोंध आदिवासी शुरु से ही इसका विरोध कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मांगी थी ग्राम सभाओं की राय
यूपीए सरकार द्वारा पारित वन अधिकार कानून के बाद ये मुद्दा सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंच गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल 2013 का ऐतिहासिक फैसले में राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि नियमगिरी में खनन के लिए स्थानीय ग्राम सभाओं की राय जानी जाए। ग्राम सभाओं की इजाजत के बाद ही खनन परियोजना को मंजूरी दी जाए।
12 ग्राम सभाओं का किया गया था चयन
वेदांता की परियोजना पर राय जानने के लिए कालाहांडी की सात और रायगढ़ा की पांच ग्राम सभाओं को चुना गया था। इन सभी ग्राम सभाओं ने वेदांत की परियोजना का सिरे से खारिज कर दिया। ग्राम सभाओं के फैसले की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को भेजी जाएगी।
ब्रिटिश कंपनी वेदांता की नियमगिरी के जंगलों में खनन करने की परियोजना को तगड़ा झटका लगा है। स्थानीय डोंगरिया कोंध आदिवासियों की 12वीं और अंतिम ग्राम सभा ने नियमगिरी के जंगलों में खनन की इजाजत देने से मना कर दिया है।
ओडिशा सरकार और वेदांता के लिए ये कठिन स्थिति मानी जा रही है। राज्य सरकार ने वेदांता और ओडिशा खान निगम के बीच 2003 में हुए समझौते के तहत नियमगिरी में 15 लाख टन बॉक्साइट खनन की इजाजत दी थी। ये समझौता 30 साल के लिए किया गया था।
कंपनी नियमगिरी की खनन परियोजना के जरिए लांजीगढ़ में बने प्लांट के लिए बॉक्साइट की आपूर्ति करना चाहती है। हालांकि, नियमगिरी को देवता ओर खुद को उनका वंशज मानने वाले डोंगरिया कोंध आदिवासी शुरु से ही इसका विरोध कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मांगी थी ग्राम सभाओं की राय
यूपीए सरकार द्वारा पारित वन अधिकार कानून के बाद ये मुद्दा सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंच गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल 2013 का ऐतिहासिक फैसले में राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि नियमगिरी में खनन के लिए स्थानीय ग्राम सभाओं की राय जानी जाए। ग्राम सभाओं की इजाजत के बाद ही खनन परियोजना को मंजूरी दी जाए।
12 ग्राम सभाओं का किया गया था चयन
वेदांता की परियोजना पर राय जानने के लिए कालाहांडी की सात और रायगढ़ा की पांच ग्राम सभाओं को चुना गया था। इन सभी ग्राम सभाओं ने वेदांत की परियोजना का सिरे से खारिज कर दिया। ग्राम सभाओं के फैसले की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को भेजी जाएगी।